इलाहाबाद : यूपी बोर्ड की आगामी परीक्षा के केंद्र निर्धारण में किसी अफसर या फिर कर्मचारी की नहीं चलेगी, बल्कि केंद्र निर्धारण का हर जवाब कंप्यूटर जी के पास होगा।
इसकी वजह यह है कि शासन बोर्ड मुख्यालय पर भले ही केंद्र बनवा रहा है, लेकिन सबके हाथ बांध दिए गए हैं। इसमें मैनुअल कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है, सिर्फ संसाधन आदि की डाटा फीडिंग तक केंद्र निर्धारण टीम का रोल रहेगा। इससे कदम से शिक्षा माफियाओं का हाशिए पर जाना तय है। माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा 2018 फरवरी माह से शुरू होनी है। हर साल शिक्षा माफिया परीक्षा केंद्र निर्धारण से ही अपनी सेटिंग शुरू करते रहे हैं, ताकि चहेतों को अच्छे अंकों से उत्तीर्ण कराया जा सके। इस बार शासन ने कड़ी लगाम लगाई है। केंद्र निर्धारण जिलों से छीनकर बोर्ड मुख्यालय को सौंपा गया है। जिला विद्यालय निरीक्षकों की भूमिका सूचना देने व उसका सत्यापन करने भर की रह गई है। बोर्ड मुख्यालय के अफसर व कर्मचारी भी केंद्र निर्धारण में कोई हेरफेर न कर सके, इसके भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पिछले दिनों प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षकों के तबादले के लिए जिस तरह का साफ्टवेयर तैयार किया गया था, कुछ उसी तर्ज पर केंद्र निर्धारण होने जा रहा है। इसमें सारा कुछ विद्यालय में उपलब्ध संसाधन, एक से दूसरे स्कूल की दूरी और धारण क्षमता पर निर्भर करेगी। शासन ने हर कार्य का अंक तय किया है, यह अंक ही केंद्र बनाने का आधार होंगे।
एक से अधिक स्कूलों का एक केंद्र : शासन के कड़े निर्देश हैं कि केंद्र निर्धारण में सबसे पहले राजकीय और अशासकीय विद्यालयों को ही वरीयता दी जाए। जहां पर कोई विकल्प न हो वहां निजी स्कूल केंद्र बनाए जाएं। यानी उस परिधि में यदि सारे परीक्षार्थी इन स्कूलों में नहीं बैठ पा रहे हैं तभी निजी विद्यालय केंद्र बनेगा। ऐसे में एक से अधिक स्कूलों का परीक्षा केंद्र इस बार एक ही होगा।
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इसकी वजह यह है कि शासन बोर्ड मुख्यालय पर भले ही केंद्र बनवा रहा है, लेकिन सबके हाथ बांध दिए गए हैं। इसमें मैनुअल कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है, सिर्फ संसाधन आदि की डाटा फीडिंग तक केंद्र निर्धारण टीम का रोल रहेगा। इससे कदम से शिक्षा माफियाओं का हाशिए पर जाना तय है। माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा 2018 फरवरी माह से शुरू होनी है। हर साल शिक्षा माफिया परीक्षा केंद्र निर्धारण से ही अपनी सेटिंग शुरू करते रहे हैं, ताकि चहेतों को अच्छे अंकों से उत्तीर्ण कराया जा सके। इस बार शासन ने कड़ी लगाम लगाई है। केंद्र निर्धारण जिलों से छीनकर बोर्ड मुख्यालय को सौंपा गया है। जिला विद्यालय निरीक्षकों की भूमिका सूचना देने व उसका सत्यापन करने भर की रह गई है। बोर्ड मुख्यालय के अफसर व कर्मचारी भी केंद्र निर्धारण में कोई हेरफेर न कर सके, इसके भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पिछले दिनों प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षकों के तबादले के लिए जिस तरह का साफ्टवेयर तैयार किया गया था, कुछ उसी तर्ज पर केंद्र निर्धारण होने जा रहा है। इसमें सारा कुछ विद्यालय में उपलब्ध संसाधन, एक से दूसरे स्कूल की दूरी और धारण क्षमता पर निर्भर करेगी। शासन ने हर कार्य का अंक तय किया है, यह अंक ही केंद्र बनाने का आधार होंगे।
एक से अधिक स्कूलों का एक केंद्र : शासन के कड़े निर्देश हैं कि केंद्र निर्धारण में सबसे पहले राजकीय और अशासकीय विद्यालयों को ही वरीयता दी जाए। जहां पर कोई विकल्प न हो वहां निजी स्कूल केंद्र बनाए जाएं। यानी उस परिधि में यदि सारे परीक्षार्थी इन स्कूलों में नहीं बैठ पा रहे हैं तभी निजी विद्यालय केंद्र बनेगा। ऐसे में एक से अधिक स्कूलों का परीक्षा केंद्र इस बार एक ही होगा।
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