“बिहार शिक्षक भर्ती विवाद जहाँ पिछले वर्ष के अंत में मा० उच्च
न्यायालय पटना ने समस्त शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन के लिए
आदेश किया था” वाद को लेकर बिहार सरकार विशेष अनुज्ञा याचिका में मा०
सर्वोच्च न्यायालय गई है |
जैसा कि आदेश पढ़ने के पश्चात आपको बताया था कि अगर यह याचिका पहले दिन
ख़ारिज हो गई तो बिहार सरकार पर बिहार राज्य के कुल आर्थिक बजट से कई
ज़्यादा आर्थिक बोझ पड़ेगा जो नीतीश कुमार झेल नहीं पाएँगे |
उसी बात से ही याचिका की शुरुआत भी की है जिसमें कहा है :-
जिस प्रकार का आदेश उच्च न्यायालय ने दिया है उससे 52000 crores तो हमें
अरियर के तौर पर देने होंगे 😝 और साथ ही 28000 crores का सालाना बजट हमें
केवल शिक्षकों की तनख़्वाह के लिए व्यय करना होगा 😂 जबकि आज की स्थिति में
सम्पूर्ण शिक्षा बजट 22,255 crores का है जिसमें से कुल 9700 crores
शिक्षकों के वेतन भुगतान में होता है | 😜
महत्वपूर्ण बात है कि जितने शिक्षकों के लिए आदेश हुआ है समान मानकर समान वेतन का वे समान नहीं हैं | 🕉
विकट स्थिति को देखते हुए पटना उच्च न्यायालय का ये आदेश 90% स्टे होगा और
ये विवाद लम्बा चलकर शिक्षकों की व्याख्या के बिना नहीं सुलझेगा जिसमें
dying cadre जो कि RTE act से पूर्व बिहार सरकार ने सरकारी शिक्षकों के लिए
किया था और act पारित होने के पश्चात भी चला आ रहा है के ख़िलाफ़ पूर्ण
योग्यता रखने वाले शिक्षकों का स्टैंड करना आवश्यक है |
फ़िलहाल नीतीश कुमार जी कीशिक्षकों को slaves समझने की सम्पूर्ण घिनौनि सोच
पटना हाईकोर्ट से पूर्व शिक्षामंत्री एवं वरिष्ठ अधिवक्ता पी०के० शाही जी
ने रणनीति के तहत दिल्ली भिजवा ही दी है अब देखते हैं देश की सर्वोच्च
अदालत इसको कितने समय में सुलझाती है |
हर हर महादेव 🚩🚩🚩🚩🚩
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