प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों के लिए बड़ी खबर है। 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले में सरकार की ओर से बढ़ाये गये कटऑफ के आदेश को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। इससे एक बार फिर अब शिक्षामित्रों के टीचर बनने के सपनों को पंख लग गये हैं। वहीं कम अंक पाकर टीचर बनने की दौड़ में शामिल अन्य अभ्यर्थियों का चयन अब मुश्किल हो जायेगा।
दरअसल योगी सरकार ने 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में क्वालीफाइंग अंक बढ़ा कर 60 व 65 प्रतिशत अंक कर दिया था। जिसके कारण कम अंक पाने वाले शिक्षामित्रों को सीधे तौर पर चयन प्रक्रिया से बाहर होने को विवश होना पड़ा। सरकार की इस फैसलों को शिक्षामित्रों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चैलेंज किया था। जिस पर बड़ा फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने सरकार के कटऑफ बढ़ाने के फैसले को रद्द कर दिया है।
क्या है मामला
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने प्राथमिक स्कूलों के लिए 69 हजार पदों पर सहायक अध्यापक भर्ती 1 दिसंबर को शुरू की। इस भर्ती में यूपी के उन शिक्षामित्रों को भी शामिल होना था, जिन्होंने समायोजन रद्द किये जाने के बाद टीईटी परीक्षा पास की थी। यह भर्ती विशेष तौर पर शिक्षामित्रों के लिए ही शुरू की गयी थी। इसके लिए 6 जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा हुई। बाद में 7 जनवरी को सरकार ने एक आदेश जारी किया। जिसके अनुसार इस भर्ती के लिए क्वालीफाइंग अंक का कट ऑफ बहुत अधिक बढ़ा दिया गया। इसके अनुसार सामान्य वर्ग के लिए 65 व ओबीसी के लिए 60 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स तय कर दिए गये। जबकि इस भर्ती से पहले हुई 68 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में 40 व 45 प्रतिशत क्वलीफाइंग अंक का कट ऑफ तय किया गया था। इस फैसले का असर सबसे पहले शिक्षामित्रों पर ही पड़ने वाला था। क्योंकि क्वालीफाइंग अंक अधिक होने के कारण अधिक संख्या में शिक्षामित्र पास नहीं हो सके और उनका टीचर बनने का मौका हाथ से फिसल रहा था। जबकि कम क्वालीफाइंग में वह अपने 25 अंक के वेटेज अंक के सहारे आसानी से नौकरी पा सकते थे। शिक्षामित्रों ने सरकार के इसी फैसले को चैलेंज किया, जिसमें शिक्षामित्रों को राहत मिल गयी है।
हाईकोर्ट ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने दर्जनों याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की और अचानक से बदले गये इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि आखिर सरकार को 20 प्रतिशत कट ऑफ क्यों बढ़ानी पड़ी यह तो समझ से ही परे है। ऐसा लगता है जैसे शिक्षामित्रों को भर्ती से बाहर करने के लिए ही सरकार ने कट ऑफ बढ़ाया था। हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों को दो मौका देने को कहा था और यह उनके लिये दूसरा मौका था, जिसे सरकार के इस तरह के फैसले से उनका अधिकार छीना जा रहा था। यह आदेश कानून के अनुरूप नहीं था। ना ही इसमें संवैधानिक नियमों का पालन किया गया था।
सरकार ने क्या दी दलील
हाईकोर्ट में सुवाई के दौरान कोर्ट के कड़े रूख को देखते हुए सरकार ने अपनी ओर से बचाव में दलील दी और बताया कि उनकी मंशा क्वालिटी एजुकेशन देने की ही और उसके लिये अच्छे अध्यापकों की आवश्यकता है। इसलिए अच्छे टीचर के चयन के लिए क्वालीफाइंग अंक की मेरिट बढ़ाई गयी थी। इसका लाभ बच्चों को शिक्षा के दौरान मिलता। सरकार ने यह भी दलील दी कि 68 हजार सहायक अध्यापक भर्ती की अपेक्षा इस भर्ती में 4 गुना अधिक अभ्यर्थी शामिल हुये थे। जिसके कारण भी कट ऑफ बढ़ाना आवश्यक था। हालांकि हाईकोर्ट ने सरकार की किसी भी दलील को वरीयता नहीं दी और शिक्षामित्रों के हक में फैसला सुनाते हुये 3 महीने के अंदर पुराने कट ऑफ के तहत भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है। यानी अब यह भर्ती 40 व 45 प्रतिशत क्वालीफाइंग अंक के जरिये बनने वाले रिजल्ट के आधार पर बनेगी। जिसमें अधिक संख्या में शिक्षामित्रों का चयन होना तय है। संभावना यह है कि जितने भी शिक्षामित्र पास होंगे वह वेटेज अंक का लाभ पाकर नौकरी पाने में सफल हो जायेंगे।
