असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में नए पेच
इलाहाबाद। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए तकरीबन छह साल बाद शुरू भर्ती प्रक्रिया भी अब सवालों में है। हाईकोर्ट ने आयोग के तीन सदस्यों की नियुक्ति को अवैध कर दिया तो इसके अलावा भी कई पेच हैं जिसे लेकर यहां तक कहा जाने लगा है कि कहीं भी भर्ती भी विवादों की भेंट न चढ़ जाए।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद हटाए गए सदस्यों के साथ भर्ती प्रक्रिया से जुड़े अन्य लोगों की भी नजर प्रदेश सरकार के रुख पर है। माना जा रहा है कि सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। इसके अलावा यह विवाद भी उठने लगा है कि जिस प्रक्रिया के तहत इन तीन सदस्यों का चयन हुआ है उसी के तहत अध्यक्ष तथा एक अन्य सदस्य की भी नियुक्ति हुई है। ऐसे में उनकी नियुक्ति को भी चुनौती दी जा सकती है। हालांकि अध्यक्ष की नियुक्ति को हाईकोर्ट मेें पहले से चुनौती दी जा चुकी है। इसके अलावा अभ्यर्थियों का एक वर्ग यह भी सवाल उठा रहा है कि अयोग्य लोगों के निर्देशन में परीक्षा हुई है।
इसलिए इसे निरस्त किया जाना चाहिए। आरक्षण, अर्हता समेत अन्य विवादों की वजह से असिस्टेंट प्रोफेसर की दो भर्तियां पहले ही निरस्त की जा चुकी हैं। ऐसे में तकरीबन छह साल बाद शुरू इस भर्ती के लिए परीक्षा होने से प्रतियोगियों में नई उम्मीद थी, लेकिन यह भर्ती भी सवालों में है।
भर्ती प्रक्रिया के साथ उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष सदस्य की नियुक्ति पर भी सवाल
आयोग में दो विज्ञापन पहले ही हो चुके हैं रद्द छह साल बाद शुरू भर्ती प्रक्रिया पर भी सवाल
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
इलाहाबाद। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए तकरीबन छह साल बाद शुरू भर्ती प्रक्रिया भी अब सवालों में है। हाईकोर्ट ने आयोग के तीन सदस्यों की नियुक्ति को अवैध कर दिया तो इसके अलावा भी कई पेच हैं जिसे लेकर यहां तक कहा जाने लगा है कि कहीं भी भर्ती भी विवादों की भेंट न चढ़ जाए।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद हटाए गए सदस्यों के साथ भर्ती प्रक्रिया से जुड़े अन्य लोगों की भी नजर प्रदेश सरकार के रुख पर है। माना जा रहा है कि सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। इसके अलावा यह विवाद भी उठने लगा है कि जिस प्रक्रिया के तहत इन तीन सदस्यों का चयन हुआ है उसी के तहत अध्यक्ष तथा एक अन्य सदस्य की भी नियुक्ति हुई है। ऐसे में उनकी नियुक्ति को भी चुनौती दी जा सकती है। हालांकि अध्यक्ष की नियुक्ति को हाईकोर्ट मेें पहले से चुनौती दी जा चुकी है। इसके अलावा अभ्यर्थियों का एक वर्ग यह भी सवाल उठा रहा है कि अयोग्य लोगों के निर्देशन में परीक्षा हुई है।
इसलिए इसे निरस्त किया जाना चाहिए। आरक्षण, अर्हता समेत अन्य विवादों की वजह से असिस्टेंट प्रोफेसर की दो भर्तियां पहले ही निरस्त की जा चुकी हैं। ऐसे में तकरीबन छह साल बाद शुरू इस भर्ती के लिए परीक्षा होने से प्रतियोगियों में नई उम्मीद थी, लेकिन यह भर्ती भी सवालों में है।
भर्ती प्रक्रिया के साथ उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष सदस्य की नियुक्ति पर भी सवाल
आयोग में दो विज्ञापन पहले ही हो चुके हैं रद्द छह साल बाद शुरू भर्ती प्रक्रिया पर भी सवाल
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