चूकि मै पहले ही आप सभी को बता चुका था कि हमारे
तीन केस थे और तीनो केस की सुनवाई कोर्ट नंबर 7 मे होनी थी। पहला केस
अमृतराज चौरसिया का था (24 नंबर ) दूसरा आर के ओझा का था(52 नंबर ) फीर
तीसरा केस अशोक खरे (54) नंबर पर था।
हमने एक प्लान किया 24 नंबर वाले केस का वकील जूनियर था और उसका नंबर पहले आ गया था और हम जूनियर वकील से कोई बहस करवा कर हम कोई रिस्क नही लेना चाहते थे इसलिए 24 नंबर पर हमने अमृतराज जी को बहस से मना कर दिया।
फिर आज हमारे साथ वो हुआ जो हाईकोर्ट के इतिहास मे कभी कभी होता है और ऐसे आर्डर भी बहुत कम होते है।
जब 52 नंबर का केस जो की आर के ओझा जी का था उसके आने के पहले ही मैने ओझा सर को बताया कि 54 नंबर पर ही अशोक खरे सर का केस लगा है और सेम प्रेयर है और हम चाहते है कि आप इनके साथ ही बहस कर ले। मेरे पैर पडने पर वो मान गये और खरे साहब से हाथ मिलाया और बात कर ली और अपने केस का नंबर आने और नाम बुलाने पर भी खडे नही हुये और जब 54 नंबर आया तो अशोक खरे साहब ने बहस की और लगभग 10 मिनट तक जोरदार बहस की और पी के एस बघेल केवल सुन रहे थे और सरकारी वकील भी मुह खोलकर सुन रहा था। अशोक खरे के बहस करने के साथ साथ आर के ओझा सर सारे प्वाइंट्स पर हमारी फाइल पढते हुए निगाह बनाये हुये थे।और जैसे ही खरे साहब ने बहस खत्म की वैसे ही ओझा सर खडे हो गये और रही सही कसर उन्होंने पूरी कर दी और जज साहब आदेश करने ही वाले थे कि सरकारी वकील बोला की हमको समय चाहिए। इस पर ओझा सर ने बोला की परसो से कोर्ट बंद है और 26 से काऊनसलिग शुरू है तो हमारे केस करने का क्या मतलब??
तो जज साहब ने 3 बजे तक सरकार से जवाब मांग लिया और 3:30 का समय दे दिया। और 3:30 पर सुनवाई शुरू हुई और हमारे केस मे फैसला हमारे फेवर मे आया
10/09/2015 तक रजिस्ट्रेशन और 15/09/2015 तक के सभी फार्म एक्सेप्ट किये जाये। और सभी की तरह इनको भी सामान्य रूप से अन्य सभी प्रक्रिया मे शामिल किया जाये।
अब न कोई डायट, न कोई प्राईवेट,न कोई बैच बस 15000 पद और उनमे आवेदित अभ्यर्थी ही यही बस इतना ही है।
मेरी इस लडाई लडने और मुझे हर तरीके से सहयोग करने वालो को तहे दिल से शुक्रिया
विशेष आभार
अजीत पाण्डेय( बस्ती )
पवन मिश्रा( सुल्तानपुर )
राजेश चौधरी( बस्ती )
यदवीर (मुरादाबाद )
सचिन (मुरादाबाद )
और भी बहुत लोग है जिनका नाम इस एक पोस्ट मे लिख पाना संभव नही है।(जिनका नाम छूट गया हो वो कृपया बुरा न माने)
मेरा सभी भाईयो और बहनो को पुनः आभार।
अभी तक जिन जनपदो ने साथ दिया है उन सभी का आभार
1- मुरादाबाद
2- बस्ती
3- सुल्तानपुर
4- बिजनौर
5- बलिया
6- अलीगढ़
7- एटा
8- आजमगढ़
9- बदायूं
10- शाहजहांपुर
11- सम्भल
12- इलाहबाद
13- अमरोहा
14- देवरिया
15- पीलीभीत
16- संतकबीरनगर
17- बरेली
18- रायबरेली
19- अमेठी
20- कुशीनगर
21- झाँसी
22- सहारनपुर
23- हरदोई
24- औरैया
25- प्रतापगढ़
26- आगरा
27- फिरोजाबाद
और जिन्होंने नही दिया वो इन सभी भाईयो और बहनो की मेहनत से कमाई गई नौकरी को लेकर जिल्लत कि जिन्दगी जीने कि शुभकामनाये
