भर्ती की लिखित परीक्षा में भले ही सात हजार से अधिक ही शिक्षामित्र
उत्तीर्ण हो सके थे और कुछ को छोड़ अधिकांश के अंक भी औसत रहे हैं।
लेकिन,
शीर्ष कोर्ट के आदेश पर उन्हें ढाई अंक प्रति वर्ष का भारांक मिला इससे
उनके अंक इतने बढ़ गए कि वह सामान्य वर्ग की सीटों के हकदार बने। सूत्रों
की मानें तो अधिकांश शिक्षामित्रों का चयन सामान्य वर्ग की सीटों पर हुआ है
और पसंदीदा जिला पाने में वे सफल रहे हैं। यही नहीं जितने शिक्षामित्र सफल
हुए हैं उससे कुछ ही कम सामान्य अभ्यर्थी आरक्षण नियम से बाहर हो गए हैं।
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