कल हुई सुनवाई के लाइव टेलीकास्ट की रिकॉर्डिंग....
कल की सुनवाई का असली सच ।
मिश्राजी और ललित जी बैठे हुए हैं,
पसीने से लथपथ ओकिल श्री एम कृष्णा
अपने सिर पर एक बोरा लिए रुम में घुसते हैं ।
मिश्राजी बोले - इसमें क्या है जी !
ओकिल साहब बोले - हे डियर मी
लार्डेस्टतम ! इसमें गेहूं की बालियाँ हैं,
हम सीला बीन रहे थे कि अचानक से
नोटिस आ गया कि कल तारीख है,
अतः हम दौड़ते चले आए ।
ललित जी बोले - कौन सा गेहूं बोया था
और अब उस खेत में गन्ना करोगे या
गोभी !
ओकिल साहब बोले - गेहूं कम निकला है
जी क्योंकि गुल्ली डंडा और मबोली
खरपतवार बहुत हो गया था,
जबकि हमने आइसोप्रोट्युरान का स्प्रे
किया ।
मिश्राजी बोले - चौड़ी पत्ती के लिए
सल्फोसल्फ्यूरान छिड़कना था ।
तभी एक दूसरे ओकिल साहब दाखिल होते
हैं,
सिर पर गट्ठर लदा होने के कारण उनका
चेहरा साफ नहीं दिख सका ।
मिश्राजी बोले - इसमें क्या लाए हो जी
।
ओकिल साहब बोले - हे डियरेस्टम जी ।
इसमें रजाई, आमिर लोशन का कनस्तर,
छाता और मच्छरदानी है,
क्योंकि हमें लगा कि अब सुनवाई
कान्टिन्यु होगी,
जोकि अब से लेकर सर्दियों तक चल
सकती है,
अतः हम पूरे इंतजाम से आ लिए ।
ललित जी बोले - यह फालतू का बोझा
तो ले आए,
मगर हमने जो IA के आटे से बना सत्तू
मंगाया वह नहीं लाए ।
एक तीसरे ओकिल साहब मिश्राजी और
ललित जी के मुंह पे फोकस मार के अपनी
टार्च का लेंस एडजस्ट करने लगे,
मिश्राजी अत्यन्त ही क्रोधित होकर
बोले - यह क्या धृष्टता है !
ओकिल साहब झेंपते हुए बोले - हे डियर
योर आनर । एक बार किसी आर्डर में
लिक्खा था कि सुनवाई दिन रात
चलेगी,
अतः हमने टार्च का फोकसवा चेक
किया ।
.
फिर मिश्राजी और ललित जी ने ३-४
बार बारी-बारी से सब ओकिलों की
गिनती की,
मच्छरदानी वाले ओकिल साहब अत्यन्त
ही करुण भाव से बोले - हे डियर मी
लार्ड ! यह बार-बार क्यों गिन रहे हैं
हमको ।
मिश्राजी अत्यन्त ही शान्त भाव से
बोले - इस समय डेंगू और चिकुनगुनिया का
घनघोर प्रकोप चल रहा है,
अतः हम गिन के देख रहे कि सब पूरे हैं या
नहीं ।
तभी ललित जी बोले - सभी ओकिल ३-३
फिट आगे पीछे चल के दिखाएँ ।
गेहूं की बालियों वाले ओकिल साहब
बाल खुजलाते बोले - योर आनर जी ! अब
क्या हमारे घुटनों का साइनोवियल
फ्ल्यूड चेक होगा जी ।
मिश्राजी बोले - कुछ टेट नेताओं ने मैडम
तुसाद म्यूजियम के मिस्त्री से कान्टेक्ट
करके आप लोगों के पुतले तैयार करा लिए
हैं,
ताकि सिर्फ तांगे का किराया खर्च
करके पब्लिक को संतुष्ट किया जा सके
कि हमारे ओकिल साहब भी कोर्ट में खड़े
हुए ।
.
तभी सभी ओकिल साहब एक स्वर में ताल
ठोंकते हुए बोले - हे डियर मी लार्ड । अब
हम लड़ना शुरू करें क्या ।
मिश्राजी बोले - अरे नहीं नहीं । हमने
आज आपको सिर्फ इसलिए तारीख पे
बुलाया कि तारीखें वही रहेंगी ।
.
तभी टार्च वाले ओकिल साहब बोले - हे
डियर योर आनर । चुपके से आर्डर का कुछ
हिस्सा दिखा दीजिए न पिलीज ।
मिश्राजी अत्यन्त ही विनम्र भाव से
बोले - ए हमको सेन्टी करके ठाकुर साहब
की तरह रुलाओगे क्या,
आर्डर का मुखड़ा तो डाक्टर साहब के
ससुर जी के लैपटाप में ही देखने को
मिलेगा जी
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कल की सुनवाई का असली सच ।
मिश्राजी और ललित जी बैठे हुए हैं,
पसीने से लथपथ ओकिल श्री एम कृष्णा
अपने सिर पर एक बोरा लिए रुम में घुसते हैं ।
मिश्राजी बोले - इसमें क्या है जी !
