आगरा। डाक्टर भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी के जाली मार्कशीट केस की हाईकोर्ट में सुनवाई तेज होते ही प्रदेश के कम से कम 500 सहायक अध्यापकों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। इन सभी ने शिक्षक बनने के लिए बीएड की जाली मार्कशीट का सहारा लिया। इनमें आगरा के 10 अध्यापक शामिल हैं।
एसआईटी की जांच में इन सभी की मार्कशीट पहले ही फर्जी पाई जा चुकी है। अब शिक्षा विभाग सत्यापन करा रहा है तो एसआईटी की रिपोर्ट सच साबित हो रही है।
इस मामले की जांच पहले एसआईटी आगरा कर रही थी। इसमें 25000 डिग्री फर्जी पाई गईं थीं। पता चला था कि इन डिग्रियों की बदौलत बड़ी संख्या में सहायक अध्यापक बने हैं। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर जांच एसआईटी लखनऊ ने की। इसमें भी फर्जी डिग्रियों से अध्यापक की नौकरी हासिल करने वाली बात सही साबित हुई।
दो महीने पहले एसआईटी ने पूरे प्रदेश के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर ऐसे सभी अध्यापकों की डिग्रियों का फिर से सत्यापन कराने के लिए कहा, जिन्होंने बीएड की मार्कशीट आगरा विश्वविद्यालय की लगाई। केस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि एसआईटी ने 500 शिक्षकों की सूची भेजी थी।
इनमें से ज्यादातर की मार्कशीट सत्यापन में फर्जी मिल चुकी है। कई जिलों से अभी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट मिलते ही एसआईटी इसे हाईकोर्ट के सामने रखेगी। मामले में उच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही है। माना जा रहा है कि जल्द ही ऐसे सभी शिक्षकों पर गाज गिर सकती है जिनकी डिग्रियां फर्जी हैं।
फर्जी डिग्री प्रकरण
10 अध्यापकों का वेतन रोका
आगरा बेसिक शिक्षा विभाग की जांच में दस सहायक अध्यापकों की डिग्री फर्जी पाई गईं। विभाग ने इनका वेतन रोक दिया है। इनके खिलाफ बीएसए ने एफआईआर के आदेश दिए हैं, लेकिन अभी तक रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई है। बीएसए की ओर से इसके लिए छह रिमाइंडर जारी हो चुके हैं। विभाग ने इन्हें बर्खास्त भी नहीं किया है।
विवि के जवाब पर लगी नजरें
हाईकोर्ट ने जाली मार्कशीट केस के जुड़े सभी पक्षों को समन जारी करना शुरू कर दिया है। विवि के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी समन मिल रहे हैं। फर्जी डिग्री पाने वाले लोगों की नजरें इसी पर लगी है कि विवि क्या बयान देता है? दरअसल, सैकड़ों ऐसे मामले हैं जिनमें फर्जी डिग्री का विवरण विश्वविद्यालय के गोपनीय चार्ट में दर्ज किया गया।
फर्जी डिग्री बनाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़
गाजियाबाद। कविनगर पुलिस ने फर्जी मार्कशीट-डिग्री बनाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ कर बीकॉम और बीटेक पास दो युवकों समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से 22 यूनिवर्सिटी-कॉलेज की डेढ़ हजार से ज्यादा मार्कशीट, जीडीए-नगर निगम की बिल बुक, लैपटॉप, प्रिंटर, मुहरें और कार बरामद की गईं हैं। इनमें आगरा के डाक्टर बीआर अंबेडकर यूनिवसिर्टी के नाम से बनी जाली मार्क्स शीट भी शामिल हैं। गोविंदपुरम के केशवकुंज में किराये के मकान में 2009 से फर्जी डिग्री बनाने का धंधा चल रहा था। पुलिस का दावा है कि इन डिग्रियों से सैकड़ों लोग प्राइवेट कंपनियों में नौकरी पा चुके हैं। गिरोह का जाल दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, मेघालय, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, सिक्किम, गोवा, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु आदि प्रदेशों में फैला हुआ था।
पकडे़ गए जालसाजों में बीकॉम पास शास्त्रीनगर निवासी शलभ शर्मा, छतरपुर मध्य प्रदेश निवासी आबिद, नंदग्राम निवासी दीपक तिवारी और इंदिरापुरम निवासी बीटेक पास शिवम दुबे शामिल हैं।
