विसं, इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रत्येक बुधवार को प्राथमिक और
उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को दूध वितरित करने के मामले में
संयुक्त सचिव बेसिक शिक्षा के जवाबी हलफनामे को संतोषजनक नहीं मानते हुए
कहा कि इसके तथ्य भ्रामक है। कोर्ट ने भ्रामक हलफनामे के स्पष्टीकरण के साथ
संयुक्त सचिव बेसिक शिक्षा को 22 सितंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया
है।
कोर्ट ने कानपुर के डीएम को निर्देश दिया है कि वह अगली तारीख तक बताएं कि मिड डे मील के साथ बच्चों को दूध देने की सरकारी नीति का क्रियान्वयन कैसे किया जा रहा है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कानपुर के विनय कुमार ओझा की जनहित याचिका पर दिया है। संयुक्त सचिव ने हलफनामा दायर कर कहा है कि एक जुलाई से बच्चों को बुधवार को उबला दूध देने की नीति में 3.76 रुपये प्रति बच्चा प्राइमरी स्कूल में तथा 5.64 रुपया प्रति बच्चा उच्च प्राथमिक स्कूल में खर्च हो रहा है। कानपुर नगर में 1674 प्राइमरी और 822 उच्च प्राथमिक विद्यालय सरकारी अनुदान पर हैं। इनमें स्कीम लागू है। कोर्ट ने कहा कि यह हलफनामा इस नाते भ्रामक है क्योंकि दूध की व्यवस्था व वितरण कैसे व कहां किया जाएगा, यह स्पष्ट नहीं है। यदि 32 रुपये प्रति लीटर दूध रेट माना जाए तो 200 मिली लीटर का दाम आठ रुपये होता है तो सरकार अतिरिक्त खर्च कहां से लाएगी।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
कोर्ट ने कानपुर के डीएम को निर्देश दिया है कि वह अगली तारीख तक बताएं कि मिड डे मील के साथ बच्चों को दूध देने की सरकारी नीति का क्रियान्वयन कैसे किया जा रहा है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कानपुर के विनय कुमार ओझा की जनहित याचिका पर दिया है। संयुक्त सचिव ने हलफनामा दायर कर कहा है कि एक जुलाई से बच्चों को बुधवार को उबला दूध देने की नीति में 3.76 रुपये प्रति बच्चा प्राइमरी स्कूल में तथा 5.64 रुपया प्रति बच्चा उच्च प्राथमिक स्कूल में खर्च हो रहा है। कानपुर नगर में 1674 प्राइमरी और 822 उच्च प्राथमिक विद्यालय सरकारी अनुदान पर हैं। इनमें स्कीम लागू है। कोर्ट ने कहा कि यह हलफनामा इस नाते भ्रामक है क्योंकि दूध की व्यवस्था व वितरण कैसे व कहां किया जाएगा, यह स्पष्ट नहीं है। यदि 32 रुपये प्रति लीटर दूध रेट माना जाए तो 200 मिली लीटर का दाम आठ रुपये होता है तो सरकार अतिरिक्त खर्च कहां से लाएगी।
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