कानपुर देहात. सरकारी
स्कूल में आज नौनिहालों की शिक्षा का जो स्तर पटरी से उतरता दिखाई दे रहा
है। उसके जिम्मेदार कोई और नही स्वयं शिक्षक ही है| क्योंकि आमतौर पर
अधिकांश शिक्षक स्कूलों से गायब रहते है।
कुछ शिक्षकों का आलम ये है कि वह
स्कूल आने की खानापूरी कर बच्चों का भविष्य चौपट कर रहे है, लेकिन कानपुर
देहात के सरवनखेडा ब्लाक के मंगटा गांव स्थित प्राईमरी स्कूल के आशीष
द्विवेदी शिक्षक के रूप मे ऐसे मिशाल बन गये है। जिन्होने अपने इस सरकारी
स्कूल को एक माडल स्कूल का रूप दे दिया है| आशीष के इस कार्य की तारीफ करते
हुये जिले के विभागीय सहित अन्य अधिकारी तारीफ करते हुये नही थक रहे है।
आशीष किसी अन्य सहायता से नही बल्कि अपने
निजी धन से बच्चो की वेश भूषा सहित स्कूल की साफ सफाई सहित पढने के लिये
फर्नीचर सभी कुछ अपने वेतन से बनवा रहे है| सरकार ने विज्ञान की प्रयोगशाला
नहीं दी, बावजूद इसके उन्होने यहाँ एक विज्ञान प्रयोगशाला तक स्थापित कर
दी है| जो कहीं न कहीं सराहनीय कार्य होते हुये अन्य शिक्षकों के लिये एक
नजीर बने हुये है| यह स्कूल क्यों न सरकारी हो लेकिन इस स्कूल के शिक्षक की
सोच ने पूरे विद्यालय को ही बदल कर रख दिया है| खंड शिक्षाधिकारी व अन्य
शिक्षकों से मिली प्रेरणा कानपूर देहात के एक पिछड़े इलाके सरवनखेडा विकास
खंड के मंगटा गाँव में स्थित प्राइमरी स्कूल ने एक ऐसी नजीर पेश की है|
जिसके सहारे पूरे प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था को भी
बदला जा सकता है| क्योकि यहाँ के प्रधानाध्यापक आशीष दिवेदी ने इस विद्यालय
की बदहाल व्यवस्था को पूर्णतया बदलकर रख दिया है| ताज्जुब ये है कि बिना
किसी वित्तीय सहायता के आशीष ने इस विद्यालय के साथ ही यहाँ के बच्चो की
रूप रेखा ही बदल दी है।
आशीष ने बताया कि माडल स्कूल बनाने की
प्रेरणा उन्हे खंड शिक्षाधिकारी, एनपीआरसी सहित अपने स्कूल के शिक्षकों से
मिली है| अपने वेतन से करते है सारा खर्च बदहाल सरकारी स्कूल में ज्वाइन
करते ही आशीष ने पहले यहाँ के बच्चो की वेश भूषा के लिये अपने वेतन से सभी
बच्चो को बेहतर युनिफोर्म की व्यवस्था की| वहीं बच्चों के पढने के लिये
स्कूल मे फर्नीचर की व्यवस्था की और बच्चो के सामान्य ज्ञान की वृद्धि के
लिए आशीष ने एक विज्ञान प्रयोगशाला का भी निर्माण विद्यालय में ही कराया
है| जिसे देखने के बाद सभी अधिकारी भी अब यहाँ के इस प्रधानाध्यापक आशीष
दिवेदी की तारीफ कर रहे है| आशीष का कहना है कि इस कार्य में सभी
अधिकारियों व स्टाफ का भी सहयोग है| हम लोगो ने यहाँ खुद मजदूरो की तरह एक
साथ मिलकर काम करते हुए इस स्कूल को नया रूप दिया है| आशीष का कहना है कि
प्राइवेट स्कूलों के प्रति जो रुझान अभिवावाको का है, उसे बदलने के लिए वे
यह काम कर रहे है|
विभागीय अफसरों ने कहा ये है आदर्श शिक्षक
जब जिले के शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियो ने इस स्कूल का निरिक्षण किया
तो खुद इस ब्लाक के खंड शिक्षा अधिकारी भी इस प्रधानाचार्य की तारीफ़ करते
नजर आये| खुद खंड शिक्षा अधिकारी का कहना है कि पहले यह स्कूल बिलकुल जर्जर
व गड्ढे में बना हुआ था, लेकिन जब से आशीष द्विवेदी यहाँ प्रधानाध्यापक
बनकर आये तो उन्होंने इस विद्यालय को मॉडल स्कूल की तर्ज पर विकसित करने की
मुहिम छेड़ रखी है| उनमें लगन है, मुकाम तक जरूर पहुंचेंगे| इस तरह बदल गयी
ग्रामीणों की सोच वही एक शिक्षक की इस मुहिम ने जहाँ विद्यालय से लेकर इन
नौनिहालों की तकदीर को बदलने का काम किया है| साथ ही इलाके के अभिवावको की
सोच को भी बदलने का काम किया है| जहाँ एक ओर लोग अपने बच्चो के बेहतर
भविष्य के लिए उन्हें प्राइवेट स्कूल में भेजने की सोच रखते थे| वही अब
यहाँ के लोग अपने बच्चों को इस सरकारी स्कूल में पढ़ाने का मन बना चुके है|
स्कूल देखकर डीआईओएस बोले काफी चर्चाओं के बाद इस मॉडल स्कूल का निरीक्षण
करने जब खुद जिले के जिला विधालय निरीक्षक अरविन्द द्विवेदी वहाँ पहुंचे तो
एक सरकारी स्कूल की जो तस्वीर देखी, उसे देखकर खुद डीआईओएस भी तारीफ़ करते
नजर आये| डीआईओएस का कहना है कि वे शासन को पत्र लिखकर इस विद्यालय के लिए
अतिरिक्त अनुदान की मांग करेंगे| जिससे विद्यालय को और भी बेहतर बनाया जा
सके| और इस विद्यालय का सपना साकार हो सके| .
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines