जागरण संवाददाता, सोनभद्र : जिले में फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी
करने का एक और मामला प्रकाश में आया है।
फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर प्राथमिक विद्यालय सुगवामान में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात होकर नौकरी करने वाले शिक्षक की जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने नियुक्ति एवं पदस्थापन निरस्त कर दिया है। उक्त शिक्षक पिछड़ा वर्ग का होते हुए भी अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी कर रहा था।
शिक्षा विभाग के अनुसार मीरजापुर जनपद के राजगढ़ भीटी गांव निवासी शशिकर ने वर्ष 2010 में हुई सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में जिले से आवेदन किया था। आवेदन के दौरान उसने अपने को अनुसूचित जाति में खरवार जाति का बताते हुए प्रमाण पत्र लगाया। दुद्धी ब्लाक के सुगवामान प्राथमिक विद्यालय में नियुक्ति के कुछ दिन बाद इसकी शिकायत हुई तो जांच करायी जाने लगी। जांच में प्रथम ²ष्टया शिकायत सही मिलने पर और गहनता से मामले की जांच करायी जाने लगी। यह मामला न्यायालय में भी चला। इसके बाद राज्यस्तरीय स्क्रूटनी कमेटी ने जांच की तो शिकायत सही मिली। जांच में पता चला कि शशिकर पिछड़े वर्ग कहार जाति के हैं। जबकि इन्होंने गलत तरीके से अनुसूचित जाति वर्ग के खरवार जाति का का प्रमाण पत्र लगाया है। ऐसे में कमेटी की जांच आख्या के आधार पर उनकी नियुक्ति एवं पदस्थापन निरस्त कर दिया गया। इस जांच में तहसीलदार और संबंधित ग्राम प्रधान से भी रिपोर्ट ली जा चुकी है।
बोले अधिकारी..
फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी हथियाने की शिकायत हुई थी। शिकायत की जांच हुई तो पता चला कि उक्त शिक्षक पिछड़े वर्ग की जाति से हैं। जबकि उसने नौकरी हासिल करने के लिए खरवार जाति जो अनुसूचित जाति में आते हैं, उसका प्रमाण पत्र लगाया है। इस आधार पर उनकी नियुक्ति एवं पदस्थापन दोनों निरस्त कर दिया गया है।
-डा. गोरखनाथ पटेल, बीएसए-सोनभद्र।
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फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर प्राथमिक विद्यालय सुगवामान में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात होकर नौकरी करने वाले शिक्षक की जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने नियुक्ति एवं पदस्थापन निरस्त कर दिया है। उक्त शिक्षक पिछड़ा वर्ग का होते हुए भी अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी कर रहा था।
शिक्षा विभाग के अनुसार मीरजापुर जनपद के राजगढ़ भीटी गांव निवासी शशिकर ने वर्ष 2010 में हुई सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में जिले से आवेदन किया था। आवेदन के दौरान उसने अपने को अनुसूचित जाति में खरवार जाति का बताते हुए प्रमाण पत्र लगाया। दुद्धी ब्लाक के सुगवामान प्राथमिक विद्यालय में नियुक्ति के कुछ दिन बाद इसकी शिकायत हुई तो जांच करायी जाने लगी। जांच में प्रथम ²ष्टया शिकायत सही मिलने पर और गहनता से मामले की जांच करायी जाने लगी। यह मामला न्यायालय में भी चला। इसके बाद राज्यस्तरीय स्क्रूटनी कमेटी ने जांच की तो शिकायत सही मिली। जांच में पता चला कि शशिकर पिछड़े वर्ग कहार जाति के हैं। जबकि इन्होंने गलत तरीके से अनुसूचित जाति वर्ग के खरवार जाति का का प्रमाण पत्र लगाया है। ऐसे में कमेटी की जांच आख्या के आधार पर उनकी नियुक्ति एवं पदस्थापन निरस्त कर दिया गया। इस जांच में तहसीलदार और संबंधित ग्राम प्रधान से भी रिपोर्ट ली जा चुकी है।
बोले अधिकारी..
फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी हथियाने की शिकायत हुई थी। शिकायत की जांच हुई तो पता चला कि उक्त शिक्षक पिछड़े वर्ग की जाति से हैं। जबकि उसने नौकरी हासिल करने के लिए खरवार जाति जो अनुसूचित जाति में आते हैं, उसका प्रमाण पत्र लगाया है। इस आधार पर उनकी नियुक्ति एवं पदस्थापन दोनों निरस्त कर दिया गया है।
-डा. गोरखनाथ पटेल, बीएसए-सोनभद्र।
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