LUCKNOW: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर
प्रदेश सरकार द्वारा सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 में कैंडीडेट्स के
लिए मिनिमम क्वालिफाइंग मार्क्स तय करने संबधी सात जनवरी 2019 को जारी
शासनादेश रद कर दिया है। कोर्ट ने सहायक शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में
40/45 कटऑफ मार्क्स को बरकरार रखते हुए 60/65 वाले कटऑफ वाले फॉर्मूले को
खारिज कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने तीन महीने के भीतर मेरिट बनाकर परिणाम
घोषित करने के आदेश भी दिए हैं।
शिक्षामित्रों में खुशी की लहर
कोर्ट ने पहले 2019 की भर्ती का परिणाम घोषित करने पर अंतरिम रोक लगा रखी थी, जिसे वापस लेते हुए सरकार को तीन महीने के भीतर रिजल्ट घोषित कर भर्ती प्रकिया पूरी करने का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश से शिक्षामित्रेंा में खुशी की लहर दौड़ गई है। कोर्ट ने कहा कि उक्त शासनादेश मनमाना है। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत ठहरने वाला नहीं है। यह आदेश जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने मोहम्मद रिजवान व अन्य समेत कुल 99 याचिकाओं को मंजूर करते हुए, पारित किया है।
2019 के शासनादेश को चुनौती
उक्त याचिकाओं में सचिव, बेसिक शिक्षा द्वारा जारी सात जनवरी 2019 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। इसमें छह जनवरी 2019 को हुई लिखित परीक्षा के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स 65 व 60 परसेंट कर दिया गया था। याचियों का कहना था कि लिखित परीक्षा होने के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स घोषित करना, विधि के सिद्धांतों के विरुद्ध है। याचियों का आरोप था कि शिक्षामित्रों को भर्ती से रोकने के लिए, सरकार ने पिछली परीक्षा की तुलना में इस बार अधिक क्वालिफाइंग मार्क्स घोषित कर दिए।
कोर्ट में सरकार का तर्क
सरकार की ओर से सात जनवरी के शासनादेश का बचाव करते हुए कहा गया कि क्वालिटी एजुकेशन के लिए उसके द्वारा यह निर्णय लिया गया है। यह भी तर्क दिया गया कि पिछली परीक्षा की तुलना में इस बार ज्यादा कैंडीडेट्स ने भाग लिया था। इसलिए भी क्वालिफाइंग मार्क्स बढ़ाना पड़ा। जबकि, याचियों की ओर से जवाब में कहा गया कि वे शिक्षामित्र हैं और उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा आगामी दो परीक्षाओं में 25 मार्क्स का वेटेज दिए जाने का निर्देश दिया गया था।
45 व 40 परसेंट तय किया गया था
साल 2018 की सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में क्वालिफाइंग मार्क्स 45 व 40 परसेंट तय किया गया था, जिसमें वे भाग ले चुके हैं। इस बार उनके लिए सहायक शिक्षक पद पर भर्ती होने का आखिरी मौका है लिहाजा इसका क्वालिफाइंग मार्क्स पिछली परीक्षा के अनुसार ही होना चाहिए। कोर्ट ने सुनवाई के बाद शासनादेश को निरस्त करने के साथ ही एक दिसंबर 2018 के शासनादेश व पांच दिसंबर 2018 के विज्ञापन के शर्तों के तहत और वर्ष 2018 की परीक्षा के अनुसार तीन माह में परिणाम घोषित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने चयन प्रक्रिया भी जल्द से जल्द पूरा करने के आदेश दिये हैं।
एक सीट पर 4 दावेदार, नतीजे चुनाव के बाद
कोर्ट के आदेश से भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों की तादाद काफी अधिक होने की उम्मीद है। सूत्रों की मानें तो अब 45 व 40 परसेंट कटऑफ होने से परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों की तादाद करीब 2।5 लाख से अधिक होने का अनुमान है। हर पद के लिए करीब चार दावेदार होंगे और उनमें से तीन को निराश होना पड़ेगा। हालांकि, लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण परिणाम अप्रैल व मई माह में नहीं आएगा। रिजल्ट की प्रक्रिया मई के अंत या जून में ही शुरू होने की उम्मीद है।
क्या है मामला
* एक दिसंबर को जारी हुआ 69 हजार शिक्षक भर्ती का शासनादेश।
* 4 लाख 31 हजार 466 कैंडीडेट्स ने आवेदन किया।
* 6 जनवरी को लिखित परीक्षा कराई गई।
* 4 लाख 10 हजार 440 कैंडीडेट्स पेपर में अपीयर हुए।