ओकिल साहब बोले - हे डियर मी
लार्डेस्टतम ! इसमें गेहूं की बालियाँ हैं,
हम सीला बीन रहे थे कि अचानक से
नोटिस आ गया कि कल तारीख है,
अतः हम दौड़ते चले आए ।
ललित जी बोले - कौन सा गेहूं बोया था
और अब उस खेत में गन्ना करोगे या
गोभी !
ओकिल साहब बोले - गेहूं कम निकला है
जी क्योंकि गुल्ली डंडा और मबोली
खरपतवार बहुत हो गया था,
जबकि हमने आइसोप्रोट्युरान का स्प्रे
किया ।
मिश्राजी बोले - चौड़ी पत्ती के लिए
सल्फोसल्फ्यूरान छिड़कना था ।
तभी एक दूसरे ओकिल साहब दाखिल होते
हैं,
सिर पर गट्ठर लदा होने के कारण उनका
चेहरा साफ नहीं दिख सका ।
मिश्राजी बोले - इसमें क्या लाए हो जी
।
ओकिल साहब बोले - हे डियरेस्टम जी ।
इसमें रजाई, आमिर लोशन का कनस्तर,
छाता और मच्छरदानी है,
क्योंकि हमें लगा कि अब सुनवाई
कान्टिन्यु होगी,
जोकि अब से लेकर सर्दियों तक चल
सकती है,
अतः हम पूरे इंतजाम से आ लिए ।
ललित जी बोले - यह फालतू का बोझा
तो ले आए,
मगर हमने जो IA के आटे से बना सत्तू
मंगाया वह नहीं लाए ।
एक तीसरे ओकिल साहब मिश्राजी और
ललित जी के मुंह पे फोकस मार के अपनी
टार्च का लेंस एडजस्ट करने लगे,
मिश्राजी अत्यन्त ही क्रोधित होकर
बोले - यह क्या धृष्टता है !
ओकिल साहब झेंपते हुए बोले - हे डियर
योर आनर । एक बार किसी आर्डर में
लिक्खा था कि सुनवाई दिन रात
चलेगी,
अतः हमने टार्च का फोकसवा चेक
किया ।
.
फिर मिश्राजी और ललित जी ने ३-४
बार बारी-बारी से सब ओकिलों की
गिनती की,
मच्छरदानी वाले ओकिल साहब अत्यन्त
ही करुण भाव से बोले - हे डियर मी
लार्ड ! यह बार-बार क्यों गिन रहे हैं
हमको ।
मिश्राजी अत्यन्त ही शान्त भाव से
बोले - इस समय डेंगू और चिकुनगुनिया का
घनघोर प्रकोप चल रहा है,
अतः हम गिन के देख रहे कि सब पूरे हैं या
नहीं ।
तभी ललित जी बोले - सभी ओकिल ३-३
फिट आगे पीछे चल के दिखाएँ ।
गेहूं की बालियों वाले ओकिल साहब
बाल खुजलाते बोले - योर आनर जी ! अब
क्या हमारे घुटनों का साइनोवियल
फ्ल्यूड चेक होगा जी ।
मिश्राजी बोले - कुछ टेट नेताओं ने मैडम
तुसाद म्यूजियम के मिस्त्री से कान्टेक्ट
करके आप लोगों के पुतले तैयार करा लिए
हैं,
ताकि सिर्फ तांगे का किराया खर्च
करके पब्लिक को संतुष्ट किया जा सके
कि हमारे ओकिल साहब भी कोर्ट में खड़े
हुए ।
.
तभी सभी ओकिल साहब एक स्वर में ताल
ठोंकते हुए बोले - हे डियर मी लार्ड । अब
हम लड़ना शुरू करें क्या ।
मिश्राजी बोले - अरे नहीं नहीं । हमने
आज आपको सिर्फ इसलिए तारीख पे
बुलाया कि तारीखें वही रहेंगी ।
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तभी टार्च वाले ओकिल साहब बोले - हे
डियर योर आनर । चुपके से आर्डर का कुछ
हिस्सा दिखा दीजिए न पिलीज ।
मिश्राजी अत्यन्त ही विनम्र भाव से
बोले - ए हमको सेन्टी करके ठाकुर साहब
की तरह रुलाओगे क्या,
आर्डर का मुखड़ा तो डाक्टर साहब के
ससुर जी के लैपटाप में ही देखने को
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