•फर्जी मार्कशीट पर नौकरी पाई हाईकोर्ट में होनी है सुनवाई
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
एसआईटी की जांच में इन सभी की मार्कशीट पहले ही फर्जी पाई जा चुकी है। अब शिक्षा विभाग सत्यापन करा रहा है तो एसआईटी की रिपोर्ट सच साबित हो रही है।
इस मामले की जांच पहले एसआईटी आगरा कर रही थी। इसमें 25000 डिग्री फर्जी पाई गईं थीं। पता चला था कि इन डिग्रियों की बदौलत बड़ी संख्या में सहायक अध्यापक बने हैं। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर जांच एसआईटी लखनऊ ने की। इसमें भी फर्जी डिग्रियों से अध्यापक की नौकरी हासिल करने वाली बात सही साबित हुई।
दो महीने पहले एसआईटी ने पूरे प्रदेश के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर ऐसे सभी अध्यापकों की डिग्रियों का फिर से सत्यापन कराने के लिए कहा, जिन्होंने बीएड की मार्कशीट आगरा विश्वविद्यालय की लगाई। केस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि एसआईटी ने 500 शिक्षकों की सूची भेजी थी।
इनमें से ज्यादातर की मार्कशीट सत्यापन में फर्जी मिल चुकी है। कई जिलों से अभी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट मिलते ही एसआईटी इसे हाईकोर्ट के सामने रखेगी। मामले में उच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही है। माना जा रहा है कि जल्द ही ऐसे सभी शिक्षकों पर गाज गिर सकती है जिनकी डिग्रियां फर्जी हैं।
फर्जी डिग्री प्रकरण
10 अध्यापकों का वेतन रोका
आगरा बेसिक शिक्षा विभाग की जांच में दस सहायक अध्यापकों की डिग्री फर्जी पाई गईं। विभाग ने इनका वेतन रोक दिया है। इनके खिलाफ बीएसए ने एफआईआर के आदेश दिए हैं, लेकिन अभी तक रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई है। बीएसए की ओर से इसके लिए छह रिमाइंडर जारी हो चुके हैं। विभाग ने इन्हें बर्खास्त भी नहीं किया है।
विवि के जवाब पर लगी नजरें
हाईकोर्ट ने जाली मार्कशीट केस के जुड़े सभी पक्षों को समन जारी करना शुरू कर दिया है। विवि के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी समन मिल रहे हैं। फर्जी डिग्री पाने वाले लोगों की नजरें इसी पर लगी है कि विवि क्या बयान देता है? दरअसल, सैकड़ों ऐसे मामले हैं जिनमें फर्जी डिग्री का विवरण विश्वविद्यालय के गोपनीय चार्ट में दर्ज किया गया।
फर्जी डिग्री बनाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़
गाजियाबाद। कविनगर पुलिस ने फर्जी मार्कशीट-डिग्री बनाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ कर बीकॉम और बीटेक पास दो युवकों समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से 22 यूनिवर्सिटी-कॉलेज की डेढ़ हजार से ज्यादा मार्कशीट, जीडीए-नगर निगम की बिल बुक, लैपटॉप, प्रिंटर, मुहरें और कार बरामद की गईं हैं। इनमें आगरा के डाक्टर बीआर अंबेडकर यूनिवसिर्टी के नाम से बनी जाली मार्क्स शीट भी शामिल हैं। गोविंदपुरम के केशवकुंज में किराये के मकान में 2009 से फर्जी डिग्री बनाने का धंधा चल रहा था। पुलिस का दावा है कि इन डिग्रियों से सैकड़ों लोग प्राइवेट कंपनियों में नौकरी पा चुके हैं। गिरोह का जाल दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, मेघालय, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, सिक्किम, गोवा, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु आदि प्रदेशों में फैला हुआ था।
पकडे़ गए जालसाजों में बीकॉम पास शास्त्रीनगर निवासी शलभ शर्मा, छतरपुर मध्य प्रदेश निवासी आबिद, नंदग्राम निवासी दीपक तिवारी और इंदिरापुरम निवासी बीटेक पास शिवम दुबे शामिल हैं।
•फर्जी मार्कशीट पर नौकरी पाई हाईकोर्ट में होनी है सुनवाई
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC