Breaking News - शिक्षामित्रों को मिल सकती है हफ्तेभर में खुशखबरी : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

प्रमुख संवाददाता, लखनऊ हाई कोर्ट के फैसले के बाद से आंदोलनरत शिक्षामित्रों को हफ्तेभर में खुशखबरी मिल सकती है। दिल्ली में प्रदर्शन के बाद केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय (एमएचआरडी) ने ऐसे संकेत दिए हैं। सोमवार को शिक्षामित्रों ने जंतर-मंतर पर भीड़ जुटाई तो बीजेपी के कई नेता भी उनके साथ आ गए। सांसद वरुण गांधी, जगदंबिका पाल और कौशल किशोर सहित कई बीजेपी नेता उनके प्रदर्शन में पहुंचे।
एमएचआरडी अफसरों ने शिक्षामित्रों को आश्वासन दिया कि उत्तराखंड की तरह यूपी के शिक्षामित्रों के लिए भी एक हफ्ते में कोई तरीका निकाला जाएगा। इस आश्वासन पर उन्होंने सोमवार को ही अपना प्रदर्शन खत्म कर दिया।
बीजेपी सांसदों ने बढ़ाया हौसला
इन सारे आश्वासनों के बावजूद केंद्र सरकार और एनसीटीई (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद) पर दबाव बनाने के लिए शिक्षामित्र सोमवार से तीन दिन तक प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली में जुटे थे। यहां भारी संख्या में शिक्षामित्र सुबह से ही जमा हो गए थे। जहां उन्हें बीजेपी नेताओं का साथ मिला। शिक्षामित्र संघ लखनऊ के जिलाध्यक्ष सुशील कुमार यादव ने बताया कि मानव संसाधन मंत्री दिल्ली में नहीं हैं। उनके सचिव और अन्य अधिकारियों से शिक्षामित्रों की मुलाकात हुई। उन्हें आश्वासन दिया गया कि उत्तराखंड में जिस तरह शिक्षामित्रों को समायोजित किया गया है। उसी फॉर्म्यूले पर सरकार रास्ता निकालेगी। एनसीटीई के निदेशक से भी शिक्षामित्रों ने मुलाकात की। वहां से भी भरोसा दिलाया गया कि मंत्रालय से आदेश मिलते ही हम कार्यवाही करेंगे। जैसा आदेश होगा, उसी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा जाएगा।

राज्य सरकार पहले से साथ
यूपी में 1.72 लाख शिक्षा मित्रों को नियमित करने के आदेश प्रदेश सरकार ने दिए थे। उसके बाद 1.36 लाख शिक्षामित्रों को बतौर शिक्षक नियुक्ति पत्र भी मिल गए थे। पिछले महीने इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इनकी नियुक्ति को अवैध ठहराते हुए उसे रद कर दिया था। तब से प्रदेश में लगातार शिक्षा मित्र प्रदर्शन कर रहे हैं। आत्महत्या और हर्ट अटैक जैसी घटनाएं भी हुईं। इस पर प्रदेश सरकार ने उनके हित के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने और केंद्र से बात करने का वादा भी किया था। वहीं यूपी के चीफ सेक्रेटरी आलोक रंजन केंद्र को पत्र लिखकर उन्हें टीईटी में छूट देने की मांग कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी भी उन्हें आश्वासन दे चुके हैं।

शिक्षामित्रों का सफर
शिक्षामित्रों को 1999 में पंचायती राज एक्ट में संशोधन के तहत उस समय के सीएम कल्याण सिंह ने भर्ती किया था। उस दौरान ट्रेंड टीचर्स की कमी होने के कारण 1.72 लाख लोगों को कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स के तौर पर नियुक्त किया गया था। सभी कॉन्ट्रेक्ट टीचर्स को प्रति माह 2250 रुपये दिए जाते थे। बाद में यह मानदेय बढ़ाकर 3500 रुपये किया गया। साल 2009 में राइट टु एजुकेशन एक्ट लागू हुआ, जिसमें यह कहा गया कि अनट्रेंड टीचर्स काम नहीं कर सकते हैं। इस सिलसिले में प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को ट्रेनिंग देने के लिए दो साल के लिए डिस्टेंस मोड पर बेसिक टीचिंग कोर्स का प्रस्ताव बनाया, जिसे एनसीटीई ने साल 2011 में मंजूरी दे दी थी। शिक्षामित्रों के अनुभव को देखते हुए उन्हें स्थाई कर दिया गया। राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों को टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) से छूट दे दी। उसके बाद हाई कोर्ट ने इसे अवैध ठहराते हुए पिछले महीने यह कहकर नियुक्ति को निरस्त कर दिया कि उन्होंने टीईटी पास नहीं किया है।
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