मित्रों सर्वप्रथम आप सबको उस झूठ से अवगत कराना चाहूंगा.. जो ढपोरशंखों
व्दारा फेसबुक पर परोसा जा रहा हैं और आप सभी को पुनः फिर से गुमराह किया
जा रहा हैं..
कुछ लोग आज की कोर्ट कार्यवाही में आनंद नंदन के नाम का हौव्वा बना रहे हैं ठीक सुप्रीम कोर्ट की भांति.. किन्तु वास्तविकता ये हैं..
आनंद नंदन ने मात्र् 15 मिनट बहस की और वो भी अनुच्छेद 45 व 21क (6-14 आयु वर्ग के बच्चों को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना व इसका संरक्षक हाईकोर्ट / सुप्रीम कोर्ट) को लेकर.. जिसका कि शिक्षामित्र समायोजन निरस्त से कोई सरोकार नहीं.. आनंद नंदन कोर्ट कार्यवाही को गलत दिशा में ले जा रहे थे.. इस पर इनके बाद टीईटी संघर्ष मोर्चा 2011 (आरटीई एक्टिविस्ट) के वकील राहुल अग्रवाल ने लगभग 30 मिनट धुधांधार बहस की व कोर्ट को प्रत्येक बिन्दु से अवगत कराया.. जिस कारण राहुल अग्रवाल के बाद हमारे केस में स्वयं चीफ जस्टिस राज्य सरकार के वकील सी बी यादव से तर्क करने लगे..
चीफ जस्टिस व्दारा सीबी यादव की बहस के दौरान तर्क के कुछ महत्तवपूर्ण बिन्दू..
* राज्य सरकार के वकील सीबी यादव ने गुजरात का उदाहरण प्रस्तुत किया जिस पर जज महोदय ने आरक्षण नियमों पर सीबी यादव को फसा दिया और कहा कि गुजरात की तुलना यूपी से नही की जा सकती क्यूंकि गुजरात में प्रत्येक कार्य "थ्रू प्राॅसेस" होता हैं किन्तु यूपी में शिक्षामित्र मामले में आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया।
* चीफ ने कहा कि जब आपने 1998 में नियम बनाया था और शिक्षामित्रों का शासनादेश 1999 में जारी किया था तब आपने केवल स्नातक शिक्षामित्रों को क्यूं नहीं लिया।
* चीफ ने कहा कि टेट पास लाखों अभ्यर्थी होते हुए भी सामुदायिक सहयोगियों को अध्यापक बनाया जो कि विधिक रूप से गलत हैं।
अंत में मित्रों आज की कार्यवाही बीएड+बीटीसी के पक्ष में रही.. खरे जी के विशेष योगदान व आज राहुल अग्रवाल जी की धुआंधार बैटिंग से न्यायमूर्ति काफी प्रभावित दिखे..
यदि यह दोनों नही होते तो आज विदेशी विधिक जानकार ने तो अनुच्छेद 45 की व्याख्या करके अनजाने में राज्य सरकार को मजबूती प्रदान की थी।
आगे की कोर्ट कार्यवाही कल पुनः 10 बजे से प्रारम्भ होगी।।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
कुछ लोग आज की कोर्ट कार्यवाही में आनंद नंदन के नाम का हौव्वा बना रहे हैं ठीक सुप्रीम कोर्ट की भांति.. किन्तु वास्तविकता ये हैं..
आनंद नंदन ने मात्र् 15 मिनट बहस की और वो भी अनुच्छेद 45 व 21क (6-14 आयु वर्ग के बच्चों को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना व इसका संरक्षक हाईकोर्ट / सुप्रीम कोर्ट) को लेकर.. जिसका कि शिक्षामित्र समायोजन निरस्त से कोई सरोकार नहीं.. आनंद नंदन कोर्ट कार्यवाही को गलत दिशा में ले जा रहे थे.. इस पर इनके बाद टीईटी संघर्ष मोर्चा 2011 (आरटीई एक्टिविस्ट) के वकील राहुल अग्रवाल ने लगभग 30 मिनट धुधांधार बहस की व कोर्ट को प्रत्येक बिन्दु से अवगत कराया.. जिस कारण राहुल अग्रवाल के बाद हमारे केस में स्वयं चीफ जस्टिस राज्य सरकार के वकील सी बी यादव से तर्क करने लगे..
चीफ जस्टिस व्दारा सीबी यादव की बहस के दौरान तर्क के कुछ महत्तवपूर्ण बिन्दू..
* राज्य सरकार के वकील सीबी यादव ने गुजरात का उदाहरण प्रस्तुत किया जिस पर जज महोदय ने आरक्षण नियमों पर सीबी यादव को फसा दिया और कहा कि गुजरात की तुलना यूपी से नही की जा सकती क्यूंकि गुजरात में प्रत्येक कार्य "थ्रू प्राॅसेस" होता हैं किन्तु यूपी में शिक्षामित्र मामले में आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया।
* चीफ ने कहा कि जब आपने 1998 में नियम बनाया था और शिक्षामित्रों का शासनादेश 1999 में जारी किया था तब आपने केवल स्नातक शिक्षामित्रों को क्यूं नहीं लिया।
* चीफ ने कहा कि टेट पास लाखों अभ्यर्थी होते हुए भी सामुदायिक सहयोगियों को अध्यापक बनाया जो कि विधिक रूप से गलत हैं।
अंत में मित्रों आज की कार्यवाही बीएड+बीटीसी के पक्ष में रही.. खरे जी के विशेष योगदान व आज राहुल अग्रवाल जी की धुआंधार बैटिंग से न्यायमूर्ति काफी प्रभावित दिखे..
यदि यह दोनों नही होते तो आज विदेशी विधिक जानकार ने तो अनुच्छेद 45 की व्याख्या करके अनजाने में राज्य सरकार को मजबूती प्रदान की थी।
आगे की कोर्ट कार्यवाही कल पुनः 10 बजे से प्रारम्भ होगी।।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC