रतापगढ़। बेसिक शिक्षा विभाग को करोड़ों रुपये का चूना
लगाने वाले फर्जी शिक्षामित्रों के वेतन भुगतान मामले में लेखा विभाग की
भूमिका संदिग्ध है। कदम-कदम पर अभिलेख मांगने वाले लेखा विभाग ने समायोजित
शिक्षामित्रों से बगैर मूल विद्यालय की सूची मांगे ही वेतन का भुगतान कर
दिया।
जिले के प्राइमरी स्कूलों में बगैर
शिक्षामित्र बने ही सहायक अध्यापक बनने वालों के फर्जीवाड़े की पोल खुलने
पर लेखा विभाग में हड़कंप मच गया है। वित्त एवं लेखा अधिकारी कार्यालय में
तैनात कर्मचारी वैसे तो शिक्षकों के सभी कार्यों के लिए अभिलेख मांगते हैं।
मगर सहायक अध्यापक बनने वालों के वेतन भुगतान के पहले उनसे मूल स्कूलों की
सूची मांगी होती तो इस फर्जीवाड़े का खुलासा पहले ही हो जाता। मगर लेखा
विभाग के ऐसा नहीं करने से फर्जीवाड़े में विभाग को करोड़ों रुपये का चूना
लगा दिया।
पहले चरण में एक अगस्त 2014 को तैनाती पाने वालों को 35 माह का वेतन भुगतान किया गया है, जबकि दूसरे चरण में एक मई 2015 में तैनाती पाने वालों को 26 माह का वेतन भुगतान किया गया है। जुलाई 2017 में जिस समय सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन रद्द किया था, उस समय प्रथम चरण के शिक्षामित्रों का वेतन 41,000 रुपये की सीमा पार कर चुका था। इससे आंकलन किया जा सकता है, वेतन भुगतान में शिक्षामित्रों ने करोड़ों रुपये चूना लगाया है। वहीं बीएसए का कहना है कि जब तक जांच रिपोर्ट नहीं आती है, तब तक कुछ कहना ठीक नहीं है। 165 शिक्षामित्रों की सूची सार्वजनिक इसीलिए की गई है कि अगर कहीं विभागीय स्तर से गलती हुई है, तो वह व्यक्ति स्वंय उपस्थित होकर अपने मूल विद्यालय का प्रमाणपत्र दे सकता है।- बीएन सिंह, बीएसए।
पहले चरण में एक अगस्त 2014 को तैनाती पाने वालों को 35 माह का वेतन भुगतान किया गया है, जबकि दूसरे चरण में एक मई 2015 में तैनाती पाने वालों को 26 माह का वेतन भुगतान किया गया है। जुलाई 2017 में जिस समय सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन रद्द किया था, उस समय प्रथम चरण के शिक्षामित्रों का वेतन 41,000 रुपये की सीमा पार कर चुका था। इससे आंकलन किया जा सकता है, वेतन भुगतान में शिक्षामित्रों ने करोड़ों रुपये चूना लगाया है। वहीं बीएसए का कहना है कि जब तक जांच रिपोर्ट नहीं आती है, तब तक कुछ कहना ठीक नहीं है। 165 शिक्षामित्रों की सूची सार्वजनिक इसीलिए की गई है कि अगर कहीं विभागीय स्तर से गलती हुई है, तो वह व्यक्ति स्वंय उपस्थित होकर अपने मूल विद्यालय का प्रमाणपत्र दे सकता है।- बीएन सिंह, बीएसए।
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