sm के धरने के बाद बदल गई स्थितियां - अजय ठाकुर : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

हम लोगों की जो कमियाँ रही है , वो निम्न है---
1-सबसे महत्वपूर्ण कारण अपने आप को बहुत बड़ा नेता बनाने और साबित करने और दिखाने के चक्कर में आपसी फुट और घमंड चरम सीमा पर रहा था यहाँ तक की एक दुसरे की इज्जत करना भी अनेतिक कर्म हो गया था।

2-आपसी फुट का फायदा राज नेताओं ने बखूबी भांप लिया था और इस लिए कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई
और जिसने पहल करके माननीय मंत्री स्मृति इरानी जी से मुलाक़ात कर भी ली तो अपने आप को राष्ट्रीय नेता बनाने के चक्कर में अपने गुर्गों और खुद से भी गलत साबित करने में लग गये उसका ये परिणाम हुआ की हमारी एकता खंडित हुई जिसका फायदा राजनेताओं ने उठाया ।
3-आपसी नेता गिरी और धन लोलुपता के चक्कर में योग्य व्यक्तियों से धरने को सफल बनाने की कोई योजना आमत्रित नहीं की और अनियोजित रूप से बिना प्लानिंग के गलत होता रहा ।
4-आपसी खींच तान के चक्कर में हमारा और योग्य भाई बहिनों के व्यक्तिगत सम्पर्को (मीडिया अरेंजमेंट,मंत्रियों से मुलाक़ात ,बड़े नेताओं को मंच पर बुलाने )का किसी भी प्रकार से सहयोग नहीं लिया कियोंकि लोगों को लग रहा था की कहीं ये लोग नेता न बन जाएँ।
5-किसी भी धरने में मीडिया और सामजिक संगठनो का विशेष महत्व होता है उनको साथ नहीं लिया गया उसका कारण केवल ये था की व्यक्तिगत नेता गिरी प्रभावित होती ।
6- धरना नियत दिनाँक से पूर्व ख़त्म किया गया और बहाना बनाया गया की परमीशन नहीं मिली
पूरा उत्तर प्रदेश जानता है की 4 ओक्टोबर तक की परमीशन थी ली गई थी और दिल्ली पुलिस ने दी भी थी तो बीच में भाग खड़ा होना कहाँ तक उचित था मेरे पास पूरे प्रदेश से सेकड़ो फोन आये की हम ट्रेन में है मेरे सामने धर्म संकट था की धरना खत्म करने की सूचना लेट नाईट में दी गई ।और लोग नाहक ही परेशान हुए और लास्ट दिन की भीड़ को हम धरने में शामिल नहीं दिखा पाये।
7-राजनेताओं से सम्पर्क हेतु कोई टीम नहीं बनाई गई।
8-मीडिया कवरेज हेतु कोई अलग से व्यवस्था नहीं थी।
केवल चंदे पर ध्यान होने के कारण तीन काउंटर खोले गये
और उद्देश्य पूरा होते ही अन्य सक्रीय नेताओं से कोई सलाह नहीं ली गई।
9-लगातार प्रदेश के सभी मित्र कह रहे थे की धरना sm के बाद होना चाहिए था कियोंकि तब हम ज्यादा संगठित और ताकतवर होते और शतक लगाते ।
अब आज दिल्ली के धरने में एकता दिखी लेकिन हमारे धरने में एकता के नाम पर छलावा किया गया जो नहीं होना चाहिए था ( शाम 4 बजे प्रशांत जी ,राजेश पाण्डेय जी,मनोज जी,रामवीर जी अरसद जी जब राणा से पूछने गए की हम सब एक है तो हमें भी अपने विचार रखने का मोका दो तो स्पस्ट मना कर दिया गया राणा ने)जिससे एकता प्रभावित हुई।
समाधान
मित्रों आज की sm की भीड़ देख कर लोग गुमराह हुए हैं राज नेताओं को गुमराह होने के लिए काफी था।
भीड़ तंत्र में बहुत ताकत होती है
इसलिए अब समय आ गया है एक होने का कटुता और घमंड त्याग कर एक बनो और सभी गिले शिकवे भुला दो।
और जोरदार काउंटर अटेक(शान्ति पूर्ण) करने के लिए तैयार रहिये आखिर ये आप सभी बीएड और बी टी सी के लिए अंतिम समय और मोका है चाहो तो पा लो या खो दो
फिर मत कहना हमारे नेता खराब थे?
हमें मोका नहीं मिला?
हम कुछ प्रयास कर लेते तो हम लग जाते ??
अब समय है खुद से निम्न प्रश्न करने का
1-हम संगठित क्यों नहीं ?
2-हमें गुमराह होना है या एक होना है??
3-हम किसी के अंधभक्त क्यों बने??
4-क्या हम एक नहीं हो सकते
5-हमें अपनी जॉब पाने के लिए क्या करना चाहिए??
उपरोक्त पोस्ट किसी के विरोध में नहीं है ये आत्म मंथन का समय है
नोट -एक अच्छी बात धरने की ये हुई की बहुत लोग मिले और एक आशा मिली की हम अगर दमदारी से जुट जाएँ तो हम 4 लाख परिवार एक हो सकते हैं
अगर आपका उत्तर हाँ में हो तो इस सन्देश को सभो जगह पहुंचा दें और एक स्वर में बोले
जय सम्पूर्ण समायोजन
हम तैयार है
हम सब एक हैं
जय माहाकाल
आपका मित्र
अजय ठाकुर
9456828482/9058838983 पर अपना जिला और नाम भेज कर अपने आप को समर्पित होकर कार्य करने के लिए रजिस्टर्ड करा सकते हैं
इस सन्देश को सभी जगह भेजें और एकता का नारा लगायें किसी भी अफवाह पर
ध्यान न दें ncte केंद्र इत्यादि कुछ नहीं अगर आप एक हैं तो
जय महाकाल
जिस तरह से सपा एवं भाजपा के कुछ नेता शिक्षामित्रो के समायोजन को सही ठहरा है।
मै तो कहता हू कि अब टेट की तरह लेट अर्थात लीडर इलीजिबिलिटी टेस्ट होना आवश्यक हो गया है।
अन्यथा वह दिन दूर नही जब यह देश अयोग्य नेतृत्व मे चला जाएगा।

सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC