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आर्थिक संकट झेलने से मानसिक तनाव में आए शिक्षामित्र

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : शिक्षामित्रों के मूल मानदेय पर लौटने का असर शिक्षामित्रों पर कुछ इस तरह पड़ा है कि उनका पूरा आर्थिक ढांचा गड़बड़ा गया है।
सहायक अध्यापकों के पद पर समायोजित हुए शिक्षमित्रों को जब एक अच्छा वेतन मिला तो उनके खर्चे भी उसी हिसाब से बढ़ गए और अब एकाएक कम हुए उनके वेतन ने उन्हें तमाम परेशानियों में डाल दिया है।
अधिकतर शिक्षामित्रों के बच्चे महंगे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। अधिकतर शिक्षामित्रों ने पर्सनल लोन, होम लोन, कार लोन ले रखें हैं और कई ऐसे भी हैं जिन्होंने एक अच्छी रकम अपने परिवार के साथ पिकनिक, टूर आदि के लिए जोड़ी हुई थी। मूल पद पर वापस आने से यह दिक्कत आ गई है कि कैसे वह इस लोन को भरेंगे। नगर क्षेत्र के एक शिक्षा मित्र विनोद कुमार के बच्चे हैं। अपने परिवार में वही अकेले कमाने वाले हैं। बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं। ऐसे में फैसले से एकाएक उनकी आर्थिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित हो गई है। वहीं, घूकना के विद्यालय में शिक्षा मित्र राकेश के पिता कैंसर से पीडित हैं। महंगे अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। ऐसे में उनके सामने दिक्कत आ गई है कि वह इतने कम पैसों में अपने पिता का इलाज कैसे कराएं? इसके अलावा अधिकार शिक्षक 35 से 40 वर्ष की आयु के बीच हैं। उनकी सरकारी नौकरी पाने की उम्र भी निकल गई है। ये कुछ ऐसी विकट समस्याएं हैं, जो कि शिक्षामित्र झेल रहे हैं। इस बारे में आदर्श समायोजित शिक्षामित्र मंडल के मंडलीय मंत्री दुष्यंत बताते हैं कि शिक्षामित्रों से जो योग्यता मांगी गई, उन्होंने वह पूरी की। शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण देने का कार्य राज्य सरकार का था। इसमें उनकी क्या गलती? उन्होंने कहा कि सरकार के इस पक्षपात पूर्ण फैसले के खिलाफ वह अब उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
मूल पद पर इतने मानदेय से आर्थिक समस्याएं सामने खड़ी हो गई हैं। सरकार को यह नीति पहले बनाई जानी चाहिए। महंगाई इतनी है, मात्र दस हजार के मानदेय में क्या होगा। इस समय बहुत तनाव में हुं।
भारत कुमार, शिक्षामित्र
जो हमारी योग्यता थी, उस हिसाब से सरकार ने रखा, उसे ही आगे का प्रशिक्षण करवाना चाहिए था। इतने कम पैसों में कैसे गुजारा होगा। यह फैसला बहुत गलत है। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं।

दुष्यंत, मंडलीय मंत्री, आदर्श समायोजित शिक्षामित्र एसोसिएशन
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