भर्तियों में हुए ‘खेल’ का राज उगलवाने की कोशिश की।
वहीं आयोग की परीक्षा समिति ने आपात प्रस्ताव तैयार कर सीबीआइ को दस्तावेज न सौंपने का निर्णय लिया है। गुरुवार को समिति ने टीम की कार्यवाही का विरोध किया। 1आयोग में दूसरे दिन पहुंची सीबीआइ टीम में आइपीएस राजीव रंजन समेत 15 से अधिक सदस्य रहे। कंप्यूटर विशेषज्ञों को तो सुबह करीब साढ़े आठ बजे ही आयोग भेज दिया गया था, जबकि राजीव रंजन, सर्किट हाउस में कई प्रतियोगियों से शिकायतें लेने के बाद आयोग पहुंचे। सीबीआइ अब चार टीमों में बंटकर काम करने लगी है। सीधे परीक्षा विभाग पहुंची टीम ने कई कर्मचारियों को बुलाकर अकेले में उनसे बात की। कई सवाल भी किए जिसे गुप्त रखा गया है। यहां तक कि जिन कर्मियों से बात हुई उन्हें भी सीबीआइ ने हिदायत दी कि बातचीत उजागर करने पर उसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। टीम के कंप्यूटर विशेषज्ञों ने गोपन विभाग पहुंचकर कंप्यूटर अपने कब्जे में लिए। वहां काम कर रहे कर्मचारियों ने टीम से कहा कि उन्हें कंप्यूटर सौंपने का कोई आदेश नहीं है। यह सुनकर सीबीआइ अफसर हैरान रह गए। उन्होंने कर्मचारियों को डपट लगाई तभी आयोग के अहम शख्स ने बीच बचाव करना चाहा, सीबीआइ अफसरों ने उनकी भी एक न सुनी और विशेष शक्ति का इस्तेमाल कर दो कंप्यूटर जब्त कर लिया। विशेषज्ञों ने उसमें डाटा खंगाले। कई खामियां पाए जाने पर कंप्यूटरों को सील कर दिया। इसके अलावा कुछ कागजी अभिलेख भी जब्त किए हैं। पीसीएस, पीसीएस जे, लोअर सबॉर्डिनेट की 2011 से 2013 तक की उत्तर पुस्तिकाओं को नष्ट कर दिए जाने की जानकारी होने पर सीबीआइ ने उसकी नियमावली पूछी कि आखिर एक साल में उत्तर पुस्तिकाओं को नष्ट करने का नियम किसके आदेश पर बना। दोपहर में सीबीआइ के अधिकारी एक बार फिर प्रतियोगियों से सर्किट हाउस में मिले तथा दोबारा आयोग पहुंचने पर देर शाम तक गहन जांच पड़ताल करते रहे। वहीं, आयोग के सचिव जगदीश ने कहा है कि सीबीआइ अपने स्तर से जांच कर रही है। हम सभी उसका सहयोग कर रहे हैं और भविष्य में सहयोग करेंगे।
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