आगरा। बीएड की फर्जी मार्कशीट से सरकारी शिक्षक की
नौकरी करने वालों पर बड़ी गाज गिरने वाली है। ऐसे सरकारी शिक्षकों की सूची
तैयार हुई है, जो कई सालों से नौकरी कर रहे थे।
आगरा और फिरोजाबाद से 234 शिक्षकों की सूची तैयार हुई है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद इन पर एफआईआर कराई जा रही है और इनसे सरकारी धन की वसूली की कार्रवाई के लिए भी मांग की जा रही है। बीएसए ने सूची तैयार कराकर शासन को भेज दी है। गौरतलब है कि आगरा के डॉ.भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में सत्र 2004.05 में 4750 बीएड के अंकपत्रों में हेरफेर पाया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने एसआईटी का गठन किया था।
निकाय चुनाव के बाद सात दिन में कार्रवाई
निकाय चुनाव के बाद परिषदीय स्कूलों में शासन ने फर्जी शिक्षकों पर एफआईआर के आदेश दिए हैं। शासन के आदेश के बाद फर्जी सरकारी शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है। फर्जी पाए जाने पर इन शिक्षकों से वेतन भी वसूला जाएगा। वहीं माना जा रहा है कि ऐसे शिक्षकों को कोर्ट द्वारा दंडित भी किया जा सकता है। यदि रिकवरी की गई, तो एक अनुमान के मुताबिक इनसे करीब 70 लाख रुपये तक वसूले जाएंगे। निकाय चुनाव के बाद एक सप्ताह में स्पष्टीकरण देना होगा। गौरतलब है कि साल 2004 के बाद बीएड के ऐसे कई छात्र सरकारी शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं। जब भर्ती हुई थी उस समय के शिक्षकों का वर्तमान में जो वेतन हैं, वो करीब पचास हजार रुपये से अधिक हैं। ऐसे में जांच प्रक्रिया में दोषी पाए जाने पर करीब 70 लाख रुपये तक उनसे वसूल किए जा सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि कर्मचारियों के साथ मिलकर ऐसे फर्जी शिक्षकों ने अधिकारियों से सांठगांठ करने की जुगत बिठाना भी शुरू कर दिया है। शिक्षक संघ के सचिव राजीव वर्मा का इस मामले पर कहना है कि जिन शिक्षकों ने योग्यता वाले शिक्षकों का हक छीना है और सरकारी प्रणाली के साथ खिलवाड़ किया है, ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। प्राथमिक शिक्षक संघ इस मामले में विभाग की हर संभव मदद करेगा।
उम्रकैद भी हो सकती है ऐसे फर्जी शिक्षकों पर
बेसिक शिक्षा अधिकारी अर्चना गुप्ता का कहना है कि शासन से मिले आदेश का पालन किया जाएगा। निकाय चुनाव के बाद पूरी कार्रवाई की जाएगी। विश्वविद्यालय के सूत्रों की मानें तो कर्मचारियों ने उस समय अपने रिश्तेदार और सगे संबंधियों को ऐसे मार्कशीट उपलब्ध कराई थीं, जिनके जरिए उनके रिश्तेदारों ने परिषदीय स्कूलों में सरकारी शिक्षकों की नौकरी हासिल की थी। जिन शिक्षकों की डिग्री फर्जी मामले से जुड़ी है, उन्हें चिन्हित किया गया है। अधिवक्ताओं का कहना है कि यदि जांच में फर्जी कागजात मिलते हैं, तो उन पर वेतन की रिकवरी के साथ उम्रकैद की सजा का प्रावधान है और विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज हो सकता है।
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आगरा और फिरोजाबाद से 234 शिक्षकों की सूची तैयार हुई है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद इन पर एफआईआर कराई जा रही है और इनसे सरकारी धन की वसूली की कार्रवाई के लिए भी मांग की जा रही है। बीएसए ने सूची तैयार कराकर शासन को भेज दी है। गौरतलब है कि आगरा के डॉ.भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में सत्र 2004.05 में 4750 बीएड के अंकपत्रों में हेरफेर पाया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने एसआईटी का गठन किया था।
निकाय चुनाव के बाद सात दिन में कार्रवाई
निकाय चुनाव के बाद परिषदीय स्कूलों में शासन ने फर्जी शिक्षकों पर एफआईआर के आदेश दिए हैं। शासन के आदेश के बाद फर्जी सरकारी शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है। फर्जी पाए जाने पर इन शिक्षकों से वेतन भी वसूला जाएगा। वहीं माना जा रहा है कि ऐसे शिक्षकों को कोर्ट द्वारा दंडित भी किया जा सकता है। यदि रिकवरी की गई, तो एक अनुमान के मुताबिक इनसे करीब 70 लाख रुपये तक वसूले जाएंगे। निकाय चुनाव के बाद एक सप्ताह में स्पष्टीकरण देना होगा। गौरतलब है कि साल 2004 के बाद बीएड के ऐसे कई छात्र सरकारी शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं। जब भर्ती हुई थी उस समय के शिक्षकों का वर्तमान में जो वेतन हैं, वो करीब पचास हजार रुपये से अधिक हैं। ऐसे में जांच प्रक्रिया में दोषी पाए जाने पर करीब 70 लाख रुपये तक उनसे वसूल किए जा सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि कर्मचारियों के साथ मिलकर ऐसे फर्जी शिक्षकों ने अधिकारियों से सांठगांठ करने की जुगत बिठाना भी शुरू कर दिया है। शिक्षक संघ के सचिव राजीव वर्मा का इस मामले पर कहना है कि जिन शिक्षकों ने योग्यता वाले शिक्षकों का हक छीना है और सरकारी प्रणाली के साथ खिलवाड़ किया है, ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। प्राथमिक शिक्षक संघ इस मामले में विभाग की हर संभव मदद करेगा।
उम्रकैद भी हो सकती है ऐसे फर्जी शिक्षकों पर
बेसिक शिक्षा अधिकारी अर्चना गुप्ता का कहना है कि शासन से मिले आदेश का पालन किया जाएगा। निकाय चुनाव के बाद पूरी कार्रवाई की जाएगी। विश्वविद्यालय के सूत्रों की मानें तो कर्मचारियों ने उस समय अपने रिश्तेदार और सगे संबंधियों को ऐसे मार्कशीट उपलब्ध कराई थीं, जिनके जरिए उनके रिश्तेदारों ने परिषदीय स्कूलों में सरकारी शिक्षकों की नौकरी हासिल की थी। जिन शिक्षकों की डिग्री फर्जी मामले से जुड़ी है, उन्हें चिन्हित किया गया है। अधिवक्ताओं का कहना है कि यदि जांच में फर्जी कागजात मिलते हैं, तो उन पर वेतन की रिकवरी के साथ उम्रकैद की सजा का प्रावधान है और विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज हो सकता है।
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