अमर उजाला ब्यूरो प्रतापगढ़ जिले के प्राइमरी स्कूलों में बगैर शिक्षामित्र बने ही सहायक अध्यापक के रूप में तैनाती पाने वाले 165 लोगों की सूची रविवार को बेसिक शिक्षा विभाग की आेर से सार्वजनिक कर दी गई।
विभ्ााग के इस कदम से हड़कंप मच हुआ है। इधर बीएसए ने इस पूरे फर्जीवाड़े की जांच के लिए खंड शिक्षा अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें कहा गया है कि प्रकरण की जांच कर वे अपनी रिपोर्ट तीन दिन के अंदर प्रस्तुत करें।
बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षामित्रों के समायोजन में हुए खेल का खुलासा होने पर विभाग में हड़कंप मच गया है। बीएसए ने ऐेसे 165 लोगों की सूची सार्वजनिक कर दी है, जो संदेह के घेरे में हैं। रविवार को खंड शिक्षा अधिकारियों को सूची सौंपकर तीन दिन के अंदर रिपोर्ट तलब की है। वह स्कूल में पहुंचकर ग्राम शिक्षा समितियों में हुए प्रस्ताव से सूची में चिह्नित शिक्षामित्रों का मिलान करेंगे और हेडमास्टर से अभिलेख एकत्रित करेंगे। इधर संदेह के दायरे में आए लोगों की सूची सार्वजनिक होने से अवैध तैनाती पाने वालों के होश उड़ गए हैं। वे बचाव के तरीके खोज रहे हैं, मगर उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। इनमें अधिकांश ऐसे हैं, जो वर्तमान में तैनात स्कूल से कार्यमुक्त तो हो गए हैं, मगर उनका कोई मूल स्कूल नहीं होने के कारण वह अपना साक्ष्य मिटाने में जुटे हुुए हैं। मगर विभाग ने भी सावधानी बरतते हुए सभी अभिलेखों को अपने कब्जे में ले लिया है। फिलहाल जब तक खंड शिक्षा अधिकारियों की रिपोर्ट नहीं आ जाती है, तब तक बीएसए खुलकर नहीं बोल पा रहे हैं।
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विभ्ााग के इस कदम से हड़कंप मच हुआ है। इधर बीएसए ने इस पूरे फर्जीवाड़े की जांच के लिए खंड शिक्षा अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें कहा गया है कि प्रकरण की जांच कर वे अपनी रिपोर्ट तीन दिन के अंदर प्रस्तुत करें।
बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षामित्रों के समायोजन में हुए खेल का खुलासा होने पर विभाग में हड़कंप मच गया है। बीएसए ने ऐेसे 165 लोगों की सूची सार्वजनिक कर दी है, जो संदेह के घेरे में हैं। रविवार को खंड शिक्षा अधिकारियों को सूची सौंपकर तीन दिन के अंदर रिपोर्ट तलब की है। वह स्कूल में पहुंचकर ग्राम शिक्षा समितियों में हुए प्रस्ताव से सूची में चिह्नित शिक्षामित्रों का मिलान करेंगे और हेडमास्टर से अभिलेख एकत्रित करेंगे। इधर संदेह के दायरे में आए लोगों की सूची सार्वजनिक होने से अवैध तैनाती पाने वालों के होश उड़ गए हैं। वे बचाव के तरीके खोज रहे हैं, मगर उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। इनमें अधिकांश ऐसे हैं, जो वर्तमान में तैनात स्कूल से कार्यमुक्त तो हो गए हैं, मगर उनका कोई मूल स्कूल नहीं होने के कारण वह अपना साक्ष्य मिटाने में जुटे हुुए हैं। मगर विभाग ने भी सावधानी बरतते हुए सभी अभिलेखों को अपने कब्जे में ले लिया है। फिलहाल जब तक खंड शिक्षा अधिकारियों की रिपोर्ट नहीं आ जाती है, तब तक बीएसए खुलकर नहीं बोल पा रहे हैं।
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