उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सोमवार को आरोप लगाया कि शिक्षक भर्ती के नाम पर प्रदेश के भावी प्राइमरी अध्यापकों के
भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार राज्य शैक्षिक
अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के विज्ञापन के अनुसार 68 हजार 500 भर्तियां
निकली थीं.
इनका शुरूआती कट-आफ सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग के लिए 45 प्रतिशत
और एससी/एसटी के लिए 40 प्रतिशत रखा गया था.
पार्टी के प्रवक्ता अशोक सिंह के अनुसार इसी बीच हाईकोर्ट ने टीईटी परीक्षा
में 2 नम्बर बढ़ाने का आदेश दिया, जिससे और 4500 लोग इस परीक्षा में शामिल
हुए. फिर सरकार ने 21 मई 2018 केा शासनादेश के माध्यम से सामान्य एवं अन्य
पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए कट-आफ 33 प्रतिशत और अनु0जाति/जनजाति के
अभ्यर्थियों के लिए 30 प्रतिशत कट-आफ रखा. इस भर्ती परीक्षा का जो रिजल्ट
आया, उसमें कई गड़बड़ियां पायी गयीं. बहुत सारे प्रश्नों के उत्तर गलत पाये
गये और जो चयनित सूची जारी हुई,
उसमें पुनः सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग के लिए 45 प्रतिशत और अनु0जाति-जनजाति
के लिए 40 प्रतिशत कर दिया. यह योगी सरकार द्वारा शिक्षण अभ्यर्थियों के
प्रति सरासर अन्याय है. उन्होंने कहा कि कुछ अभ्यर्थियों ने अपनी उत्तर
पुस्तिका को निकलवाया, जिसमें उनके वास्तविक अंक और शासनादेश द्वारा जारी
अंकों में भिन्नता पायी गयी. योगी सरकार इस तरीके से हजारो बच्चों को उनकी
नौकरी से बेदखल कर रही है जो कि अक्षम्य है.
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार जो मेरिट का
जुमला फेंकती है लेकिन अपने ही प्रदेश के बच्चों के साथ खिलवाड़ कर रही है
और यह फैसला इनका प्रमुख मुद्दा सबका साथ सबका विकास के बिल्कुल विपरीत है.
अभ्यर्थियों का एक प्रतिनिधिमंडल यूपी कांग्रेस के मीडिया विभाग से मिला
और जानकारी दी कि इस बदले हुए निर्णय से 5 अभ्यर्थियों ने आत्महत्या कर ली.
योगी
सरकार सिर्फ 45 हजार अभ्यर्थियों को नियुक्तियां देने जा रही है, बाकी
पदों को रिक्त करते हुए बचे हुए अभ्यर्थियों के भविष्य और पेट पर लात मार
रही है. प्रवक्ता ने योगी सरकार से अपील की कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर
त्वरित कार्यवाही करे, जिससे अभ्यर्थियों के साथ न्याय हो.
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