इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में 68500 सहायक
अध्यापकों की भर्ती की वैधता की चुनौती वाली याचिका पर राज्य सरकार से 30
जनवरी तक जानकारी तलब की है। याचिका में 9 जनवरी 2018 के शासनादेश से शुरू
हुई भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी गयी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर
एसोसिएशन के चेयरमैन जितेन्द्र साही की याचिका पर दिया है। याचिका पर
अधिवक्ता केएस कुशवाहा ने बहस की।
याची का कहना है कि राज्य सरकार ने 165157 शिक्षामित्रों को सुप्रीम
कोर्ट के आदेशानुसार 10 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय पर नियुक्त करने का
फैसला लिया है। जिन्हें अगले दो वर्ष के भीतर टीईटी योग्यता हासिल करने का
अवसर दिया गया है। इसके अलावा संसद ने अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 की धारा
23(3) में संशोधन बिल पासकर यह व्यवस्था दी है कि 31 मार्च 2015 को जो भी
अप्रशिक्षित सहायक अध्यापक या जिस रूप में भी कार्यरत अध्यापक हैँ, उन्हें
2017 से चार वर्ष के भीतर योग्यता हासिल करने तक पद पर बने रहने का अधिकार
है। यह संशोधन कानून सुप्रीम कोर्ट के 25 जुलाई 2017 के फैसले के बाद आया
है।
याची का कहना है कि 2018 की सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल होने की
योग्यता स्नातक, प्रशिक्षित व टीईटी पास होना अनिवार्य है। याची संस्था के
सदस्य टीईटी पास नहीं है, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट व केंद्र सरकार के संशोधन
कानून से योग्यता हासिल करने की छूट दी गई है। यदि यह भर्ती की गयी तो
सुप्रीम कोर्ट के आदेश व संशोधन कानून की छूट अर्थहीन हो जाएगी।
शिक्षामित्रों की आयु सीमा में छूट का लाभ भी उन्हें नहीं मिल पाएगा। बाद
में पद खाली न रहने के कारण योग्यता हासिल करने के बाद भी शिक्षामित्रों को
लाभ नहीं मिलेगा। याचिका की सुनवाई 30 जनवरी को होगी।
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