टीईटी से छूट देने के लिए दिलाया गया दो वर्षीय प्रशिक्षण्ा
लखनऊ। प्राइमरी स्कूलों में सहयोग के लिए रखे गए शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाने के लिए शॉर्टकट तरीका अपना गया। इन्हें दो वर्षीय प्रशिक्षण देकर तीन चरणों में समायोजित किया जाना था। जनवरी 2014 में 60,000, दिसंबर 2014 में 64,000 और सितंबर 2015 में 46,000 यानी कुल 1 लाख 70 हजार शिक्षा मित्रों को समायोजित किया जाना था, लेकिन केवल दो चरणों में ही 1,35,826 को समायोजित कर दिया गया।
शिक्षामित्रों के इस समायोजन को लेकर हालांकि कई अधिकारी सहमत नहीं थे, लेकिन उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की तरह गूंजकर रह गई।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2000 में शिक्षकों की भारी कमी को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की सहायता के लिए शिक्षामित्रों को रखने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। मानदेय 2000 रुपये और योग्यता इंटर रखी गई। इनको रखने के लिए जारी शासनादेश में साफ लिखा था कि इसे किसी तरह का सेवायोजन नहीं माना जाएगा। शिक्षामित्रों को रखने का फॉर्मूला सफल हुआ तो ग्रामीण क्षेत्रों की तरह शहरी क्षेत्रों में भी इन्हें रखा गया। इनकी संख्या धीरे-धीरे 1,76,000 तक पहुंच गई। देश के दूसरी किसी राज्य में इतनी बड़ी संख्या में शिक्षामित्र नहीं रखे गए। यूपी में शिक्षामित्रों की संख्या सर्वाधिक होने के चलते इनकी मांगों को प्राथमिकता दी जानी लगी। मानदेय बढ़ाया जाने लगा और यह 3500 रुपये तक पहुंच गया।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
लखनऊ। प्राइमरी स्कूलों में सहयोग के लिए रखे गए शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाने के लिए शॉर्टकट तरीका अपना गया। इन्हें दो वर्षीय प्रशिक्षण देकर तीन चरणों में समायोजित किया जाना था। जनवरी 2014 में 60,000, दिसंबर 2014 में 64,000 और सितंबर 2015 में 46,000 यानी कुल 1 लाख 70 हजार शिक्षा मित्रों को समायोजित किया जाना था, लेकिन केवल दो चरणों में ही 1,35,826 को समायोजित कर दिया गया।
शिक्षामित्रों के इस समायोजन को लेकर हालांकि कई अधिकारी सहमत नहीं थे, लेकिन उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की तरह गूंजकर रह गई।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2000 में शिक्षकों की भारी कमी को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की सहायता के लिए शिक्षामित्रों को रखने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। मानदेय 2000 रुपये और योग्यता इंटर रखी गई। इनको रखने के लिए जारी शासनादेश में साफ लिखा था कि इसे किसी तरह का सेवायोजन नहीं माना जाएगा। शिक्षामित्रों को रखने का फॉर्मूला सफल हुआ तो ग्रामीण क्षेत्रों की तरह शहरी क्षेत्रों में भी इन्हें रखा गया। इनकी संख्या धीरे-धीरे 1,76,000 तक पहुंच गई। देश के दूसरी किसी राज्य में इतनी बड़ी संख्या में शिक्षामित्र नहीं रखे गए। यूपी में शिक्षामित्रों की संख्या सर्वाधिक होने के चलते इनकी मांगों को प्राथमिकता दी जानी लगी। मानदेय बढ़ाया जाने लगा और यह 3500 रुपये तक पहुंच गया।
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