राज्य में आने वाले 21 साल में सभी सरकारी
बेसिक और जूनियर हाईस्कूल बंद हो जाएंगे। जिस रफ्तार से सरकारी स्कूलों
में छात्र संख्या गिरती जा रही है, उससे यह संकेत साफ नजर आ रहे हैं।
मिड डे मील योजना(एमडीएम) के आंकड़ों के अनुसार, सरकारी बेसिक-जूनियर स्कूलों से हर साल औसतन 32 हजार छात्र-छात्राएं कम हो रहे हैं। इन स्कूलों में बीते कुछ वर्षों से छात्र संख्या घटते-घटते छह लाख 84 हजार 583 तक पहुंच गई है। जबकि प्राइवेट स्कूलों में छात्र संख्या का ग्राफ बढ़ता जा रहा है।
स्कूलों में कुल छात्र
वर्ष छात्र
2016-17 7,84,797
2017-18 7,53,883
2018-19 7,23,146
2019-20 6,84,583
वर्षवार गिरावट
वर्ष कमी
2017-18 30,914
2018-19 30,737
2019-20 38,563
यह है अहम वजह
1. कुर्सी न मेज, इमारत भी बदहाल
राज्य में बेसिक और जूनियर स्कूलों की संख्या 15 हजार से ज्यादा है। इनमें संसाधनों का भारी अभाव है। करीब ढाई लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं के पास बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं हैं। 1500 से ज्यादा स्कूलों देखभाल और मरम्मत न होने के कारण खराब हालत में हैं।
1. कुर्सी न मेज, इमारत भी बदहाल
राज्य में बेसिक और जूनियर स्कूलों की संख्या 15 हजार से ज्यादा है। इनमें संसाधनों का भारी अभाव है। करीब ढाई लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं के पास बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं हैं। 1500 से ज्यादा स्कूलों देखभाल और मरम्मत न होने के कारण खराब हालत में हैं।
2. ढाई हजार स्कूलों में एक-एक शिक्षक
जहां प्राइवेट स्कूल में हर क्लास के लिए एक शिक्षक नियुक्त होता है। वहीं 2500 सरकारी स्कूल एक-एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। बेसिक स्तर पर शिक्षकों के 2846 पद आज भी खाली हैं। इनमें शिक्षामित्रों से काम चलाया जा रहा है। 178 जूनियर स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षक नहीं हैं, वहां शिक्षा मित्र पढ़ा रहे हैं।
3. शिक्षकों के पास पढ़ाने का वक्त ही नहीं
सरकारी स्कूलों के शिक्षकों पर पढ़ाई से ज्यादा दूसरे काम हैं। एमडीएम, चुनाव, विभिन्न दिवस-रैलियां, कई प्रकार की गणनाएं, समय-समय पर ट्रेनिंग, सूचनाएं जुटाने के काम ज्यादा हैं।
सरकारी स्कूलों के शिक्षकों पर पढ़ाई से ज्यादा दूसरे काम हैं। एमडीएम, चुनाव, विभिन्न दिवस-रैलियां, कई प्रकार की गणनाएं, समय-समय पर ट्रेनिंग, सूचनाएं जुटाने के काम ज्यादा हैं।
4. शिक्षकों को तैनाती में धांधली
स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती में रसूखदार शिक्षकों को फायदा पहुंचाने के लिए मानकों का उल्लंघन किया जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य के 982 स्कूलों में मानक से ज्यादा शिक्षक नियुक्त हैं। ये सभी स्कूल सुगम श्रेणी के स्कूल हैं। जबकि 3828 स्कूलों में छात्रों की संख्या ज्यादा हैं, लेकिन वहां शिक्षकों की कमी है।
स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती में रसूखदार शिक्षकों को फायदा पहुंचाने के लिए मानकों का उल्लंघन किया जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य के 982 स्कूलों में मानक से ज्यादा शिक्षक नियुक्त हैं। ये सभी स्कूल सुगम श्रेणी के स्कूल हैं। जबकि 3828 स्कूलों में छात्रों की संख्या ज्यादा हैं, लेकिन वहां शिक्षकों की कमी है।
5. पलायन, निजी और शिशु मंदिर भी अहम वजह
हालिया कुछ वर्षों में पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में आरएसएस की विद्या भारती संस्था के शिशु मंदिर और निजी स्कूलों का दखल बढ़ा है। इनमें शिक्षा की गुणवत्ता और संसाधनों की उपलब्धता के कारण भी अभिभावकों का रुझान इनकी ओर बढ़ा है। पहा़ड़ छात्र संख्या घटने के पीछे पलायन भी एक बड़ी वजह है।
हालिया कुछ वर्षों में पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में आरएसएस की विद्या भारती संस्था के शिशु मंदिर और निजी स्कूलों का दखल बढ़ा है। इनमें शिक्षा की गुणवत्ता और संसाधनों की उपलब्धता के कारण भी अभिभावकों का रुझान इनकी ओर बढ़ा है। पहा़ड़ छात्र संख्या घटने के पीछे पलायन भी एक बड़ी वजह है।
सरकार को दृढ़ फैसले लेने होंगे। छात्र संख्या के अनुसार शिक्षक नियुक्त करने होंगे। शिक्षकों को पढ़ाई तक सीमित रखना होगा। आरटीई के तहत निजी स्कूलों में सीट आरक्षण की व्यवस्था बंद करनी होगी।
दिग्विजय सिंह चौहान, अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ
यह चिंताजनक स्थिति है। इसमें सुधार के लिए ठोस प्रयास किए हैं। समान शिक्षा के लिए एनसीईआरटी
पाठ्यक्रम लागू किया। स्कूलों में फर्नीचर के लिए पैसा जारी किया। शिक्षक समायोजन व शिक्षकों की कमी दूर करने को स्कूल कैडर बनाया जा रहा है।
अरविंद पांडे, विद्यालयी शिक्षा मंत्री
पाठ्यक्रम लागू किया। स्कूलों में फर्नीचर के लिए पैसा जारी किया। शिक्षक समायोजन व शिक्षकों की कमी दूर करने को स्कूल कैडर बनाया जा रहा है।
अरविंद पांडे, विद्यालयी शिक्षा मंत्री