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शिक्षामित्रों को नहीं मिल रहा 10 हजार वेतन, यूपी सरकार को अब बड़ा झटका देने की तैयारी

हाथरस। आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसियेशन के जिलाध्यक्ष ब्रजेश वशिष्ठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि शिक्षामित्रों के साथ शत्रुओं की तरह बर्ताव करना बन्द करें, क्योंकि बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की कमी के चलते व छात्र शिक्षक अनुपात को व्यवस्थित करते हुये पूर्ववती भाजपा सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने शिक्षामित्रों की भर्ती की थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से बेसिक योजना के तहत कार्यरत शिक्षामित्रों को विगत अगस्त माह से मानदेय की ग्रांट आवंटित न किए जाने के कारण अब तक मानदेय नहीं मिला पाया है। जबकि कई बार जिलों से मांग की गई है।
समायोजन हुआ निरस्त
सुप्रीम कोर्ट के 25 जुलाई 2017 के आदेश का पालन करते हुये उत्तर प्रदेश शासन ने शिक्षामित्रों के सहायक पद पर हुए समायोजन को निरस्त करते हुए, शिक्षामित्र के पद पर मानते हुये अगस्त माह से 10 हजार रूपये मानदेय दिये जाने के आदेश तो जारी कर दिए, किन्तु शिक्षामित्रों को न तो मूल विद्यालय में वापिसी का और ना ही ऐच्छिक विद्यालय का विकल्प चुनने का मौका दिया जा रहा है, जिससे शिक्षामित्रों को 100-150 किमी दूरी का सफर रोजाना तय मोटरसाइकिलों से करना पड़ रहा है। जिससे कई घटनायें अब तक हो चुकी हैं। जिससे शिक्षामित्रों में शासन व विभाग के प्रति आक्रोश व्याप्त है।
बकाया का भी नहीं भुगतान
जिलाध्यक्ष ब्रजेश वशिष्ठ ने कहा है कि सातवें वेतनमान का 1 जनवरी 2016 से जुलाई 2017 तक का अवशेष बकाया है। 26 जुलाई से 31 जुलाई 2017 का अवशेष वेतन, दीपावली का बोनस आदि के बिल सादाबाद , सहपऊ व हाथरस को छोड़कर किसी भी ब्लाक में अभी तक प्रस्तुत नहीं किए हैं, जिससे भुगतान नहीं हो पा रहा है। सर्वशिक्षा अभियान के तहत कार्यरत शिक्षामित्रों को हसायन ब्लॉक को छोड़कर समय से ब्लाकों से उपस्थिति न भेजने के कारण अक्टूबर का भी मानदेय अन्य ब्लॉकों के शिक्षामित्रों को अभी तक नहीं मिल पाया है, नवम्बर माह का मिलना तो दूर की बात है, जबकि दिसम्बर माह शुरू हो चुका हैै।
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