प्राइमरी
स्कूलों में सहायक शिक्षकों के 68,500 पदों के लिए हुई परीक्षा को लेकर
हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में शुक्रवार को एक हतप्रभ करने वाला खुलासा हुआ।
इस परीक्षा में शामिल अनुसूचित वर्ग की एक छात्रा की उत्तर पुस्तिका ही बदल
दी गई। परिणाम को लेकर संदेह हुआ तो यह छात्रा हाईकोर्ट पहुंच गई। उत्तर
पुस्तिका बदलने का खुलासा होने पर कोर्ट ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए
हैं।
याचिका सोनिका देवी ने दायर की थी। उसने हाईकोर्ट के बताया कि 23 जनवरी 2018 को परीक्षा नियामक प्राधिकरण, एलनगंज, इलाहाबाद द्वारा सहायक शिक्षक भर्ती का विज्ञापन निकला था। उसने एससी वर्ग से लिखित परीक्षा दी और चयनित होने की पूरी उम्मीद थी।
परीक्षा की गाइडलाइंस के अनुसार लिखित परीक्षा में शामिल होने वालों को अपनी उत्तर पुस्तिका की कार्बन कॉपी ले जाने की अनुमति थी। सोनिका ने भी अपनी उत्तर पुस्तिका की कार्बन कॉपी ली थी। 13 अगस्त को उत्तर कुंजी जारी होने पर सोनिका ने अपनी उत्तर पुस्तिका की कार्बन कॉपी से मिलान किया तो उसके 66 अंक हो रहे थे।
जबकि एससी वर्ग में चयनित अंतिम अभ्यर्थी को 60 अंक मिले हैं। तब सोनिका ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने परीक्षा नियामक प्राधिकरण के सचिव को 28 अगस्त को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था। जब सचिव ने सोनिका की मूल उत्तर पुस्तिका कोर्ट में पेश की तो कॉर्बन कॉपी से उसका मिलान ही नहीं हुआ। हाईकोर्ट ने मामले को 31 अगस्त को सुनवाई के लिए रखा और जवाब मांगा।
तकनीकी विशेषज्ञ ने कहा, बार कोड मैच नहीं हुए
ताजा सुनवाई में तकनीकी विशेषज्ञ धर्मेंद्र शाही ने कोर्ट में उत्तर पुस्तिका की गहन जांच कर बताया कि याची की मूल पुस्तिका के पहले पन्ने पर दी गई बार कोडिंग और अंदर के पन्नों पर अंकित बारकोडिंग अलग-अलग हैं।
हम हतप्रभ : हाइकोर्ट
'यह बेहद हतप्रभ करने वाला मामला है। एक अभ्यर्थी परीक्षा में इस उम्मीद में शामिल हुआ कि वह पास हो जाएगा। उसने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन अंक देने की बारी आई तो उसकी उत्तर पुस्तिका ही बदल दी गई।'
- जस्टिस इरशाद अली
जो दोषी, उसे सजा दिलाएंगे : महाधिवक्ता
कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद महाधिवक्ता ने आश्वासन दिया कि वे सरकार के समक्ष इस मामले को रखेंगे और जिस भी व्यक्ति की वजह से कॉपी बदली गई है, उसे कानून के अनुसार सजा दिलवाई जाएगी।
छात्रा को काउंसलिंग में शामिल करने के निर्देश
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को रखते हुए निर्देश दिए हैं कि याची को 1 से 3 सितंबर के बीच होने जा रही काउंसलिंग में अस्थायी रूप से शामिल होने दिया जाए। याची की मूल उत्तर पुस्तिका की एक कॉपी महाधिवक्ता को दी जाए ताकि वे इसकी विस्तृत जांच करवाएं। इस जांच के संबंध में कोर्ट को अगली तारीख पर जानकारी दें।
याचिका सोनिका देवी ने दायर की थी। उसने हाईकोर्ट के बताया कि 23 जनवरी 2018 को परीक्षा नियामक प्राधिकरण, एलनगंज, इलाहाबाद द्वारा सहायक शिक्षक भर्ती का विज्ञापन निकला था। उसने एससी वर्ग से लिखित परीक्षा दी और चयनित होने की पूरी उम्मीद थी।
परीक्षा की गाइडलाइंस के अनुसार लिखित परीक्षा में शामिल होने वालों को अपनी उत्तर पुस्तिका की कार्बन कॉपी ले जाने की अनुमति थी। सोनिका ने भी अपनी उत्तर पुस्तिका की कार्बन कॉपी ली थी। 13 अगस्त को उत्तर कुंजी जारी होने पर सोनिका ने अपनी उत्तर पुस्तिका की कार्बन कॉपी से मिलान किया तो उसके 66 अंक हो रहे थे।
जबकि एससी वर्ग में चयनित अंतिम अभ्यर्थी को 60 अंक मिले हैं। तब सोनिका ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने परीक्षा नियामक प्राधिकरण के सचिव को 28 अगस्त को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था। जब सचिव ने सोनिका की मूल उत्तर पुस्तिका कोर्ट में पेश की तो कॉर्बन कॉपी से उसका मिलान ही नहीं हुआ। हाईकोर्ट ने मामले को 31 अगस्त को सुनवाई के लिए रखा और जवाब मांगा।
तकनीकी विशेषज्ञ ने कहा, बार कोड मैच नहीं हुए
ताजा सुनवाई में तकनीकी विशेषज्ञ धर्मेंद्र शाही ने कोर्ट में उत्तर पुस्तिका की गहन जांच कर बताया कि याची की मूल पुस्तिका के पहले पन्ने पर दी गई बार कोडिंग और अंदर के पन्नों पर अंकित बारकोडिंग अलग-अलग हैं।
हम हतप्रभ : हाइकोर्ट
'यह बेहद हतप्रभ करने वाला मामला है। एक अभ्यर्थी परीक्षा में इस उम्मीद में शामिल हुआ कि वह पास हो जाएगा। उसने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन अंक देने की बारी आई तो उसकी उत्तर पुस्तिका ही बदल दी गई।'
- जस्टिस इरशाद अली
जो दोषी, उसे सजा दिलाएंगे : महाधिवक्ता
कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद महाधिवक्ता ने आश्वासन दिया कि वे सरकार के समक्ष इस मामले को रखेंगे और जिस भी व्यक्ति की वजह से कॉपी बदली गई है, उसे कानून के अनुसार सजा दिलवाई जाएगी।
छात्रा को काउंसलिंग में शामिल करने के निर्देश
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को रखते हुए निर्देश दिए हैं कि याची को 1 से 3 सितंबर के बीच होने जा रही काउंसलिंग में अस्थायी रूप से शामिल होने दिया जाए। याची की मूल उत्तर पुस्तिका की एक कॉपी महाधिवक्ता को दी जाए ताकि वे इसकी विस्तृत जांच करवाएं। इस जांच के संबंध में कोर्ट को अगली तारीख पर जानकारी दें।