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सुप्रीम कोर्ट में सरकार का काउंटर व सीटों का सत्य : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

बीएड के नेता जी हिमांशु राणा जी ने एक पोस्ट डाली थी जिसमें उन्होंने सरकार का काउंटर आने पर रिक्त सीटों का विवरण बताया था। राणा जी के अनुसार सरकार के काउंटर को देखते हुए, प्राइमरी में अभी भी 2,66,084 पद खाली हैं।
अब तक 4 लाख से अधिक रिक्त सीटों का गाना गाने वाले राणा साहब, अब 2,66,084 पदों पर आ गए हैं। जो 4 लाख रिक्त सीटों के काउंटर की बात थी, वह अब पुरानी हो गई है तथा उस काउंटर का अब कोई अर्थ नहीं है। खैर इन 2,66,084 पदों में भी लोचा है, यह राणा साहब ने या तो सबको घुमाने का प्रयास किया है या वह स्वयं घूमे हुए हैं। वास्तविक स्थिति जानने के इच्छुक हैं तब इस पोस्ट को अंत तक पूरा पढ़िये।

सरकार ने कहा है :

"As against a sanctionedstrength of 3,28,220 teachers, there is a working strength of 2,32,136Assistant Teachers including 1,70,000 Shiksha Mitras. There are 96,084vacancies at present of which 87,825 (72,825 + 15,000) vacancies have been advertised"

नीचे दिए गए फ़ोटो में साफ़ दिख रहा है कि अब रिक्त सीटों को लेकर सरकार ने स्थिति में एकरूपता लाई है। सरकार के अनुसार प्राइमरी में कुल 'स्वीकृत पद' (Sanctioned strength) 3,28,220 हैं। तथा वर्तमान में 1,70,000 शिक्षा मित्रों को मिलाकर कुल 2,32,136 अध्यापक कार्यरत हैं। यहाँ सरकार ने समायोजित व अवशेष शिक्षा मित्रों को जोड़कर सभी शिक्षा मित्रों को अध्यापक मानते हुए ही कुल 2,32,136 कार्यरत शिक्षक दिखाए हैं। अर्थात 3,28,220 - 2,32,136 = 96,084 पद रिक्त हैं। उपरोक्त रिक्त 96,084 पदों में से 87,825 पदों को विज्ञापन के माध्यम से भरा जा रहा है, जो कि 72,825 बीएड भर्ती हैं तथा 15,000 बीटीसी भर्ती हैं। अर्थात 96,084 - 87,825 (72,825 + 15,000) = 8,259 पद खाली हैं।

राणा साहब आप जरा अपनी अंग्रेजी दुरुस्त कीजिए। जो आप दिखा रहे है, यह ही काउंटर हाई कोर्ट ट्रिपल बेंच में रखा गया था सरकार द्वारा। लिखा है, "Yet there are 96,084 vacancies left 'out of which' at present 87,825 (72,825 + 15,000) vacancies has been advertised." यह 87,825 जो भर्ती निकली हैं, यह उन्हीं खाली सीटों अर्थात 96,084 में से निकली हुई है। और अब 96,084 - 87,825 = 8,259 खाली सीट हैं। जबकि राणा साहब इन 96,084 पदों को विज्ञापित पदों के अतिरिक्त रिक्त समझ रहे हैं। यहाँ 'Out of which' (जिनमें से) लिखा है न कि 'besides them' (इनके अतिरिक्त), इतना तो आपको समझ आना चाहिए आखिर आप 'टीईटी 2011' जैसी विश्व स्तरीय परीक्षा पास हैं। tongue emoticon

अब बात करते हैं 1,70,000 शिक्षा मित्रों की। यदि सुप्रीम कोर्ट समायोजन निरस्त कर के योग्य लोगों से तत्काल पद भरने का आदेश देती है, तब 1,70,000 + 8,259 = 1,78,259 रिक्तियां हो जाएंगी। वहां ही राणा साहब इन 1,78,259 में 87,825 और पदों को जोड़ते हुए कुल रिक्त पद 2,66,084 बता रहे हैं। राणा साहब ने यहाँ अंग्रेजी व गणित दोनों विषयों का बेरहमी से खून कर दिया।
अब तीन परिस्थितियां हो सकती हैं :

1) राणा साहब के वकील उनको घुमा रहे हैं। 'अथवा'
2) राणा साहब खुद सभी बीएड वालों को घुमा रहे हैं। 'अथवा'
3) राणा साहब खुद घूमे हुए हैं।

राणा साहब यह कहते हैं कि समस्त रिक्त पदों को आज भरा जाना है न कि जैसे जैसे हर वर्ष 40,000 बीटीसी आते जाएं वैसे वैसे भरना है। सही बात है, यह बात आपके ऊपर भी लागू होती है, पद आज भरे जाने हैं तथा आज की परिस्थिति व नियमों के अनुसार भरे जाने हैं न कि 4 वर्ष पूर्व के नियमों से। आज की नियमावली व एनसीटीई के नियमों के अनुसार प्रथम अधिकार बीटीसी + टीईटी का है, जो कि जुलाई 2016 तक कुल 100,000 की संख्या में हो जाएंगे। 1,78,259 में करीब 1,00,000 बीटीसी से भरे जाएंगे, अब बचे 78,259 पद। यदि शिक्षा मित्रों का प्रशिक्षण बच गया तो 1,70,000 शिक्षा मित्रों में कुछ नहीं तो 20 से 25 हजार तो टीईटी पास होंगे ही। इनको भी बीटीसी के साथ खुली भर्ती में मौका मिलेगा, अब बचे करीब 50,000 पद।

राणा जी, आपका दावा बना इन 50,000 पदों पर जिसमें आपको बीटीसी 2014 से तथा टीईटी फेल शिक्षा मित्रों से सामना करना पड़ेगा। इसमें भी बीएड का रास्ता कठिन है, केंद्र सरकार द्वारा दी गई छूट 31 मार्च 2014 को समाप्त हो चुकी है। आरटीई एक्ट 2009 का सेक्शन 23(2) यह कहता है कि न्यूनतम योग्यता अर्थात 'बीटीसी' से छूट केवल तब दी जा सकती है जब बीटीसी प्रशिक्षित व प्रशिक्षण देने वाले संस्थान दोनों ही मौजूद न हो। जबकि शिक्षा मित्र स्वयं बीटीसी प्रशिक्षित हैं व इनके अतिरिक्त बीटीसी 2014 प्रशिक्षण रत है। बीएड की छूट को अब बढ़ाया भी नहीं जा सकता है, इस बात को मुख्य न्यायाधीश ने अपने 91 पेज के आदेश में भी लिखा है। ध्यान रहे, प्राइमरी हेतु योग्यता 'बीटीसी + टीईटी' है न कि केवल 'टीईटी'।
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