लखनऊ. निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले 24 अक्टूबर को योगी सरकार ने कैबिनेट बैठक में 22 अहम फैसले लिए। जिसमें एडेड स्कूलों में रिटायर्ड टीचर्स की 26 हजार पदों पर भर्ती की जाएगी।
अब इस मामले पर सरकार के फैसले का विरोध शुरू हो गया है। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार का यह फैसला नौजवानों की प्रगति का रास्ता रोकने जैसा है। रुपये बचाने के लिए सरकार ने लिया ऐसा फैसला
-शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष फखरुल हसन चांद का कहना है कि यह फैसला बिल्कुल गलत है। योगी सरकार यूपी में नौजवानों को रोजगार देने का वादा कर सत्ता में आई थी। मगर अब सरकार अपने फैसले से पलटते हुए सिर्फ रुपये बचाने के उद्देश्य से ऐसा कर रही है।
-उन्होंने कहा कि अगर किसी युवा को दी जाती है तो उसे शुरुआत से ही 50 से 55 हजार सैलरी दी जाती है, जबकि सरकार अब संविदा पर रखे जाने वाले रिटायर्ड टीचर्स को 20 हजार और 15 हजार रुपये देगी।
-उन्होंने कहा "शिक्षा के क्षेत्र में नए टैलेंट का प्रयोग करना चाहिए लेकिन सरकार उनके रास्ते बंद करने का काम कर रही है।"
50 साल के ऊपर जाकर शिक्षक की कैपिसिटी ख़त्म होने लगती है
-माध्यमिक शिक्षक संघ उत्तरप्रदेश के अध्यक्ष डॉ आरपी मिश्रा का कहना है कि एक तरफ सरकार 50 साल के ऊपर के कर्मचारियों की स्क्रीनिंग कर हटा रही है तो दूसरी तरफ 70 साल से कम रिटायर्ड टीचर्स को नौकरी दे रहे हैं। यह बिल्कुल ही गलत फैसला है।
-उन्होंने कहा कि 50 की उम्र पार होते ही शिक्षकों की कैपिसिटी पढ़ाने की ख़त्म होने लगती है। ऐसे में 70 साल की उम्र वाले कैसे पढ़ाएंगे।
-उन्होंने कहा कि सरकार का यह फैसला स्कूलों का भविष्य खराब कर देगा। सरकार को चाहिए था भर्ती करे या क्वालिफाइड यंग टीचर्स को ही मौका देते तो बेहतर फैसला होता।
खाली पदों को भरने में सक्षम नहीं है सरकार
-लुआक्टा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ मुलेंदु मिश्रा कहते हैं कि सरकार अपने सिस्टम से परेशान है। वह सक्षम ही नहीं कि छह महीने या साल भर में कोई पद भर पाए। इसलिए यह बीच का रास्ता निकाला है।
-यह सरकार अभी 26 हजार पदों पर भर्ती कर रही है। लेकिन इस फैसले को देखकर यही लगता है कि आगे भी वह नवजवानों का रास्ता बंद करने का काम करेगी।
-उन्होंने कहा जो युवा बीएड या बीटीसी करके बेरोजगार हैं इन भर्तियों के जरिये सरकार इन नौजवानों की दिक्कत खत्म कर सकती थी।
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
अब इस मामले पर सरकार के फैसले का विरोध शुरू हो गया है। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार का यह फैसला नौजवानों की प्रगति का रास्ता रोकने जैसा है। रुपये बचाने के लिए सरकार ने लिया ऐसा फैसला
-शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष फखरुल हसन चांद का कहना है कि यह फैसला बिल्कुल गलत है। योगी सरकार यूपी में नौजवानों को रोजगार देने का वादा कर सत्ता में आई थी। मगर अब सरकार अपने फैसले से पलटते हुए सिर्फ रुपये बचाने के उद्देश्य से ऐसा कर रही है।
-उन्होंने कहा कि अगर किसी युवा को दी जाती है तो उसे शुरुआत से ही 50 से 55 हजार सैलरी दी जाती है, जबकि सरकार अब संविदा पर रखे जाने वाले रिटायर्ड टीचर्स को 20 हजार और 15 हजार रुपये देगी।
-उन्होंने कहा "शिक्षा के क्षेत्र में नए टैलेंट का प्रयोग करना चाहिए लेकिन सरकार उनके रास्ते बंद करने का काम कर रही है।"
50 साल के ऊपर जाकर शिक्षक की कैपिसिटी ख़त्म होने लगती है
-माध्यमिक शिक्षक संघ उत्तरप्रदेश के अध्यक्ष डॉ आरपी मिश्रा का कहना है कि एक तरफ सरकार 50 साल के ऊपर के कर्मचारियों की स्क्रीनिंग कर हटा रही है तो दूसरी तरफ 70 साल से कम रिटायर्ड टीचर्स को नौकरी दे रहे हैं। यह बिल्कुल ही गलत फैसला है।
-उन्होंने कहा कि 50 की उम्र पार होते ही शिक्षकों की कैपिसिटी पढ़ाने की ख़त्म होने लगती है। ऐसे में 70 साल की उम्र वाले कैसे पढ़ाएंगे।
-उन्होंने कहा कि सरकार का यह फैसला स्कूलों का भविष्य खराब कर देगा। सरकार को चाहिए था भर्ती करे या क्वालिफाइड यंग टीचर्स को ही मौका देते तो बेहतर फैसला होता।
खाली पदों को भरने में सक्षम नहीं है सरकार
-लुआक्टा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ मुलेंदु मिश्रा कहते हैं कि सरकार अपने सिस्टम से परेशान है। वह सक्षम ही नहीं कि छह महीने या साल भर में कोई पद भर पाए। इसलिए यह बीच का रास्ता निकाला है।
-यह सरकार अभी 26 हजार पदों पर भर्ती कर रही है। लेकिन इस फैसले को देखकर यही लगता है कि आगे भी वह नवजवानों का रास्ता बंद करने का काम करेगी।
-उन्होंने कहा जो युवा बीएड या बीटीसी करके बेरोजगार हैं इन भर्तियों के जरिये सरकार इन नौजवानों की दिक्कत खत्म कर सकती थी।
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