पंकज मिश्रा, ग्रेटर नोएडा वर्ष 2017 समाप्त होने वाला है। अगर साल भर के लेखा जोखा की बात करें
तो बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग विभिन्न उतार चढ़ावों के दौर से गुजरा
है। इस वर्ष कुछ अच्छे कार्य हुए हैं तो कई कमियां ऐसी रही हैं, जो पूरे
वर्ष विभाग के लिए नासूर बनी रहीं, जिसने बच्चों के पठन पाठन को खासा
प्रभावित किया।
बात अगर बेसिक शिक्षा की करें तो यूनिफॉर्म में बदलाव व नो बैग डे सरीखे शासन स्तर से लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों की वजह से एक तरफ जहां जिले की परिषदीय विद्यालयों में पिछले वर्ष के मुकाबले विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा हुआ तो विद्यालयों में शिक्षकों के बेमेल अनुपात की समस्या जस की तस बनी रही। वहीं माध्यमिक शिक्षा विभाग पर नजर डालें तो यहां भी शासनस्तर से हुए कुछ महत्वपूर्ण बदलावों की बदौलत यूपी बोर्ड में जहां पारदर्शिता आई वहीं इसकी वजह से कहीं न कहीं छात्रसंख्या में भी बढ़ोतरी देखने को मिली। विभाग को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से इस वर्ष ज्यादातर प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई, जिसमें हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के विद्यार्थियों के पंजीकरण के साथ ही परीक्षा केंद्रों का निर्धारण भी शामिल है। इस वर्ष जिले में हाईस्कूल इंटरमीडिएट की छात्र संख्या में पिछले वर्ष के मुकाबले 2108 परीक्षार्थियों की बढ़ोतरी हुई है। आइए नजर डालते हैं बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग में हुए नवाचारों व प्रमुख बदलावों पर :
बेसिक शिक्षा :
407 अशिक्षित बच्चों का कराया गया स्कूलों में दाखिला : आर्थिक तंगी व अन्य वजहों से स्कूली शिक्षा से वंचित रह गए जिले के 407 अशिक्षित बच्चों का दाखिला परिषदीय व निजी स्कूलों में कराया गया। आरटीई के तहत दाखिले में बना रिकॉर्ड : शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत जिले के निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के दाखिलों की संख्या इस वर्ष एक हजार के पार पहुंच गई। इस वर्ष आरटीई के तहत 1105 गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाया गया।
पूरे वर्ष अटका रहा शिक्षकों का समायोजन :इस वर्ष खास बात यह रही कि शिक्षकों के समायोजन को लेकर साल भर असमंजस की स्थिति बनी रही। जून में शिक्षकों के समायोजन पर कोर्ट द्वारा स्टे लगाए जाने के बाद अब तक इसको लेकर कोई भी फैसला नहीं हो पाया।
बुरी तरह फेल हुई आधार योजना : अप्रैल में नवीन शैक्षिक सत्र की शुरुआत के समय सभी विद्यार्थियों का आधार अनिवार्य करने का शासनादेश आया। इसको ध्यान में रखते हुए कुछ विद्यालयों मे शिविर भी लगाए गए, लेकिन अब तक आधे विद्यार्थियों के भी आधार कार्ड नहीं बन पाए हैं।
शिक्षामित्रों के आंदोलन से उबरने में कामयाब हुई शिक्षा विभाग : जिले में कार्यरत सभी 710 शिक्षामित्रों ने शिक्षण कार्य का बहिष्कार करते हुए समायोजन बहाल करने के लिए व्यापक आंदोलन शुरू कर दिया था। जिससे निबटने में शिक्षा विभाग जल्दी ही कामयाब हुआ और स्कूलों में शिक्षण कार्य फिर से सुचारू हुआ।
सभी विद्यार्थियों को वितरित किए गए जूते-मोजे : शासन की योजना के मुताबिक दिसंबर मध्य तक परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश विद्यार्थियों को जूते-मोजे वितरित कर दिए गए, जबकि स्वेटर वितरण को लेकर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है।
माध्यमिक शिक्षा :
फीस वृद्धि को लेकर नहीं हो सका कोई निर्णय : हर साल की तरह इस बार भी शैक्षिक सत्र की शुरुआत में निजी स्कूलों द्वारा फीस में भारी भरकम बढ़ोतरी किए जाने पर अभिभावकों ने खासा हंगामा किया। इसको देखते हुए प्रशासन ने भी स्कूल संचालकों व अभिभावकों के साथ कई दौर की बैठकें की, लेकिन अंतत: कोई नतीजा नहीं निकल सका।
माध्यमिक विद्यालयों में 40 शिक्षकों की हुई नियुक्ति : इस वर्ष जिले की माध्यमिक विद्यालयों से 30 कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए, जिसमें 18 प्रवक्ता व सहायक अध्यापक, 10 लिपिक व दो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी शामिल रहे। जबकि आयोग से विभिन्न सहायताप्राप्त विद्यालयों में 40 नए शिक्षकों की नियुक्ति हुई।
51 विद्यालयों में लगाई गई बायोमीट्रिक मशीनें : शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने सभी राजकीय व सहायताप्राप्त विद्यालयों में बायोमीट्रिक मशीनों को अनिवार्य कर दिया गया, जिसके तहत जिले की 45 सहायताप्राप्त व छह राजकीय इंटर कॉलेजों में बायोमीट्रिक मशीने लगाई गई। इसके अलावा सभी 51 विद्यालयों में सीसीटीवी कैमरों भी लगा दिए गए।
यूपी बोर्ड परीक्षा में हुए बदलाव : यूपी बोर्ड परीक्षा को लेकर जो प्रमुख बदलाव हुए हैं, उसमें मुख्य रूप से परीक्षा केंद्र का निर्धारण शामिल है। इस बार परिषद से ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों का निर्धारण किया गया। पिछले वर्ष जिले में 51 विद्यालयों को परीक्षा केंद्र के तौर पर चयनित किया गया था, जबकि इस वर्ष 46 विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है।
