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उत्तर प्रदेश सरकार ने 12वा संसोधन को नक़ल के आधार पर नहीं किया रद्द बल्कि राजनैतिक द्वेष के कारण किया

अरशद जी पहले अगर बात करे टेट की धांधली की तो सरकार को टेट की परीक्षा रद्द करनी थी वो सर्कार ने नहीं को दूसरी बात सरकार को धांधली से दिक्कत नहीं थी क्योंकि ये सरकार किसी भी चयन परीक्षा के बिरुद्ध रहती है।
अगर इस सरकार की बात करे तो इस सरकार में सबसे ज्याडा धांधली तो 10वी 12वी में होती है तब तो इनको ये भी सोचना चाहिए।
2011 टेट का रिजल्ट कितने परसेंट रहा था और यूपी बोर्ड का रिजल्ट कितना रहता है 90% से ऊपर।
और जगजाहिर है को सबसे ज्यादा नक़ल यूपी बोर्ड में होती है।
तो सरकार ने 12 संसोधन को नक़ल के आधार पे रद्द नहीं किया बल्कि राजनैतिक द्वेष के कारण किया।
अब दूसरी बात जैसा आपने कहा कि 15 संसोधन संविधानिक नहीं है ये कहकर रद्द किया गया तो आप 100% मेरिट नहीं बना सकते अगर दो चीजो पे विवाद है तो दोनों का भारांक दे दो मामला ख़तम।
अगर आप टेट को पात्रता परीक्षा मानते है तो 10वि 12वि स्नातक भी पात्रता परीक्षा है क्योंकि इनमें 33% पे पास होते है और तब फॉर्म डालते है।
यूपी बेसिक में टेट और अकेडमिक का विबाद है दोनों का भारांक देने के बाद विवाद ख़तम हो जाता है और संविधान के दायरे में आ जाता है।।
अब तीसरी बात की केंद्रीय स्कूलों में भारांक नहीं दिया जाता तो आपसे पूंछना चाहता हूँ की क्या केंद्रीय नौकरी में अकादमिक का भारांक दिया जाता है।
जहा अकादमिक का भारांक दिया जायेगा वहां टेट का भारांक देने बाध्यकारी है वरना चयन परीक्षा कराओ।
अब बात करते है राज्यो की चयन नियामावली को तो मित्र आपके उत्तम प्रदेश और और इसके पड़ोसी उत्तराँचल को छोड़ दे तो किसी भी राज्य में अकादमिक से भर्ती नहीं होती।
कुछ लोग राजस्थान की बात करते है तो उनको बता दूँ की राजस्थान में 2011 से पहले RPSC चयन परीक्षा कराती थी तब 70% RPSC का भारांक और 30% अकेडमिक का लगता था और 2011 के बाद वहां भी फुल टेट में भर्ती हो रही है।।।
आपके ज्ञान की तारीफ करता हूँ लेकिन ज्ञान भी समानता के आधार पे बांटा जाना चाहिए किसी बर्ग विशेष के लिए नहीं।
तथ्यों को छुपाकर बांटा गया ज्ञान भी असंवैधानिक होता है।
जय हो बांके बिहारी लाल की।
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