लिखित परीक्षा को लेकर चिंता , टीईटी पास 20 हजार शिक्षामित्रों की उम्मीदों पर फिरा पानी

इलाहाबाद। सहायक अध्यापक के पद से समायोजन रद्द होने और शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता के फैसले से तकरीबन 20 हजार शिक्षामित्रों को नियमितीकरण की आस थी लेकिन योगी कैबिनेट
की पिछली बैठक में टीईटी के बाद राज्य स्तर पर लिखित परीक्षा कराने के निर्णय ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। अब लिखित परीक्षा को लेकर उनकी चिंता बढ़ गई है।
प्रदेश में शिक्षामित्रों की कुल संख्या तकरीबन 1.72 लाख है। पिछली सरकार में इसमें से 1.37 लाख शिक्षामित्र का परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद समायोजन हुआ था। सर्वोच्च अदालत ने 25 जुलाई को समायोजन रद्द करने के साथ टीईटी की अनिवार्यता का फैसला लिया तो उन शिक्षामित्रों ने राहत की सांस ली, जो टीईटी पास थे। सर्वोच्च अदालत का फैसला आने के बाद प्रदेश सरकार ने टीईटी पास शिक्षामित्रों की सूची भी तैयार कराई लेकिन अब सरकार द्वारा सहायक अध्यापक के लिए राज्य स्तर पर लिखित परीक्षा कराने का फैसला लेने से शिक्षामित्रों की परेशानी बढ़ गई है। अदालत का फैसला आने के बाद शिक्षामित्र यह मान कर चल रहे थे कि टीईटी पास होने के कारण सरकार उन्हें प्राथमिकता देगी लेकिन उन्हें भी अब लिखित परीक्षा में शामिल होना पड़ेगा।
टीईटी के लिए कोचिंग कर रहे शिक्षामित्र
इलाहाबाद। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 15 अक्तूबर को होनी है। इसके लिए 10 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं। इसमें शिक्षामित्रों की भी बड़ी संख्या है। सहायक अध्यापक बनने की आस लगाए शिक्षामित्र टीईटी पास होने के लिए कोचिंग संस्थानों का सहारा ले रहे हैं। बड़ी संख्या में शिक्षामित्रों ने कोचिंग संस्थानों में प्रवेश लिया है, ताकि टीईटी पास हो सकें। हालांकि इसके बाद उन्हें राज्य स्तरीय लिखित परीक्षा में शामिल होना है। जो शिक्षामित्र टीईटी में सफल होंगे, वे आगे सहायक अध्यापक की लिखित परीक्षा में सफल होने के लिए भी कोचिंग संस्थान का सहारा ले सकते हैं। यही स्थिति टीईटी पास शिक्षामित्रों की भी है। राज्य स्तरीय लिखित परीक्षा में तर्कशक्ति, सामान्य ज्ञान, सामान्य अंग्रेजी और हिन्दी, संख्यात्मक योग्यता तथा शिक्षक अभिरुचि के प्रश्न पूछे जाएंगे।
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