जिस उत्तर प्रदेश में लाखों पीएचडी, बीटेक, बीटीसी, बीएड और टीईटी पास बेरोजगार चपरासी की नौकरी के लिए तरस रहे हैं। उसी प्रदेश के शिक्षामित्र बिना टीईटी पास किये ही सहायक अध्यापक बनकर हजारों रूपये महीने पाने का सपना देख रहे हैं।
लेकिन जब इन शिक्षामित्रों का ये सपना टूटते दिखा तो इन्होंने खून से लिखा खत लिखकर देश की मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को भेजकर धमकी भरे हलजे में कहा कि आप आप एनसीटीई को निर्देश दे कि बिना टीईटी पास किए शिक्षा मित्रों का समायोजन वैध किया जाए।
वहीं ऐसा न होने कि स्थिति में अगली बार खून से लिखा खत न भेजकर प्रदेश के हजारों शिक्षामित्रों की लाश भेजने को कहा। वहीं इन शिक्षामित्रों की मौत का जिम्मदार भी केंद्र सरकार पर डालने की बात कही। वाह रे प्रदेश के मास्टर साहेबान! क्या महात्मा गांधी के इस देश में यहीं शिक्षा आप बच्चों को भी देने जा रहे हैं? जिनका भविष्य आप जैसे ही अध्यापकों पर निर्भर रहता है। अगर प्रदेश के अध्यापक इस तरह की बात करेगें तो आपसे कैसे उम्मीद की जा सकती है देश के बच्चे को आप बेहतर भविष्य देंगे। अब इन सारे मास्टर साहब लोगों की मांगे है कि सरकार N.C.T.E के एक्ट में बदलाव कर इनको सहायक अध्यापक बना दे।
वहीं अगर सरकार ऐसा करने लगी तो कल को कोई भी सामने आकर कहेगा कि मैं ये परीक्षा नहीं देना चाहता हूं। इसीलिए आप नियम में संशोधन कर मुझे नौकरी दे दीजिये। अगर आप अध्यापक बनना चाहते हैं, तो उसके पात्र तो बनिये। अगर नहीं हैं तो परीक्षा पास करके दिखायें कि आप उस लायक हैं।इन लोगों को सहायक अध्यापक बना भी दिया जाये तो कल को अगर बच्चे कहने लगे कि मास्टर साहब हमें बिना कक्षा 4 की परीक्षा दिये कक्षा 5 में पहुंचा दीजिये तो शायद ये मास्टर साहेबान लोग इससे भी पीछे न हटें…क्यों कि इन मास्टर साहब लोगों की मास्टरगीरी की बुनियाद भी कुछ इसी तरह के नियमों को ताख पर रखकर की गयी होगी।
वैसे इन मास्टर साहेबान लोगों की बुनियाद तो उसी समय गलत रख दी गयी थी, जब इंटर पास लोगों को मेरिट के आधार पर शिक्षामित्र बना दिया गया था। जिस प्रदेश में मेरिट बनने के लिए केवल समाजवादी पार्टी की सत्ता में आने भर की देरी हो। ऐसे प्रदेश में मेरिट के आधार पर अध्यापक बना देना शायद सही कदम नही था। वैसे शिक्षामित्रों की देन भी मुलायम सिंह यादव की सरकार की है, तो जाहिर है दबाव भी मुलायम सरकार पर डालकर अपनी बात मनवायी जायेगी। वहीं ये इतिहास रहा है कि वोटबैंक के लिए मुलायम सिंह यादव प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के साथ भी खिलवाड़ करने से कभी नहीं चूकते हैं। वोट बैंक के लिए ही मुलायम सिहं यादव ने शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने की बात कही थी।
लेकिन शिक्षामित्रों ने मुलायम सिंह भरोसा कर लिया। जिन्होंने सत्ता में आने के लिए न जाने कितने राजनेताओं को मौके पर धोखा दिया है। यहां तक अपने समधी लालू प्रसाद यादव के महागठबंधन से अलग होकर उनको भी करारा झटका दे चुके हैं। बाकी प्रेदश में सबसे ज्यादा परेशान वो शिक्षामित्र हैं, जिनको अपनी शादी में ज्यादा दहेज इसलिए मिला था क्यों कि वो मास्टर बनने वाले थे। वहीं कुछ महिला शिक्षामित्रों को पति ने घर से इसलिये निकाल दिया कि उनकी नौकरी चली गयी। इन सब के इतर महिलाओं को यह भी समझने की जरूरत है कि शादी या प्यार की बुनियाद अगर पैसे और नौकरी के दम पर रखी जाती है उस दीवार के गिरने का खतरा हमेशा बना रहता है। और जब ये दीवारें गिरती हैं , तो हमेशा महिला को ही पिसना पड़ता है।
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