जैसा कि कल दिनांक - 29 मार्च को लखनऊ खण्ड पीठ के सिंगल बेंच के वरिष्ठ जज श्री राजेश सिंह चौहान जी के द्वारा शिक्षक भर्ती परीक्षा -2019 में पासिंग मार्क को लेकर कट आफ पर 40/45 फीसदी पर ही परिणाम निकालने का आदेश देना यूपी के पीड़ित टीईटी पास शिक्षामित्रों के लिए बहुत बड़ा राहत देने वाला फैसला हैं,
एक तरफ जहां, कोर्ट ने सरकार के 07 जनवरी -2019 के शासनादेश को मनमानी, संविधान के समानता के अधिकार के खिलाफ माना, वही बिना कैबिनेट के निर्णय लिये अधिकारियों की जबरदस्ती 20 फीसदी अधिक बढा़ने का दोषी भी माना है, अदालत ने अपने 148 पेज वाले आदेश में हर बिन्दु पर लताड़ा हैं, कहीं कोई ऐसा बिन्दु नहीं बचा हैं, जिसे सरकार पुनः डबल बेंच पर जा करके अपने द्वारा किये गये मनमानी व द्वेषपूर्ण निर्णय को सही साबित करने के लिए विधवा विलाप कर सकें, बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. प्रभात कुमार जी का कहना है कि कोर्ट के आदेश की प्रति का अध्ययन करने के पश्चात आगे कोई निर्णय लेगें*!
*बहरहाल अभी तो चुनावी आचार संहिता लगी हुई है, कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए तीन माह समय है, उक्त स्थिति में सरकार मई माह के अंत में या जून माह के प्रथम सप्ताह में शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम निकालने के लिए निर्णय ले सकती हैं लेकिन बीएड् धारियों का दबाव बनता देख सरकार भी डबल बेंच में भी जा सकती हैं, उक्त ऐतिहसिक फैसला को आसानी से पलटवाना मुश्किल होगा! इधर पीड़ित टीईटी पास शिक्षामित्रों ने भी सुप्रीम कोर्ट तक अपने विरोधियों को हर मोड़ पर झटका देने का दृढ़ संकल्प किया है, दिनांक - 01 अप्रैल को पीड़ित शिक्षामित्रों की तरफ से कैबिएट दाखिल हो सकती हैं, और आदेश की प्रमाणित कापी मिलते ही सरकार के सम्बन्धित सभी प्रमुखों को प्रति रिसिव कराई जाएगी, जिससे समय के अंदर कोर्ट के आदेश का पालन न होने की स्थिति में कोर्ट अवमानना की याचिका दाखिल की जा सके*!
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*बहरहाल अभी तो चुनावी आचार संहिता लगी हुई है, कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए तीन माह समय है, उक्त स्थिति में सरकार मई माह के अंत में या जून माह के प्रथम सप्ताह में शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम निकालने के लिए निर्णय ले सकती हैं लेकिन बीएड् धारियों का दबाव बनता देख सरकार भी डबल बेंच में भी जा सकती हैं, उक्त ऐतिहसिक फैसला को आसानी से पलटवाना मुश्किल होगा! इधर पीड़ित टीईटी पास शिक्षामित्रों ने भी सुप्रीम कोर्ट तक अपने विरोधियों को हर मोड़ पर झटका देने का दृढ़ संकल्प किया है, दिनांक - 01 अप्रैल को पीड़ित शिक्षामित्रों की तरफ से कैबिएट दाखिल हो सकती हैं, और आदेश की प्रमाणित कापी मिलते ही सरकार के सम्बन्धित सभी प्रमुखों को प्रति रिसिव कराई जाएगी, जिससे समय के अंदर कोर्ट के आदेश का पालन न होने की स्थिति में कोर्ट अवमानना की याचिका दाखिल की जा सके*!
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