राज्यकर्मियों व पेंशनरों को कैशलेस इलाज, राज्य कर्मचारी निर्धारित अस्पतालों में बिना पैसे मिलेगी की इलाज की सुविधा

राज्य ब्यूरो, लखनऊ : राज्य कर्मचारियों की पुरानी और पहली मांग को पूरी करते हुए शासन ने आखिरकार सोमवार को कैशलेस इलाज का आदेश जारी कर दिया। इस आदेश पर अमल से राज्य कर्मचारी निर्धारित
अस्पतालों में बिना पैसे दिए इलाज की सुविधा प्राप्त कर सकेंगे।
पिछले दिनों मुख्य सचिव दीपक सिंघल के साथ बनी सहमति के बाद जारी हुए आदेश को कर्मचारी नेताओं ने जहां स्वागत योग्य कदम बताया, वहीं संगठनों के बीच इसके श्रेय को लेकर खींचतान भी शुरू हो गई।1प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण अरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि राज्य कर्मचारियों व सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारियों (पेंशनरों) को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रमुख सचिव वित्त की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था। समिति ने कर्मचारियों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराए जाने पर सकारात्मक संस्तुति की थी। इसी के बाद शासन ने राज्य कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का फैसला लिया है। प्रमुख सचिव ने बताया कि इस संबंध में सोमवार को आदेश जारी कर दिया गया है।
कैशलेस इलाज सहित अन्य मांगों को लेकर पिछले दिनों हड़ताल और इससे पहले सचिवालय का घेराव करने वाले राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने इसे संघर्ष की विजय ठहराते हुए शासन को धन्यवाद दिया। वहीं कर्मचारियों के अन्य गुटों ने कहा कि यह आदेश किसी एक गुट के प्रयासों का नतीजा नहीं है। परिषद के एक अन्य गुट के अध्यक्ष एसपी तिवारी व महामंत्री आरके निगम ने कहा कि सभी के द्वारा यह मांग 2010 से की जा रही थी, इसलिए यह सभी के प्रयासों का नतीजा है। उन्होंने ईएसआइ के सभी अस्पतालों को इस सुविधा से जोड़ने की मांग की है। उधर, शिक्षक कर्मचारी संयुक्त मोर्चे के प्रवक्ता सुशील कुमार बच्चा ने कहा कि 2011 से उनका मोर्चा इसे लेकर प्रयासरत था, जिसका नतीजा अब सामने आया। मोर्चा ने जल्द स्मार्ट कार्ड जारी करने और सभी 36 निगमों के कर्मचारियों को भी यह सुविधा देने की मांग की है।
15 दिन का था वादा : पिछले दिनों हुई हड़ताल के बाद मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने 15 दिन में कैशलेस इलाज का आदेश जारी करने का आश्वासन दिया था। इसी शर्त पर कर्मचारियों ने हड़ताल समाप्त की थी। 25 अगस्त को 15 दिन पूरे होने के बाद से अटकलों का दौर शुरू हो गया था। उधर आश्वासन पर हड़ताल स्थगित करने वाले कर्मचारी नेता भी वादाखिलाफी होने पर नए आंदोलन की तैयारी करने लगे। हालांकि आंदोलित कर्मचारियों के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने अगला आंदोलन शुरू करने से पहले कुछ दिन और इंतजार करने का मन बनाया था। यह इंतजार काम आया।
हाई कोर्ट का भी था दबाव : कैशलेस इलाज का आदेश जारी कराने के लिए एक ओर कर्मचारियों का आंदोलन था तो उधर हाईकोर्ट का भी दबाव काम आया। नवंबर 2013 में इसी मांग को लेकर कर्मचारियों व सरकार के बीच चल रहे टकराव के बाद हाईकोर्ट में शासन ने जिन चार मांगों को पूरा करने का करार किया था, उसमें कैशलेस इलाज की मांग भी शामिल थी। शासन ने तब इसे लेकर न्यायालय में शपथ पत्र भी दिया था। मई 2014 में चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग ने कैशलेस इलाज की सुविधा देने में आ रही कठिनाइयों पर शपथ पत्र दिया, जिस पर कोर्ट ने फिर विचार सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। अगस्त 2014 में शासन ने बीपीएल परिवारों की तरह राज्य कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधा देने की नियमावली जारी की तो कोर्ट ने फिर कैशलेस इलाज की ही सुविधा देने का आदेश दिया। इसी के बाद मुख्य सचिव ने प्रमुख सचिव वित्त की अध्यक्षता में समिति गठित की, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद कैशलेस इलाज का आदेश जारी कर दिया गया।
बधाई दी : राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी, कार्यवाहक अध्यक्ष भूपेश अवस्थी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष यदुवीर सिंह, चेयरमैन संघर्ष समिति शिवबरन सिंह यादव व महामंत्री अतुल मिश्र सहित सभी पदाधिकारियों ने लंबे संघर्ष के बाद सुविधा प्रदान किए जाने पर प्रदेश के सभी कर्मचारियों को बधाई दी है।राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि आदेश जारी होने के बाद अब परिचर्या नियमावली बनाकर इसे लागू किया जाएगा। इसके तहत एटीएम कार्ड जैसे स्मार्ट कार्ड के जरिए प्रदेश के लाखों सेवारत व सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारी और अधिकारी चिन्हित निजी अस्पतालों में कैशलेस चिकित्सा करा सकेंगे। तिवारी ने बताया कि इस दायरे में आने वाले बड़े निजी अस्पतालों में मुंबई का टाटा मेमोरियल अस्पताल भी शामिल होगा। यह सुविधा मिलने से कर्मचारियों को अब इलाज से पहले काफी मात्र में धन इकट्ठा करने और बाद में भुगतान कराने में आने वाली परेशानियों से राहत मिल सकेगी।

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