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बात अगर बेसिक शिक्षा की करें तो यूनिफॉर्म में बदलाव व नो बैग डे सरीखे शासन स्तर से लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों की वजह से एक तरफ जहां जिले की परिषदीय विद्यालयों में पिछले वर्ष के मुकाबले विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा हुआ तो विद्यालयों में शिक्षकों के बेमेल अनुपात की समस्या जस की तस बनी रही। वहीं माध्यमिक शिक्षा विभाग पर नजर डालें तो यहां भी शासनस्तर से हुए कुछ महत्वपूर्ण बदलावों की बदौलत यूपी बोर्ड में जहां पारदर्शिता आई वहीं इसकी वजह से कहीं न कहीं छात्रसंख्या में भी बढ़ोतरी देखने को मिली। विभाग को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से इस वर्ष ज्यादातर प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई, जिसमें हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के विद्यार्थियों के पंजीकरण के साथ ही परीक्षा केंद्रों का निर्धारण भी शामिल है। इस वर्ष जिले में हाईस्कूल इंटरमीडिएट की छात्र संख्या में पिछले वर्ष के मुकाबले 2108 परीक्षार्थियों की बढ़ोतरी हुई है। आइए नजर डालते हैं बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग में हुए नवाचारों व प्रमुख बदलावों पर :
बेसिक शिक्षा :
407 अशिक्षित बच्चों का कराया गया स्कूलों में दाखिला : आर्थिक तंगी व अन्य वजहों से स्कूली शिक्षा से वंचित रह गए जिले के 407 अशिक्षित बच्चों का दाखिला परिषदीय व निजी स्कूलों में कराया गया। आरटीई के तहत दाखिले में बना रिकॉर्ड : शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत जिले के निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के दाखिलों की संख्या इस वर्ष एक हजार के पार पहुंच गई। इस वर्ष आरटीई के तहत 1105 गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाया गया।
पूरे वर्ष अटका रहा शिक्षकों का समायोजन :इस वर्ष खास बात यह रही कि शिक्षकों के समायोजन को लेकर साल भर असमंजस की स्थिति बनी रही। जून में शिक्षकों के समायोजन पर कोर्ट द्वारा स्टे लगाए जाने के बाद अब तक इसको लेकर कोई भी फैसला नहीं हो पाया।
बुरी तरह फेल हुई आधार योजना : अप्रैल में नवीन शैक्षिक सत्र की शुरुआत के समय सभी विद्यार्थियों का आधार अनिवार्य करने का शासनादेश आया। इसको ध्यान में रखते हुए कुछ विद्यालयों मे शिविर भी लगाए गए, लेकिन अब तक आधे विद्यार्थियों के भी आधार कार्ड नहीं बन पाए हैं।
शिक्षामित्रों के आंदोलन से उबरने में कामयाब हुई शिक्षा विभाग : जिले में कार्यरत सभी 710 शिक्षामित्रों ने शिक्षण कार्य का बहिष्कार करते हुए समायोजन बहाल करने के लिए व्यापक आंदोलन शुरू कर दिया था। जिससे निबटने में शिक्षा विभाग जल्दी ही कामयाब हुआ और स्कूलों में शिक्षण कार्य फिर से सुचारू हुआ।
सभी विद्यार्थियों को वितरित किए गए जूते-मोजे : शासन की योजना के मुताबिक दिसंबर मध्य तक परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश विद्यार्थियों को जूते-मोजे वितरित कर दिए गए, जबकि स्वेटर वितरण को लेकर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है।
माध्यमिक शिक्षा :
फीस वृद्धि को लेकर नहीं हो सका कोई निर्णय : हर साल की तरह इस बार भी शैक्षिक सत्र की शुरुआत में निजी स्कूलों द्वारा फीस में भारी भरकम बढ़ोतरी किए जाने पर अभिभावकों ने खासा हंगामा किया। इसको देखते हुए प्रशासन ने भी स्कूल संचालकों व अभिभावकों के साथ कई दौर की बैठकें की, लेकिन अंतत: कोई नतीजा नहीं निकल सका।
माध्यमिक विद्यालयों में 40 शिक्षकों की हुई नियुक्ति : इस वर्ष जिले की माध्यमिक विद्यालयों से 30 कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए, जिसमें 18 प्रवक्ता व सहायक अध्यापक, 10 लिपिक व दो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी शामिल रहे। जबकि आयोग से विभिन्न सहायताप्राप्त विद्यालयों में 40 नए शिक्षकों की नियुक्ति हुई।
51 विद्यालयों में लगाई गई बायोमीट्रिक मशीनें : शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने सभी राजकीय व सहायताप्राप्त विद्यालयों में बायोमीट्रिक मशीनों को अनिवार्य कर दिया गया, जिसके तहत जिले की 45 सहायताप्राप्त व छह राजकीय इंटर कॉलेजों में बायोमीट्रिक मशीने लगाई गई। इसके अलावा सभी 51 विद्यालयों में सीसीटीवी कैमरों भी लगा दिए गए।
यूपी बोर्ड परीक्षा में हुए बदलाव : यूपी बोर्ड परीक्षा को लेकर जो प्रमुख बदलाव हुए हैं, उसमें मुख्य रूप से परीक्षा केंद्र का निर्धारण शामिल है। इस बार परिषद से ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों का निर्धारण किया गया। पिछले वर्ष जिले में 51 विद्यालयों को परीक्षा केंद्र के तौर पर चयनित किया गया था, जबकि इस वर्ष 46 विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है।
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