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दरअसल योगी सरकार ने 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में क्वालीफाइंग अंक बढ़ा कर 60 व 65 प्रतिशत अंक कर दिया था। जिसके कारण कम अंक पाने वाले शिक्षामित्रों को सीधे तौर पर चयन प्रक्रिया से बाहर होने को विवश होना पड़ा। सरकार की इस फैसलों को शिक्षामित्रों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चैलेंज किया था। जिस पर बड़ा फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने सरकार के कटऑफ बढ़ाने के फैसले को रद्द कर दिया है।
क्या है मामला
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने प्राथमिक स्कूलों के लिए 69 हजार पदों पर सहायक अध्यापक भर्ती 1 दिसंबर को शुरू की। इस भर्ती में यूपी के उन शिक्षामित्रों को भी शामिल होना था, जिन्होंने समायोजन रद्द किये जाने के बाद टीईटी परीक्षा पास की थी। यह भर्ती विशेष तौर पर शिक्षामित्रों के लिए ही शुरू की गयी थी। इसके लिए 6 जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा हुई। बाद में 7 जनवरी को सरकार ने एक आदेश जारी किया। जिसके अनुसार इस भर्ती के लिए क्वालीफाइंग अंक का कट ऑफ बहुत अधिक बढ़ा दिया गया। इसके अनुसार सामान्य वर्ग के लिए 65 व ओबीसी के लिए 60 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स तय कर दिए गये। जबकि इस भर्ती से पहले हुई 68 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में 40 व 45 प्रतिशत क्वलीफाइंग अंक का कट ऑफ तय किया गया था। इस फैसले का असर सबसे पहले शिक्षामित्रों पर ही पड़ने वाला था। क्योंकि क्वालीफाइंग अंक अधिक होने के कारण अधिक संख्या में शिक्षामित्र पास नहीं हो सके और उनका टीचर बनने का मौका हाथ से फिसल रहा था। जबकि कम क्वालीफाइंग में वह अपने 25 अंक के वेटेज अंक के सहारे आसानी से नौकरी पा सकते थे। शिक्षामित्रों ने सरकार के इसी फैसले को चैलेंज किया, जिसमें शिक्षामित्रों को राहत मिल गयी है।
हाईकोर्ट ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने दर्जनों याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की और अचानक से बदले गये इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि आखिर सरकार को 20 प्रतिशत कट ऑफ क्यों बढ़ानी पड़ी यह तो समझ से ही परे है। ऐसा लगता है जैसे शिक्षामित्रों को भर्ती से बाहर करने के लिए ही सरकार ने कट ऑफ बढ़ाया था। हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों को दो मौका देने को कहा था और यह उनके लिये दूसरा मौका था, जिसे सरकार के इस तरह के फैसले से उनका अधिकार छीना जा रहा था। यह आदेश कानून के अनुरूप नहीं था। ना ही इसमें संवैधानिक नियमों का पालन किया गया था।
सरकार ने क्या दी दलील
हाईकोर्ट में सुवाई के दौरान कोर्ट के कड़े रूख को देखते हुए सरकार ने अपनी ओर से बचाव में दलील दी और बताया कि उनकी मंशा क्वालिटी एजुकेशन देने की ही और उसके लिये अच्छे अध्यापकों की आवश्यकता है। इसलिए अच्छे टीचर के चयन के लिए क्वालीफाइंग अंक की मेरिट बढ़ाई गयी थी। इसका लाभ बच्चों को शिक्षा के दौरान मिलता। सरकार ने यह भी दलील दी कि 68 हजार सहायक अध्यापक भर्ती की अपेक्षा इस भर्ती में 4 गुना अधिक अभ्यर्थी शामिल हुये थे। जिसके कारण भी कट ऑफ बढ़ाना आवश्यक था। हालांकि हाईकोर्ट ने सरकार की किसी भी दलील को वरीयता नहीं दी और शिक्षामित्रों के हक में फैसला सुनाते हुये 3 महीने के अंदर पुराने कट ऑफ के तहत भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है। यानी अब यह भर्ती 40 व 45 प्रतिशत क्वालीफाइंग अंक के जरिये बनने वाले रिजल्ट के आधार पर बनेगी। जिसमें अधिक संख्या में शिक्षामित्रों का चयन होना तय है। संभावना यह है कि जितने भी शिक्षामित्र पास होंगे वह वेटेज अंक का लाभ पाकर नौकरी पाने में सफल हो जायेंगे।
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