अमर उजाला ब्यूरो प्रतापगढ़ प्रधानमंत्री को काला झंडा दिखाने और 16 दिन वाराणसी कारागार में बंद रहने वाले शिक्षामित्रों की सेवा समाप्त करने के आदेश पर हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने रोक लगा दी है।
गुरुवार को न्यायमूर्ति राजन राय ने शिक्षामित्रों की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश जारी किया है।
आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन की जिलाध्यक्ष रीना सिंह ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ लखनऊ में वाद दायर करके बेसिक शिक्षा शिक्षा निदेशक डॉ. सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें वाराणसी जेल में बंद शिक्षामित्रों की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी किया था। अधिवक्ता विनय मिश्रा ने शिक्षामित्रों की दलील पेश करते हुए कहा कि वह अपने हक के लिए आवाज उठा रहे थे। कार्यक्रम स्थल पर न ही कोई तोड़फोड़ हुई, और न ही कोई अभद्रता। न्यायमूर्ति राजन राय ने बेसिक शिक्षा निदेशक के पत्र देखकर सरकारी अधिवक्ता से पूछा कि क्या निदेशक को सेवा समाप्त करने का अधिकार है, इस पर कोर्ट को जवाब मिला कि नहीं। इतना सुनते ही कोर्ट ने निदेशक के अधिकार पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया। कोर्ट का यह आदेश वाराणसी और चंदौली के उन शिक्षामित्रों के लिए भी लागू होगा, जिन्हें विभाग नोटिस जारी करके स्पष्टीकरण तलब किया है। कोर्ट के फैसले पर जिलाध्यक्ष रीना सिंह ने खुशी जताते हुए कहा है कि यह लड़ाई सूबे के 35 शिक्षामित्रों की ही नहीं, बल्कि 1.72 लाख शिक्षामित्रों के स्वाभिमान की जीत हुई है।
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गुरुवार को न्यायमूर्ति राजन राय ने शिक्षामित्रों की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश जारी किया है।
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