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विवि में शिक्षक भर्ती के विज्ञापन होंगे वापस , ये हैं आरोप

अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वीसी ने कहा कि वे इस्तीफा देने को हैं तैयार इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती के लिए फरवरी और जून में जारी दोनों विज्ञापन वापस होंगे। हाईकोर्ट में मामला जाने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से गठित कमेटी ने इसकी संस्तुति की है।
हालांकि इस पर अंतिम फैसला कार्यपरिषद को लेना है। कमेटी ने यूजीसी की नियमावली-2016 के अनुसार स्क्रीनिंग के मानक में संशोधन करने की भी संस्तुति की है। इसके अनुसार निर्धारित छह शर्तें पूरा करने वाले पीएचडी अभ्यर्थियों को भी आवेदन का मौका मिलेगा।
कमेटी ने रोस्टर का पालन सुनिश्चित करने के लिए कहा है। नया नोटिफिकेशन पुराने विज्ञापन के परिपेक्ष्य में ही होगा। ऐसे में पुराने अभ्यर्थियों को नए सिरे से आवेदन नहीं करना होगा लेकिन वे फार्म को अपडेट कर सकेंगे। गौर करने वाली बात यह है कि कमेटी की रिपोर्ट कार्यपरिषद में रखी जाएगी। उसमें हुए फैसले के अनुसार ही शिक्षक भर्ती की आगे की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। ऐसे में विश्वविद्यालय में अध्यापकों की जल्द नियुक्ति की उम्मीद खत्म हो गई है।

विश्वविद्यालय ने फरवरी में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के 290 पदों के लिए आवेदन मांगे थे। इसी क्रम में जून में बैकलॉग के पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे। प्रतियोगियों ने रोस्टर का पालन न होने, दिव्यांग के पद का विवरण न होने, स्क्रीनिंग के मानकों में मनमानी समेत कई आरोप लगाए थे। अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल कर रखी थी। इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से गठित रिव्यू कमेटी ने रिपोर्ट सौंप दी है।

इसे कार्यपरिषद में रखा जाएगा। कार्यपरिषद में हुए निर्णय के अनुसार शिक्षक  भर्ती के लिए नए सिरे से प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। रजिस्ट्रार प्रोफेसर एनके शुक्ला का कहना है कि कमेटी की संस्तुति के अनुसार विज्ञापन में संशोधन किया जाएगा। इसके लिए जरूरी प्रक्रिया एक महीने के भीतर पूरी कर ली जाएगी।

यह है संस्तुति
0 साक्षात्कार के लिए आवेदन पत्रों की छंटनी यूजीसी की नियमावली-2016 के अनुसार की जाए
0 2012 में तैयार रोस्टर के अनुसार पदों की स्थिति तय की जाए
0 रोस्टर में दिव्यांग अभ्यर्थियों का स्थान सुनिश्चित किया जाए
0 यूजीसी की नई नियमावली की शर्त पूरी करने वाले नॉन नेट पीएचडी अभ्यर्थियों को मिलेगा आवेदन का मौका
0 पुरानी भर्ती के परिपेक्ष्य में होगा नया नोटिफिकेशन

ये हैं आरोप
0 आवेदन पत्रों की स्क्रीनिंग में नियमों का नहीं हुआ पालन
0 2012 और नए विज्ञापन में आरक्षित पदों के पोजिशन में है भिन्नता
0 दिव्यांग अभ्यर्थियों के पोजिशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के नियमों का नहीं किया पालन

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रतनलाल हांगलू को एक और झटका लगा है। अध्यापकों की भर्ती विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए वर्षों से चुनौती बनी हुई है। पूर्व कुलपति प्रोफेसर आरजी हर्षे और प्रोफेसर एके सिंह के समय में भी शिक्षक भर्ती के लिए नोटिफिकेशन हुआ था लेकिन प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। इस तरह से वर्षों से विश्वविद्यालय में अध्यापकाें की भर्ती नहीं हो पाई है और वर्तमान में 537 पद खाली हैं।

नए कुलपति ने भी नोटिफिकेशन कर साल भर के भीतर नियुक्ति कर लेने के साथ भर्ती प्रक्रिया में नियमों का पालन तथा पारदर्शिता का दावा किया था लेकिन इसमें भी आपत्तियां हुईं। इस बाबत विश्वविद्यालय प्रशासन को न सिर्फ रिव्यू कमेटी गठित करनी पड़ी, बल्कि कमेटी ने अभ्यर्थियों की आपत्तियों के मद्देनजर नोटिफिकेशन में व्यापक संशोधन की भी संस्तुति की है। इससे पहले ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा, छात्रों का निष्कासन, सत्र लाभ आदि फैसलों पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन को बैकफुट पर आना पड़ा था।
शिक्षक भर्ती के विज्ञापन के साथ ही विवाद शुरू हो गया था। इससे बने दबाव के बाद फरवरी में 290 तथा जून में बैकलॉग के पदों के लिए विज्ञापन निकालने वाले प्रोफेसर रामेंद्र कुमार सिंह को फैकेल्टी रिक्रूटमेंट एंड डेवलपमेंट कमेटी (एफआरडीसी) के निदेशक के पद से हटा दिया गया था। उन पर ठीक से काम नहीं करने का आरोप था।
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