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शिक्षामित्रों को हटाकर खुद नौकरी पाने का ख्वाब देख रहे बेरोजगारों के लिए बुरी खबर

एक तरफ शिक्षमित्र अपनी नौकरी बनाये रखने के लिए जूझ रहे हैं तो दोसरी तरफ बेरोजगार उसे पाने के लिए
अब तक शिक्षामित्र केस बीएड और बीटीसी बेरोजगारों और सरकार और शिक्षामित्र संघों के बीच ही लड़ाई थी।
प्रमुख प्रतिवादियों में शिक्षामित्रों के तीन प्रतिनिधि संघों के अलावा शिक्षामित्र शिक्षक कल्याण समिति उर्फ़ संयुक्त सक्रिय टीम प्रमुख भूमिका में थे। इस के साथ टेट पास शिक्षामित्रों की ओर से भी एसएलपी और आइए दाखिल की गईं।
लेकिन...जुलाई में होने वाली सुनवाई में बीएड और बीटीसी बेरोजगारों के सामने एक नई चुनौती के रूप में शिक्षामित्रों के बीच से जागरूक और केस की विधिक जानकारी रखने वाला समूह सक्रिय हो कर अपनी एसएलपी दाखिल कर चुका है।अब शिक्षामित्र केस की बहस बहु आयामी होगी। क्योंकि जहाँ एक तरफ शिक्षमित्र अपनी नौकरी बनाये रखने के लिए जूझ रहे हैं तो दोसरी तरफ बेरोजगार उसे पाने के लिए। जागरूक और विधिक जानकर सक्रिय शिक्षामित्रों के समूह के मैदान में आ जाने से मुकाबला कड़ा हो गया है।
चूँकि अब तक केस में राज्य सरकार और शिक्षामित्र संघ जिन में सभी टीमें शामिल हैं - आरटीई 2011 नियमावली के संशोधन 16 (क) का बचाव कर रही हैं वहीं ये 'समूह' इसके बचाव के खिलाफ खड़ा हुआ है।
इसके अलावा अब तक शिक्षामित्रों के समायोजन के लिए किये गए संशोधनों के बचाव में शिक्षामित्रों के सभी संघ और टीमें एसएलपी दाखिल किये हैं वहीं दूसरी ओर इस नए समूह ने अपनी एसएलपी में इन संशोधनों के बचाव में कोई तर्क नहीं दिए हैं। बल्कि हाइकोर्ट के फैसले पर नए तथ्यों के साथ अपनी एसएलपी तैयार कराई है। अवशेष शिक्षामित्रों की भूल बनाम भरोसे का खून : 14841 अवशेष के पास समायोजित होने का वैधानिक अधिकार और आधार दोनोंजागरूक और विधिक जानकार समायोजित शिक्षकों के इस समूह के तर्क और साक्ष्य अब तक शिक्षामित्रों की ओर से डाली गई सभी एसएलपी से अलग हैं। समूह के लोगों ने केस के क़ानूनी पहलुओं का व्यापक अध्ययन कर साक्ष्य जुटाए और खुद आगे आ कर अपनी लड़ाई लड़ने का फैसला लिया।

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