इस विधेयक के पारित होने के बाद 29 मार्च 2011 को या उसके पहले इन महाविद्यालयों में नियुक्त किए गए शिक्षकों को नियमित किया जाएगा। हालांकि, मानदेय शिक्षक के लिए राज्य सरकार द्वारा तय शैक्षिक अहर्ताओं का पालन करना जरूरी है।
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि यह विधेयक महाविद्यालयों में शिक्षकों की कमी को ध्यान में रखते हुए लाया गया है। वहीं, विपक्ष ने विधेयक को प्रवर समिति के सुपुर्द करने की मांग की। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) नेता लालजी वर्मा ने पूछा कि क्या इसमें आरक्षण की व्यवस्था का पालन किया गया है। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सरकार आरक्षण को लेकर हर तरह की नियमावली का पालन करेगी।
मानदेय शिक्षकों की डिग्री कॉलेजों में नियुक्ति की व्यवस्था सात अप्रैल 1998 के आदेश के तहत की गई थी। इससे पहले 28 दिसंबर 2006 को मानदेय शिक्षकों को नियमित किया गया था। इस आदेश के तहत तीन साल की नौकरी पूरी कर चुके शिक्षक ही नियमित हो सके थे। 29 मार्च, 2011 को डिग्री कालेजों में मानदेय शिक्षक रखने पर रोक लगा दी गई। इस वजह से इस तिथि के पूर्व तक रखे गए 736 मानदेय शिक्षक नियमित नहीं हो पाए थे।
सरकार की ओर से सदन में बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जयसवाल ने घोषणा की है कि प्रदेश के करीब 34 हजार अंशकालिक अनुदेशकों को 9800 प्रतिमाह मानदेय दिया जाएगा। जल्द इसका शासनादेश जारी कर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी माना कि परिषदीय विद्यालयों में काम कर रहे रसोइयों का 1000 रुपये मानदेय भी कम है। सरकार इसे बढ़ाने को लेकर गंभीर है।