लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी-टीईटी परीक्षा 2017 के
परिणाम से संबंधित उत्तरमाला के विवाद पर राज्य सरकार को विशेषज्ञ कमेटी
की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। कमेटी को यह रिपोर्ट देनी है
कि परीक्षा में पूछे गए प्रश्न व उनके उत्तर सही थे या गलत।
इसके पूर्व
सरकार ने
अपने जवाबी हलफनामे में विशेषज्ञों की जो रिपोर्ट्स कोर्ट में पेश की उससे कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई।
इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को होनी है। यह आदेश जस्टिस विवेक चैधरी की
बेंच ने मोहम्मद रिजवान व 103 अन्य की ओर से दाखिल एक याचिका पर पारित
किया। याचिका पर सरकार की ओर से जवाबी हलफनामे के साथ कुछ विशेषज्ञों की
रिपोर्ट भी पेश की गई। इस पर गौर करने के बाद कोर्ट ने पाया कि उनमें से एक
रिपोर्ट संयुक्त निदेशक, शिक्षा द्वारा दी गई है जो देहरादून से सेवानिवृत
हुए थे। कोर्ट ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि वह विषय के कितने विशेषज्ञ
हैं। कोर्ट ने रिपोर्ट्स पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इन पर कई लोगों के
हस्ताक्षर हैं जिसमें स्पष्ट नहीं होता कि इसके लिए कमेटी का गठन किया गया
अथवा एक व्यक्ति द्वारा ये रिपोर्ट्स दी गईं व अन्य लोगों द्वारा
प्रति-हस्ताक्षरित कर दी गई।
कोर्ट ने रिपोर्ट्स में विशेषज्ञों द्वारा किए दावे के समर्थन में कोई तथ्य
न दिए जाने पर भी टिप्पणी की। 12 जनवरी को मामले की सुनवाई के दौरान
सरकारी वकील ने तीन दिन का समय कमेटी की रिपोर्ट पेश करने के लिए मांगा।
जिस पर कोर्ट ने कमेटी की विस्तृत रिपोर्ट संबंधित दस्तावेजों के साथ पेश
करने का आदेश दिया। 17 जनवरी को मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से
पुन: समय दिए जाने की मांग की गई जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 19
जनवरी की तिथि निर्धारित की है।
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