आगरा। राजधानी लखनऊ में चल रहे शिक्षामित्रों के आंदोलन के बीच आया यूपी सरकार का 10000 रुपए प्रतिमाह मानदेय का फैसला उन्हें रास नहीं आया है। शिक्षामित्रों ने उसे पूरी तरह ठुकरा दिया है। इस बारे में शिक्षामित्रों का कहना है कि हमें वेतन चाहिए मानदेय नहीं।
इस बारे में जब प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह छौंकर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करे। यदि यूपी सरकार ऐसा नहीं करती तो वे दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के नेतृत्व में वृहद आंदोलन करेंगे।
दो बजे का समय दिया है मुख्यमंत्री ने
वीरेंद्र सिंह छौंकर ने बताया कि लखनऊ में उनका तीन दिनों का आंदोलन है। आज दोपहर दो बजे मुख्यमंत्री ने मुलाकात का समय दिया है। बातचीत में शिक्षामित्र उनसे 25 अगस्त से पहले सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात कहेंगे। साथ ही उनके लिए अध्यादेश लाने की बात सामने रखेंगे। यदि उनकी बात नहीं मानी जाती है तो वे हार नहीं मानेंगे। 25 अगस्त से दिल्ली के रामलीला मैदान में ये सवा लाख समायोजित शिक्षामित्र देशव्यापी आंदोलन करेंगे जिसका नेतृत्व समाज सेवी अन्ना हजारे करेंगे।
ये है मामला
सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करीब सवा लाख शिक्षामित्रों को अभी तक 38,800 रुपए प्रतिमाह वेतन मिल रहा था। वहीं समायोजन से वंचित शिक्षामित्रों को 3500 रुपए मानदेय के रूप में मिल रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने इनके समायोजन को रद्द कर दिया था। साथ ही सहायक अध्यापक पद के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करना आवश्यक कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज समायोजित शिक्षामित्र लगातार कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे थे। इसी विरोध के चलते उन्होंने सोमवार को राजधानी लखनऊ में आंदोलन शुरू किया था। आंदोलन के बाद योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अनुपालन करते हुए और शिक्षामित्रों की मांग का ध्यान रखते हुए समायोजित शिक्षामित्रों व गैर समायोजित शिक्षामित्रों दोनों को समान मानदेय 10000 रुपए प्रतिमाह देने का फैसला किया है। सरकार का ये फैसला शिक्षामित्रों को रास नहीं आया है। उनका कहना है कि सरकार हमें बरगला रही है। सरकार ने संकल्प पत्र में वादा किया था कि तीन महीने में हम शिक्षामित्रों की समस्याओं का निदान करेंगे लेकिन अब सरकार मुकर रही है। हमें वेतन चाहिए मानदेय नहीं।
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इस बारे में जब प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह छौंकर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करे। यदि यूपी सरकार ऐसा नहीं करती तो वे दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के नेतृत्व में वृहद आंदोलन करेंगे।
दो बजे का समय दिया है मुख्यमंत्री ने
वीरेंद्र सिंह छौंकर ने बताया कि लखनऊ में उनका तीन दिनों का आंदोलन है। आज दोपहर दो बजे मुख्यमंत्री ने मुलाकात का समय दिया है। बातचीत में शिक्षामित्र उनसे 25 अगस्त से पहले सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात कहेंगे। साथ ही उनके लिए अध्यादेश लाने की बात सामने रखेंगे। यदि उनकी बात नहीं मानी जाती है तो वे हार नहीं मानेंगे। 25 अगस्त से दिल्ली के रामलीला मैदान में ये सवा लाख समायोजित शिक्षामित्र देशव्यापी आंदोलन करेंगे जिसका नेतृत्व समाज सेवी अन्ना हजारे करेंगे।
ये है मामला
सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करीब सवा लाख शिक्षामित्रों को अभी तक 38,800 रुपए प्रतिमाह वेतन मिल रहा था। वहीं समायोजन से वंचित शिक्षामित्रों को 3500 रुपए मानदेय के रूप में मिल रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने इनके समायोजन को रद्द कर दिया था। साथ ही सहायक अध्यापक पद के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करना आवश्यक कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज समायोजित शिक्षामित्र लगातार कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे थे। इसी विरोध के चलते उन्होंने सोमवार को राजधानी लखनऊ में आंदोलन शुरू किया था। आंदोलन के बाद योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अनुपालन करते हुए और शिक्षामित्रों की मांग का ध्यान रखते हुए समायोजित शिक्षामित्रों व गैर समायोजित शिक्षामित्रों दोनों को समान मानदेय 10000 रुपए प्रतिमाह देने का फैसला किया है। सरकार का ये फैसला शिक्षामित्रों को रास नहीं आया है। उनका कहना है कि सरकार हमें बरगला रही है। सरकार ने संकल्प पत्र में वादा किया था कि तीन महीने में हम शिक्षामित्रों की समस्याओं का निदान करेंगे लेकिन अब सरकार मुकर रही है। हमें वेतन चाहिए मानदेय नहीं।
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