दिव्यांग कोटे से नौकरी पाए शिक्षक की सेवाएं समाप्त

 जागरण संवाददाता, चित्रकूट: परिषदीय विद्यालयों में वर्ष 2007-08 में दिव्यांग कोटे से शिक्षक की नौकरी पाए लोगों में खलबली मची हुई है। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि ऐसे लोगों को मेडिकल कराया जाए ताकि पता चले कि वे वाकई दिव्यांग हैं या नहीं।
बीएसए ने कहा कि इस आशय का पत्र आया है। ऐसे ही एक शिक्षक की सेवाएं समाप्त की जा चुकीं हैं। अंतर्जनपदीय स्थानांतरण वाले शिक्षकों के लिए संबंधित जिले के बीएसए को पत्र लिखा जा रहा है। जिले में तैनात ऐसे शिक्षकों को नोटिस जारी की जा रही है।
बता दें कि वर्ष 2007-08 में शिक्षकों की विशेष भर्ती में तमाम अभ्यर्थियों को दिव्यांग कोटे से प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक की नौकरी मिली थी। बाद में शासन स्तर पर शिकायतें भी हुई। मामला कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने निर्णय दिया कि इस सत्र में विशेष चयन के तहत दिव्यांग कोटे शिक्षक की नौकरी पाए लोगों का मेडिकल कराया जाए। हाल ही शासन के निर्देश पर बचे हुए लोगों का मेडिकल कराने की फिर से कवायद शुरू हुई है।

एक शिक्षक की सेवाएं समाप्त की

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आनंद प्रकाश शर्मा ने बताया कि एक शिक्षक का चयन वर्ष 2007-08 में दिव्यांग कोटे से हुआ था। उसकी तैनाती रामनगर क्षेत्र के एक प्राथमिक विद्यालय में थी। उन्होंने बताया कि उस शिक्षक को मेडिकल बोर्ड में भेजा गया था। वहां से दिव्यांगता असत्यापित पाए जाने की रिपोर्ट आने पर संबंधित शिक्षक को पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। संबंधित शिक्षक द्वारा नोटिस का जवाब आने के बाद उसकी सेवा समाप्ति कर दी गई। बीएसए के मुताबिक यहां से नियुक्त पाए दिव्यांग कोटे के ही दो शिक्षकों जिनका स्थानांतरण गैर जिले में होने पर उनका मेडिकल कराने के लिए संबंधित बीएसए को पत्र लिखा गया है। साथ ही एक अन्य जनपद के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का पत्र आया है। उस पत्र में यहां तैनात दो शिक्षकों का मेडिकल कराने का जिक्र किया गया है। उन दोनों को मेडिकल कराने के लिए नोटिस जारी की गई है। जिले में सत्र 2007-08 में दिव्यांग कोटे से नौकरी पाए लोगों की संख्या 21 थी लेकिन ज्यादातर शिक्षकों का मेडिकल हो चुका है।
sponsored links: