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शिक्षामित्रों को राजनीतिक फायदे के लिए भी इस्तेमाल : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News


शिक्षामित्रों को राजनीतिक फायदे के लिए भी इस्तेमाल किया गया। सब जानते थे कि नियमों को शिथिल करके इन्हें शिक्षक बनाना भारी पड़ सकता है, लेकिन राजनीतिक फायदे के लिए किसी ने उनसे हकीकत बयां नहीं की। शिक्षा का अधिकार अधिनियम आने के बाद राज्य सरकार ने जुलाई 2011 में नियमावली बनाते हुए इसे लागू भी कर दिया। नियमावली लागू होते ही यह अनिवार्य हो गया कि परिषदीय स्कूलों में अब बिना टीईटी के कोई शिक्षक नहीं रखा जाएगा और जो भी शिक्षक होगा वह प्रशिक्षित होगा। तत्कालीन बसपा सरकार ने वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक फायदा लेने के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से अनुमति लेकर 23 जुलाई 2012 को इन्हें दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से दो वर्षीय बीटीसी का प्रशिक्षण देने का निर्णय किया। विधानसभा चुनाव के बाद आई अखिलेश सरकार ने भी हर मोर्चे पर शिक्षामित्रों से फायदा उठाने की कोशिश की। इसी के चलते कुछ अधिकारियों के न चाहते हुए भी शिक्षामित्रों को बिना टीईटी के शिक्षक बनाने का निर्णय किया गया, जबकि प्राइमरी में उर्दू शिक्षक के लिए मोअल्लिम वालों के लाख कहने के बाद भी उन्हें टीईटी देने के लिए मजबूर किया गया। बात अलग है कि उनके लिए नियमों से हटकर भाषा टीईटी का आयोजन किया गया।


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