परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती पर शुक्रवार को आए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश के बाद से त्रिकोणीय लड़ाई के हालात बन गए हैं।
एक पक्ष अनारक्षित वर्ग के उन शिक्षकों का है जो नौकरी कर रहे हैं। वैसे तो बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने पिछले ढाई साल में इन प्रभावित शिक्षकों की सूची जारी नहीं की है लेकिन शुक्रवार के फैसले के बाद अब अनारक्षित वर्ग के शिक्षक एकजुट होने लगे हैं और इनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करने की तैयारी है।दूसरा पक्ष आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों का है जिनकी सूची प्रदेश सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पांच जनवरी 2022 को जारी की थी। इन 6800 अभ्यर्थियों की सूची हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच दो बार निरस्त कर चुकी है। 13 मार्च 2023 को सिंगल बेंच ने 6800 की सूची तो निरस्त की थी लेकिन अनारक्षित वर्ग के उन अभ्यर्थियों के समायोजन के लिए नीति बनाने के आदेश दिए थे जो वर्तमान सूची में शामिल हैं और दो साल से काम कर रहे हैं लेकिन पुनरीक्षित सूची जारी होने पर बाहर हो सकते हैं। अब ये अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर करने की तैयारी कर रहे हैं।
तीसरा पक्ष आरक्षित वर्ग के उन अभ्यर्थियों का है जो इस भर्ती में 19000 सीटों पर घोटाले की बात कर रहा है। अभ्यर्थियों का कहना है कि पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को 27 की जगह सिर्फ 3.86 तथा अनुसूचित जाति वर्ग को 21 की जगह 16.2 आरक्षण दिया गया है।