शिक्षामित्रों के
मामले में सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज भी जारी : खुली प्रतियोगिता के
बगैर या समान अवसर देकर सामान्य मेरिट पर चयनित शिक्षामित्रों को क्या
नियमित अध्यापक बनाना उचित ; निर्णय आज आने की सम्भावना प्रबल
इलाहाबाद : प्रदेश में शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन के सरकारी निर्णय की वैधानिकता के खिलाफ याचिकाओं की तीन न्यायाधीशों की पूर्णपीठ के समक्ष सुनवाई जारी है। शिवम राजन सहित दर्जनों याचिकाओं पर शुक्रवार को भी सुनवाई होगी।
मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पूर्णपीठ के समक्ष गुरुवार को दिनभर सुनवाई चली। सुनवाई के दौरान याचियों की ओर से शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन को गलत बताते हुए कहा गया कि शिक्षामित्र सहायक अध्यापक पद पर चयन की अर्हता नहीं पूरी करते हैं। साथ ही सरकार ने उ्नका समयोजन करके एनसीटीई की गाइडलाइन का उल्लंघन किया है क्योंकि एनसीटीई ने सहायक अध्यापक पद पर चयन के लिए टीईटी अनिवार्य कर दिया है।
उधर, सरकार की ओर से बहस की गई कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद सहायक अध्यापकों की नियुक्ति अनिवार्य हो गई थी। सरकार के पास बीटीसी प्रशिक्षण के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं थे। ऐसे में शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्रशिक्षण देकर सहायक अध्यापक पद पर समायोजित कर दिया गया।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
इलाहाबाद : प्रदेश में शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन के सरकारी निर्णय की वैधानिकता के खिलाफ याचिकाओं की तीन न्यायाधीशों की पूर्णपीठ के समक्ष सुनवाई जारी है। शिवम राजन सहित दर्जनों याचिकाओं पर शुक्रवार को भी सुनवाई होगी।
मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पूर्णपीठ के समक्ष गुरुवार को दिनभर सुनवाई चली। सुनवाई के दौरान याचियों की ओर से शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन को गलत बताते हुए कहा गया कि शिक्षामित्र सहायक अध्यापक पद पर चयन की अर्हता नहीं पूरी करते हैं। साथ ही सरकार ने उ्नका समयोजन करके एनसीटीई की गाइडलाइन का उल्लंघन किया है क्योंकि एनसीटीई ने सहायक अध्यापक पद पर चयन के लिए टीईटी अनिवार्य कर दिया है।
उधर, सरकार की ओर से बहस की गई कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद सहायक अध्यापकों की नियुक्ति अनिवार्य हो गई थी। सरकार के पास बीटीसी प्रशिक्षण के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं थे। ऐसे में शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्रशिक्षण देकर सहायक अध्यापक पद पर समायोजित कर दिया गया।
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