* शासन ने 7 जनवरी को भर्ती के लिए कटऑफ अंक जारी किया।
* इसमें सामान्य वर्ग का 65 परसेंट और आरक्षित वर्ग के लिए 60 परसेंट मार्क्स तय हुए।
* कटऑफ मार्क्स को हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में चुनौती।
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शिक्षामित्रों में खुशी की लहर
कोर्ट ने पहले 2019 की भर्ती का परिणाम घोषित करने पर अंतरिम रोक लगा रखी थी, जिसे वापस लेते हुए सरकार को तीन महीने के भीतर रिजल्ट घोषित कर भर्ती प्रकिया पूरी करने का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश से शिक्षामित्रेंा में खुशी की लहर दौड़ गई है। कोर्ट ने कहा कि उक्त शासनादेश मनमाना है। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत ठहरने वाला नहीं है। यह आदेश जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने मोहम्मद रिजवान व अन्य समेत कुल 99 याचिकाओं को मंजूर करते हुए, पारित किया है।
2019 के शासनादेश को चुनौती
उक्त याचिकाओं में सचिव, बेसिक शिक्षा द्वारा जारी सात जनवरी 2019 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। इसमें छह जनवरी 2019 को हुई लिखित परीक्षा के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स 65 व 60 परसेंट कर दिया गया था। याचियों का कहना था कि लिखित परीक्षा होने के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स घोषित करना, विधि के सिद्धांतों के विरुद्ध है। याचियों का आरोप था कि शिक्षामित्रों को भर्ती से रोकने के लिए, सरकार ने पिछली परीक्षा की तुलना में इस बार अधिक क्वालिफाइंग मार्क्स घोषित कर दिए।
कोर्ट में सरकार का तर्क
सरकार की ओर से सात जनवरी के शासनादेश का बचाव करते हुए कहा गया कि क्वालिटी एजुकेशन के लिए उसके द्वारा यह निर्णय लिया गया है। यह भी तर्क दिया गया कि पिछली परीक्षा की तुलना में इस बार ज्यादा कैंडीडेट्स ने भाग लिया था। इसलिए भी क्वालिफाइंग मार्क्स बढ़ाना पड़ा। जबकि, याचियों की ओर से जवाब में कहा गया कि वे शिक्षामित्र हैं और उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा आगामी दो परीक्षाओं में 25 मार्क्स का वेटेज दिए जाने का निर्देश दिया गया था।
45 व 40 परसेंट तय किया गया था
साल 2018 की सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में क्वालिफाइंग मार्क्स 45 व 40 परसेंट तय किया गया था, जिसमें वे भाग ले चुके हैं। इस बार उनके लिए सहायक शिक्षक पद पर भर्ती होने का आखिरी मौका है लिहाजा इसका क्वालिफाइंग मार्क्स पिछली परीक्षा के अनुसार ही होना चाहिए। कोर्ट ने सुनवाई के बाद शासनादेश को निरस्त करने के साथ ही एक दिसंबर 2018 के शासनादेश व पांच दिसंबर 2018 के विज्ञापन के शर्तों के तहत और वर्ष 2018 की परीक्षा के अनुसार तीन माह में परिणाम घोषित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने चयन प्रक्रिया भी जल्द से जल्द पूरा करने के आदेश दिये हैं।
एक सीट पर 4 दावेदार, नतीजे चुनाव के बाद
कोर्ट के आदेश से भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों की तादाद काफी अधिक होने की उम्मीद है। सूत्रों की मानें तो अब 45 व 40 परसेंट कटऑफ होने से परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों की तादाद करीब 2।5 लाख से अधिक होने का अनुमान है। हर पद के लिए करीब चार दावेदार होंगे और उनमें से तीन को निराश होना पड़ेगा। हालांकि, लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण परिणाम अप्रैल व मई माह में नहीं आएगा। रिजल्ट की प्रक्रिया मई के अंत या जून में ही शुरू होने की उम्मीद है।
क्या है मामला
* एक दिसंबर को जारी हुआ 69 हजार शिक्षक भर्ती का शासनादेश।
* 4 लाख 31 हजार 466 कैंडीडेट्स ने आवेदन किया।
* 6 जनवरी को लिखित परीक्षा कराई गई।
* 4 लाख 10 हजार 440 कैंडीडेट्स पेपर में अपीयर हुए।
* शासन ने 7 जनवरी को भर्ती के लिए कटऑफ अंक जारी किया।
* इसमें सामान्य वर्ग का 65 परसेंट और आरक्षित वर्ग के लिए 60 परसेंट मार्क्स तय हुए।
* कटऑफ मार्क्स को हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में चुनौती।
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