इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य विधि अधिकारियों की आबद्धता (नियुक्ति) की प्रक्रिया और मानक के साथ प्रमुख सचिव न्याय व विधि परामर्शी को 27 नवंबर को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया
है। कोर्ट ने इसके साथ ही होम्योपैथिक मेडिकल बोर्ड के गठन की पूरी जानकारी न देने पर सचिव आयुर्वेदिक व यूनानी को तलब किया है।1यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने डा. जगदीश सिंह यादव की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने होम्योपैथिक मेडिकल बोर्ड के गठन के बाबत स्थायी अधिवक्ता को जानकारी प्राप्त करने का आदेश दिया था। विभाग के सचिव की तरफ से जानकारी दी गई कि बोर्ड के गठन की अधिसूचना जारी कर दी गई है। गठन की प्रक्रिया जारी है, जबकि यह नहीं बताया कि कितने समय में बोर्ड गठित होगा।
कोर्ट ने जब सरकारी वकील से बोर्ड गठन के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने विभाग से मिली जानकारी का पत्र कोर्ट की तरफ बढ़ाया। इस पर कोर्ट ने पूछा कि हलफनामा दाखिल न करने से याची इसका जवाब कैसे देगा तो सरकारी वकील ने कहा कि इंस्ट्रक्शन (निर्देश) की प्रति याची अधिवक्ता को भी दे दी गई है। कोर्ट ने कहा कि सरकारी वकील और विभाग के बीच पत्रचार विशेषीकृत होता है। उसे दूसरे पक्ष को नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कैसे वकील नियुक्त किए हैं, जिन्हें कोर्ट की सुनवाई प्रक्रिया की ही जानकारी नहीं है।
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है। कोर्ट ने इसके साथ ही होम्योपैथिक मेडिकल बोर्ड के गठन की पूरी जानकारी न देने पर सचिव आयुर्वेदिक व यूनानी को तलब किया है।1यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने डा. जगदीश सिंह यादव की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने होम्योपैथिक मेडिकल बोर्ड के गठन के बाबत स्थायी अधिवक्ता को जानकारी प्राप्त करने का आदेश दिया था। विभाग के सचिव की तरफ से जानकारी दी गई कि बोर्ड के गठन की अधिसूचना जारी कर दी गई है। गठन की प्रक्रिया जारी है, जबकि यह नहीं बताया कि कितने समय में बोर्ड गठित होगा।
कोर्ट ने जब सरकारी वकील से बोर्ड गठन के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने विभाग से मिली जानकारी का पत्र कोर्ट की तरफ बढ़ाया। इस पर कोर्ट ने पूछा कि हलफनामा दाखिल न करने से याची इसका जवाब कैसे देगा तो सरकारी वकील ने कहा कि इंस्ट्रक्शन (निर्देश) की प्रति याची अधिवक्ता को भी दे दी गई है। कोर्ट ने कहा कि सरकारी वकील और विभाग के बीच पत्रचार विशेषीकृत होता है। उसे दूसरे पक्ष को नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कैसे वकील नियुक्त किए हैं, जिन्हें कोर्ट की सुनवाई प्रक्रिया की ही जानकारी नहीं है।
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