माननीय मुख्यमंत्रीजी और बेसिक शिक्षामंत्री जी से कुछ सवाल और आज कुछ बातें सीधी-सीधी और खरी-खरी !
उदाहरण के तौर पर बेसिक शिक्षा विभाग में सम्ब्द्धीकरण या अट्टच्मेन्ट को पैसे देकर स्कूल न जाने वालों का एक हथियार माना जाता है इसीलिये इसपर रोक भी है और इसीलिये ब्लॉक ट्रान्स्फर के आदेश किये गये हैं और इसकी जिम्मेदारी जिले के डीएम की अध्यक्षता वाली समिति को दी गयी है ।
पर ज्यादातर जिलों में ये ट्रांसफर नहीँ किये गये क्योंकि चुनाव का बहाना है पर खुलेआम पैसे लेकर सम्बद्धीकरण का खेल चालू है ,नियमों की धज्जियां उडाते हुये ठेंगा दिखाया जा रहा है ।
मुख्यमंत्री के गृह जनपद इटावा को ही लीजिये जहाँ सम्बद्धिकरण पर रोक के बावजूद खुलेआम किये जा रहे हैं , इटावा बीएसए दफ्तर के मात्र एक आदेश क्रमांक 7847-50 दिनांक 7-12-2016 से लगभग 50 अध्यापकों को सम्बद्धिकरण की कृपा प्रदान की गयी । जबकि ऐसे जाने कितने आदेशों का निर्गतिकरण इटावा बीएसए द्वारा किया जा चुका है ,जिसमें बड़े पैमाने पर उगाही की खबरें शिक्षक समाज में सुनाई दे रहीं हैं । तो क्या ये खबरें या आदेश विभाग के उच्चाधिकारियों को दिखाई/सुनाई नहीँ दे रहे ?
मुख्यमंत्री जी या बेसिकशिक्षामंत्री जी केवल ऊपर से ही सुधार की लोकलुभावन बातें करते हैं ? और अंदर से लूट की छूट है इनके मातहतों को ?
अदालतों में सजा पाने वाले ऐसे लोगों का विधि प्रतिकूल आचरण शासन क्यों नहीँ देख पाता ?
विभिन्न शिक्षक भर्तियों में विधि के विरुद्ध विज्ञापन निकालकर 80000 से अधिक लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने वाले सचिवों/अधिकारियों पर क्या कार्यवाई की शासन ने ?
टीईटी 2011 वालों के साथ भेदभाव क्यों ? लगभग एक वर्ष बाद भी अवशेष वेतन नहीँ दिया गया ?
बेसिक शिक्षा विभाग में पारदर्शिता क्यों नहीँ लाई जा रही ?
या तो ये सब शासन के संज्ञान में नहीँ और अधिकारी आँख में धूल झोंक रहे ?
या उ.प्र. के शासन ने ही इस सबकी छूट दी हुई है ।
अँग्रेजी की कहावत "रोम जल रहा और नीरो बंशी बजा रहा है "
चरितार्थ हो रही बेसिक विभाग में ।
देखते हैं इन सवालों के क्या जवाब हैं शासन के पास !
बाकी का आगामी चुनाव बतायेगा ।
शेष फ़िर...
आपका - गणेश शंकर दीक्षित
उ.प्र.टीईटी संघर्ष मोर्चा
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उदाहरण के तौर पर बेसिक शिक्षा विभाग में सम्ब्द्धीकरण या अट्टच्मेन्ट को पैसे देकर स्कूल न जाने वालों का एक हथियार माना जाता है इसीलिये इसपर रोक भी है और इसीलिये ब्लॉक ट्रान्स्फर के आदेश किये गये हैं और इसकी जिम्मेदारी जिले के डीएम की अध्यक्षता वाली समिति को दी गयी है ।
पर ज्यादातर जिलों में ये ट्रांसफर नहीँ किये गये क्योंकि चुनाव का बहाना है पर खुलेआम पैसे लेकर सम्बद्धीकरण का खेल चालू है ,नियमों की धज्जियां उडाते हुये ठेंगा दिखाया जा रहा है ।
मुख्यमंत्री के गृह जनपद इटावा को ही लीजिये जहाँ सम्बद्धिकरण पर रोक के बावजूद खुलेआम किये जा रहे हैं , इटावा बीएसए दफ्तर के मात्र एक आदेश क्रमांक 7847-50 दिनांक 7-12-2016 से लगभग 50 अध्यापकों को सम्बद्धिकरण की कृपा प्रदान की गयी । जबकि ऐसे जाने कितने आदेशों का निर्गतिकरण इटावा बीएसए द्वारा किया जा चुका है ,जिसमें बड़े पैमाने पर उगाही की खबरें शिक्षक समाज में सुनाई दे रहीं हैं । तो क्या ये खबरें या आदेश विभाग के उच्चाधिकारियों को दिखाई/सुनाई नहीँ दे रहे ?
मुख्यमंत्री जी या बेसिकशिक्षामंत्री जी केवल ऊपर से ही सुधार की लोकलुभावन बातें करते हैं ? और अंदर से लूट की छूट है इनके मातहतों को ?
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बेसिक शिक्षा विभाग में पारदर्शिता क्यों नहीँ लाई जा रही ?
या तो ये सब शासन के संज्ञान में नहीँ और अधिकारी आँख में धूल झोंक रहे ?
या उ.प्र. के शासन ने ही इस सबकी छूट दी हुई है ।
अँग्रेजी की कहावत "रोम जल रहा और नीरो बंशी बजा रहा है "
चरितार्थ हो रही बेसिक विभाग में ।
- 115 नंबर पाकर प्राथमिक में चयन के योग्य नहीं , वही दूसरी 82 नंबर वाला बड़ी नौकरी जूनियर में चयनित
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देखते हैं इन सवालों के क्या जवाब हैं शासन के पास !
बाकी का आगामी चुनाव बतायेगा ।
शेष फ़िर...
आपका - गणेश शंकर दीक्षित
उ.प्र.टीईटी संघर्ष मोर्चा
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