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रोजगार की योजनाओं के लिए बढ़ सकता है बजट, सरकार पर बढ़ा दवाब

नौकरियों के मुद्दे पर विपक्ष की आलोचनाओं का सामना कर रही सरकार उन योजनाओं के आवंटन में अच्छी वृद्धि कर सकती है जिनसे युवाओं को रोजगार मिलता है। इन योजनाओं में मनरेगा से लेकर पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए चल रही योजनाएं शामिल हैं। 
सूत्रों ने कहा कि रोजगार सृजित
करने वाले कार्यक्रमों का बजट बढ़ना तय है। फिलहाल अलग-अलग मंत्रलयों में करीब आधा दर्जन ऐसी योजनाएं चल रही हैं जिनका सीधा संबंध रोजगार सृजन से है। इन योजनाओं के बजट में बड़ी वृद्धि होने का अनुमान है। सूत्रों ने कहा कि स्वरोजगार उपलब्ध कराने वाले कार्यक्रमों के बजट में भी बड़ी वृद्धि हो सकती है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और स्टैंड अप इंडिया कार्यक्रम के लिए चालू वित्त वर्ष के बजट में प्रत्येक को 520 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। सूत्रों ने कहा कि अगले साल के बजट में इसमें अच्छी वृद्धि की जा सकती है। इसी तरह सरकार श्रम और रोजगार मंत्रलय के अधीन नौकरियों और कौशल प्रशिक्षण तथा कामगारों की सामाजिक सुरक्षा के लिए आम बजट में वृद्धि कर सकती है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रलय के अधीन चलने वाले प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम का बजट भी बढ़ाकर करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपये किया जा सकता है। फिलहाल यह बजट एक हजार करोड़ रुपये के करीब है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की गारंटी देने वाले कार्यक्रम मनरेगा का आवंटन भी आगामी बजट में बढ़कर 55,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष में मनरेगा का बजट करीब 48,000 करोड़ रुपये है। नोटबंदी और जीएसटी जैसे कड़े आर्थिक सुधार लागू होने के बाद अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों की वृद्धि दर में सुस्ती आई है। इसके चलते रोजगार सृजन की रफ्तार पर भी असर पड़ा है। विपक्ष रोजगार सृजन के मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर है।



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