इलाहाबाद : जौनपुर के निवड़िया इंटर कालेज में बिना पद सृजित हुए फर्जी आदेश पर लिपिक व शिक्षक सहित 20 लोगों की नियुक्ति की गई। इसमें सरकारी धन की बर्बादी हुई। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपर मुख्य
सचिव से कार्यवाही रिपोर्ट के साथ 31 अगस्त तक जवाबी हलफनामा मांगा है।
कोर्ट ने कहा कि फर्जी नियुक्ति कर सरकारी खजाने से वेतन देने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की जाए।1यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन व न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता कृपाशंकर तिवारी की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता पंकज उपाध्याय व मुख्य स्थायी अधिवक्ता जेएन मौर्या ने पक्ष रखा। याची का कहना है कि पद सृजन का फर्जी आदेश तैयार कर मनमानी नियुक्ति की गयी और राज्य सरकार के खजाने से वेतन भुगतान लिया गया। इसकी शिकायत पर जांच करायी गयी। जांच रिपोर्ट में प्रधानाचार्य व प्रबंध समिति को दोषी करार दिया गया है। सचिव माध्यमिक शिक्षा के हलफनामे को कोर्ट ने संतोषजनक नहीं माना और अपर मुख्य सचिव से 31 अगस्त तक हलफनामा मांगा है।1निरस्त हुए प्लॉट आवंटन में धांधली पर कोर्ट सख्त : जमीनों के निरस्त आवंटन को सर्किल रेट पर बाजारी कीमत से कम दर पर दूसरी जगह उन्हीं आवेदकों को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने प्लॉट आवंटित कर दिए। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के अधिकारियों की जवाबदेही तय करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव हाउसिंग व शहरी विकास के जवाबी हलफनामे को गुमराह करने वाला करार देते हुए अस्वीकार कर दिया है। अब 31 अगस्त को इस याचिका की सुनवाई होगी। कोर्ट ने 31 अगस्त तक नए सिरे से बेहतर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्लॉट आवंटन में बाजारी कीमत के बजाय सर्किल दर पर शुल्क लेकर राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाने वाले प्राधिकरण के अधिकारियों से इसकी भरपाई की जाए। कोर्ट ने कहा कि 20 नवंबर 1999 के शासनादेश के तहत बनी योजना का सही से पालन नहीं किया गया। कोर्ट के आदेश पर प्रमुख सचिव मुकुल सिंहल व जीडीए उपाध्यक्ष कोर्ट में हाजिर थे। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन व न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने राजेंद्र त्यागी की जनहित याचिका पर दिया है
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सचिव से कार्यवाही रिपोर्ट के साथ 31 अगस्त तक जवाबी हलफनामा मांगा है।
कोर्ट ने कहा कि फर्जी नियुक्ति कर सरकारी खजाने से वेतन देने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की जाए।1यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन व न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता कृपाशंकर तिवारी की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता पंकज उपाध्याय व मुख्य स्थायी अधिवक्ता जेएन मौर्या ने पक्ष रखा। याची का कहना है कि पद सृजन का फर्जी आदेश तैयार कर मनमानी नियुक्ति की गयी और राज्य सरकार के खजाने से वेतन भुगतान लिया गया। इसकी शिकायत पर जांच करायी गयी। जांच रिपोर्ट में प्रधानाचार्य व प्रबंध समिति को दोषी करार दिया गया है। सचिव माध्यमिक शिक्षा के हलफनामे को कोर्ट ने संतोषजनक नहीं माना और अपर मुख्य सचिव से 31 अगस्त तक हलफनामा मांगा है।1निरस्त हुए प्लॉट आवंटन में धांधली पर कोर्ट सख्त : जमीनों के निरस्त आवंटन को सर्किल रेट पर बाजारी कीमत से कम दर पर दूसरी जगह उन्हीं आवेदकों को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने प्लॉट आवंटित कर दिए। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के अधिकारियों की जवाबदेही तय करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव हाउसिंग व शहरी विकास के जवाबी हलफनामे को गुमराह करने वाला करार देते हुए अस्वीकार कर दिया है। अब 31 अगस्त को इस याचिका की सुनवाई होगी। कोर्ट ने 31 अगस्त तक नए सिरे से बेहतर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्लॉट आवंटन में बाजारी कीमत के बजाय सर्किल दर पर शुल्क लेकर राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाने वाले प्राधिकरण के अधिकारियों से इसकी भरपाई की जाए। कोर्ट ने कहा कि 20 नवंबर 1999 के शासनादेश के तहत बनी योजना का सही से पालन नहीं किया गया। कोर्ट के आदेश पर प्रमुख सचिव मुकुल सिंहल व जीडीए उपाध्यक्ष कोर्ट में हाजिर थे। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन व न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने राजेंद्र त्यागी की जनहित याचिका पर दिया है
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