योगी न ईरानी, मुख्यमंत्री के लिए इस महिला सांसद पर दांव लगा सकती है भाजपा : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

वाराणसी. तो क्या भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा मिल गया है। इंटेलीजेंस की माने तो बीजेपी ने मुख्यमंत्री के लिए चेहरा खोज लिया है।
बीजेपी अगर इस चेहरे के साथ चुनाव मैदान में उतरती है तो संदेह नहीं कि एक बड़ा वोट बैंक बीजेपी के पास अपने आप चला आएगा। तेजतर्रार व हाजिर जवाब होने के साथ ही यह महिला सांसद टीम मोदी की पसंद भी है। फिलहाल बीजेपी की सहयोगी पार्टी के कोटे से सांसद बनी यह महिला शीघ्र ही बीजेपी में शामिल हो सकती है या फिर अपनी पार्टी का भाजपा में विलय भी करा सकती हैं।
आपने सही समझा, बात हो रही है मीरजापुर की अपना दल से सांसद अनुप्रिया पटेल की। इंटेलीजेंस का मानना है कि योगी और ईरानी के समर्थकों के दावे को दरकिनार कर भाजपा अनुप्रिया पटेल को मुख्यमंत्री के रूप में पेश कर सकती है। अपना दल के संस्थापक दिवंगत सोने लाल पटेल की बेटी अनुप्रिया पटेल का उत्तर प्रदेश के कुर्मी वोट बैंक पर खासी पकड़ है। दिल्ली के लेडी श्रीराम कालेज से स्नातक व अमिटी जैसे संस्थान से उच्च शिक्षा ग्रहण कर चुकी अनुप्रिया पटेल पीएम मोदी की भी पसंद हैं।
pm modi and mp anupriya patel
और कोई विकल्प नहीं
फिलहाल बीजेपी के पास मिशन 2017 फतह करने के लिए सर्वमान्य चेहरा नहीं है। योगी पर घोर हिंदूवादी होने के साथ ही तमाम आरोप हैं, दूसरी तरफ अमेठी में राहुल को चुनौती देने वाली मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी का नाम उछला तो जरूर लेकिन बीजेपी को मालूम है कि स्मृति को लेकर विरोधी दल से लेकर पार्टी में ही बगावत हो जाएगी।
सूत्रों का मानना है कि जिस प्रकार बीजेपी कल्याण सिंह को प्रोजेक्ट कर उत्तर प्रदेश में फर्श से अर्श पर आ गई थी उसी प्रकार अनुप्रिया पटेल को भी प्रोजेक्ट करने की जोरशोर से तैयारी चल रही है। दूसरी तरफ मायावती हों या अखिलेश उन्हें जवाब देने के लिए अनुप्रिया पटेल सक्षम हैं। उत्तर प्रदेश में चालीस प्रतिशत मत मौर्य-पटेल मिलकर सरकार बनाते हैं। जिस तरह इनकी हवा बही, सत्ता की चाभी उधर ही घूमी है।
फिलहाल अपना दल दो खेमे में बंटी है। एक खेमा अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल के साथ है तो दूसरा धड़ा अनुप्रिया पटेल को सपोर्ट करता है। पार्टी में दो फाड़ होने के चलते बीजेपी का पूरा ध्यान इसपर है कि अनुप्रिया बीजेपी में शामिल हो जाएं या फिर अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर दें। फिलवक्त तो बीजेपी के अंदरखाने में अनुप्रिया पटेल का नाम जोरशोर से चल रहा है। अब देखना यह है कि चुनाव के जंग-ए-मैदान में बीजेपी अनुप्रिया को या फिर किसे अपना सिपहसलार बनाती है।
मिशन 2017 फतह करने के लिए जातिगत राजनीति का खेल खेल रही बीजेपी ने पहले ही केशव मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। पार्टी के रणनीतिकारों को मालूम है कि सर्वण मतों का फिलहाल बिखराव तय है। बसपा-सपा और भाजपा में सवर्ण मतों का विभाजन होगा। मायावती फिलवक्त मुस्लिम और दलितों के साथ ही ब्राह्मण और क्षत्रियों को लुभाने में लगी हैं तो दूसरी तरफ यदुवंशियों की पार्टी कही जाने वाली सपा यादव वोट बैंक के साथ ही आजम और अमर और बेनी के साथ मिलकर मुस्लिम, पिछड़े और क्षत्रियों का वोटबैंक हथियाने के चक्कर में है। बीजेपी ने केशव मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर अपने पत्ते पहले ही खोल दिए। यह भी तय है कि बीजेपी प्रदेश में किसी सवर्ण नेता को प्रदेश की कमान नहीं सौंपेगी। ऐसे में अनुप्रिया पटेल के नाम को लेकर आम सहमति बन सकती है।
विवाद न बन जाए गले की हड्डी

अपना दल की मीरजापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल की छवि फिलहाल निर्विवाद ही रही है लेकिन बीते दिनों मीरजापुर में जो कुछ हुआ उससे मुहिम को झटका लग सकता है। गौरतलब है कि अपने चयनित गांव में जले ट्रांसफार्मर के मामले में सांसद अनुप्रिया पटेल ने बिजली विभाग के अधिकारियों को अपने आवास बुलाया था लेकिन वहां बातचीत जूतम पैजार में बदल गई। आरोप है कि सांसद पति ने विद्युत विभाग के अधिकारी को जूता मारने की धमकी दी और बंधक बनाया। विद्युत विभाग के कर्मचारियों ने सांसद के कार्यालय के बाहर धरना भी दिया था। इस मामले में पुलिस ने सांसद पति के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की है।
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