2011 वाले आज के हमारे आर्डर के खिलाफ डबल बेच मे अपील करने जा रहे है इनका भी वही हाल जो इसके पहले पुनीत कुमार का हो चुका है।अब ये वही मानसिक रूप से बीमार लोग है जो उस सच्चाई को नही समझ रहे है जो उच्च न्यायालय समझ चुका है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
हमने एक प्लान किया 24 नंबर वाले केस का वकील जूनियर था और उसका नंबर पहले आ गया था और हम जूनियर वकील से कोई बहस करवा कर हम कोई रिस्क नही लेना चाहते थे इसलिए 24 नंबर पर हमने अमृतराज जी को बहस से मना कर दिया।
फिर आज हमारे साथ वो हुआ जो हाईकोर्ट के इतिहास मे कभी कभी होता है और ऐसे आर्डर भी बहुत कम होते है।
जब 52 नंबर का केस जो की आर के ओझा जी का था उसके आने के पहले ही मैने ओझा सर को बताया कि 54 नंबर पर ही अशोक खरे सर का केस लगा है और सेम प्रेयर है और हम चाहते है कि आप इनके साथ ही बहस कर ले। मेरे पैर पडने पर वो मान गये और खरे साहब से हाथ मिलाया और बात कर ली और अपने केस का नंबर आने और नाम बुलाने पर भी खडे नही हुये और जब 54 नंबर आया तो अशोक खरे साहब ने बहस की और लगभग 10 मिनट तक जोरदार बहस की और पी के एस बघेल केवल सुन रहे थे और सरकारी वकील भी मुह खोलकर सुन रहा था। अशोक खरे के बहस करने के साथ साथ आर के ओझा सर सारे प्वाइंट्स पर हमारी फाइल पढते हुए निगाह बनाये हुये थे।और जैसे ही खरे साहब ने बहस खत्म की वैसे ही ओझा सर खडे हो गये और रही सही कसर उन्होंने पूरी कर दी और जज साहब आदेश करने ही वाले थे कि सरकारी वकील बोला की हमको समय चाहिए। इस पर ओझा सर ने बोला की परसो से कोर्ट बंद है और 26 से काऊनसलिग शुरू है तो हमारे केस करने का क्या मतलब??
तो जज साहब ने 3 बजे तक सरकार से जवाब मांग लिया और 3:30 का समय दे दिया। और 3:30 पर सुनवाई शुरू हुई और हमारे केस मे फैसला हमारे फेवर मे आया
10/09/2015 तक रजिस्ट्रेशन और 15/09/2015 तक के सभी फार्म एक्सेप्ट किये जाये। और सभी की तरह इनको भी सामान्य रूप से अन्य सभी प्रक्रिया मे शामिल किया जाये।
अब न कोई डायट, न कोई प्राईवेट,न कोई बैच बस 15000 पद और उनमे आवेदित अभ्यर्थी ही यही बस इतना ही है।
मेरी इस लडाई लडने और मुझे हर तरीके से सहयोग करने वालो को तहे दिल से शुक्रिया
विशेष आभार
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और भी बहुत लोग है जिनका नाम इस एक पोस्ट मे लिख पाना संभव नही है।(जिनका नाम छूट गया हो वो कृपया बुरा न माने)
मेरा सभी भाईयो और बहनो को पुनः आभार।
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और जिन्होंने नही दिया वो इन सभी भाईयो और बहनो की मेहनत से कमाई गई नौकरी को लेकर जिल्लत कि जिन्दगी जीने कि शुभकामनाये
2011 वाले आज के हमारे आर्डर के खिलाफ डबल बेच मे अपील करने जा रहे है इनका भी वही हाल जो इसके पहले पुनीत कुमार का हो चुका है।अब ये वही मानसिक रूप से बीमार लोग है जो उस सच्चाई को नही समझ रहे है जो उच्च न्यायालय समझ चुका है।
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