कोर्ट ऑर्डर पर किसी भी संगठन और सरकार का कोई स्टेटमेंट अभी तक नही आया,बहुत ही सोचनीय बिंदु है।सब जानते हैं सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को कन्फर्म कर दिया है हाई कोर्ट के ऑर्डर में सभी लोग अच्छे से बाकिफ हैं सुप्रीम कोर्ट ने भी उसी पर मोहर लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी बही बिंदु गिनाए हैं समायोजन रद्द करने के-
@शिक्षा मित्रों का चयन रेगुलर शिक्षकों के मानकों के अधार पर नही हुआ था,न उनकी योग्यता थी, न ही वेतन शिक्षक के समान था।
शिक्षा मित्रों का अप्पोइंटमनेट as a teacher नही हुआ था।
@अगर शिक्षकों के पदों के लिए उस पद की योग्यता धारी नही उपलव्ध हैं तो सरकार कोई भी पॉलिसी बना सकती है इसी पॉलिसी के आधार पर सरकार ने sm को अप्पोइंट किया।
@कोर्ट ने कहा शिक्षा मित्र 23 अगस्त 2010 यानी rte एक्ट में कही किसी नोटिफिकेशन में नही दर्ज हैं।अर्थार्त वो शिक्षक की श्रेणी में नही आते इज़लिये न तो किसी भी प्रकार की शैक्षिक योग्यताओं में छूट का कोई मतलब ही नही बनता।
@23 अगस्त 2010 के नोटिफिकेशन को इग्नोर करके राज्य सरकार कोई भी अप्पोइंटमनेट नही कर सकती।अर्थार्त बिना टेट कोई भी अपॉइंटमेंट नही दे सकती।सिर्फ उन अस्थाई नियुक्ति पाय अध्यपको को सिर्फ 1 बार टेट छूट दे सकती है वो भी निश्चित समय के लिए 5 साल के अंदर टेट नही कर पाते तो उनको भी टर्मिनेट होना पड़ेगा।लेकिन शिक्षा मित्र इस श्रेणी में नही आते ऐसा sc ने ऑर्डर में लिखा है।जिससे शिक्षा मित्रों को अपॉइंटमेंट देकर 5 साल में टेट देने का जो ऑप्शन समायोजन से पहले बनाया था वो भी रद्द होना तय था।
@23 अगस्त 2010 के नोटिफिकेशन को इग्नोर करके अप्पोइंट मेन्ट नही दे सकती इज़लिये 1981 नियमावली का 19व संशोधन *उमा देवी* जजमेंट के आधार पर असंवैधानिक है।
@सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट जजमेंट शिव कुमार शर्मा vs स्टेट ऑफ up केस को आधार बनाकर कहा है कि टेट से छूट किसी को नही दी जा सकती टेट छूट असंवैधानिक है।
@rte एक्ट में संशोधन का अधिकार राज्य को कही से कही तक नही है।
@sc ने कहा हमने शिक्षा मित्रों और सरकार के सभी वकीलों को पूरा समय देकर सुना लेकिन उनके आर्गुमेंट में कोई भी पॉइंट ऐसा नही मिला जिसको हम अपने ऑर्डर में कंसीडर करें।
@rte एक्ट 23(2) में छूट देने का अधिकार सिर्फ सेंटर को है वो भी तब जब उस पद के लिए योग्य उम्मीदवार उपलव्ध न हो,ओर वो भी सिर्फ एक बार अर्थार्त अब बीएड बालो के लिए भी प्राइमरी के दरबाजे कोर्ट ने हमेशा के लिए बंद कर दिए हैं।
बाकी ऑर्डर में सबकुछ बही हाई कोर्ट जैसा ही है।
हाई कोर्ट ऑर्डर के किसी भी बिंदु में कोई परिवर्तन sc ने नही किया है।उमादेवी ओर हिमाचल होम गार्ड के जजमेंट शिक्षा मित्रो के ऊपर लागू कर दिए गए हैं।जिससे अब शिक्षा मित्रों का समायोजन किसी भी तरह से नही किया जा सकता है। यहां तक कि नए किसी पद पर भी समायोजन संभव नही है।उसके लिए भी सीधी भर्ती में कोटे के साथ फाइट करना पड़ेगा।और न ही अब टेट पास करने के बाद भी सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन भी नही किया जा सकता है।इसके लिए सिर्फ खुली भर्ती ही अंतिम ऑप्शन छोड़ा है सुप्रीम कोर्ट ने।
कुलमिलाकर सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी प्रकार नियमतिकरण पर विराम लगा दिया है।
अगला स्टेप--------
अब सिर्फ अगले स्टेप पर ही फोकस किया जाए और कुछ नही,जजमेंट को देखते हुए यह साफ है कि टेट पास करने के बाद भी समायोजन नही हो सकेगा। सरकार से सबसे पहले शिक्षा मित्र पद दोवारा देकर मानदेय बढ़ाने की मांग की जानी चाहिए।उसके बाद टेट कराकर शिक्षा मित्रों को अधिक पद निकालकर सीधी भर्ती में कोटा या वेटज देने की मांग करनी चाहिए।सहायक अध्यापक बनने का यही एक रास्ता छोड़ा है कोर्ट ने।बाकी 2 भर्तियो के बाद सारे रास्ते बंद कर दिए हैं।अगर सरकार कोई दूसरा पद लाती है तो उसमें भी कोटा ही दे सकती है पूर्ण समायोजन नही हो सकेगा।
रिव्यु पेटिशन दाखिल की जा सकती है लेकिन वो उन्ही दोनों जजो के पास जाएगी जिसके एक्सेप्ट होने के चांस सिर्फ 1% ही रहते हैं अगर कुछ नए पॉइंट्स हो तो।
अन्यथा डिसमिस होना तय है।
रिव्यु में जाने का एक मजबूत पक्ष सिर्फ टेट पास शिक्षा मित्र हैं जो रिव्यु में जा सकते हैं रिव्यु में जाने के बाद अगर रिव्यु डिसमिस होती है तो क्यूरेटिव पिटेशन की जा सकती है।लेकिन समायोजन टेट पास का भी नही बचाया जा सकता।रिव्यु में सिर्फ यह मांग कर सकते हैं कि जबतक टेट परीक्षा कराकर फ्रेश भर्ती में मौका न मिलता है तब तक हमे as it सेवा में रखा जाए।
मित्रो सरकार से सही नीति की मांग करनी चाहिएअगर अब भी भेड़ चाल चले या बेतुकी मांग की तो अब दोवारा रिटेक का कोई चांस नही मिलेगा।
गलत कदम कोई भी न उठाएं सरकार के पास नियमानुसार रोजगार देने की शक्तियां हैं ओर उनकी मांग विशाल धरना प्रदर्शन करके ही प्राप्त किया जा सकता है सभी संगठन एक साथ आकर सरकार से सही नीति की ही मांग करें तभी सफलता मिलेगी,अगर नेतागीरी करते रहे या बेतुकी मांगे मांगते परिणाम अच्छे नही होंगे।
एकता में शक्ति होती है।
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
सुप्रीम कोर्ट ने भी बही बिंदु गिनाए हैं समायोजन रद्द करने के-
@शिक्षा मित्रों का चयन रेगुलर शिक्षकों के मानकों के अधार पर नही हुआ था,न उनकी योग्यता थी, न ही वेतन शिक्षक के समान था।
शिक्षा मित्रों का अप्पोइंटमनेट as a teacher नही हुआ था।
@अगर शिक्षकों के पदों के लिए उस पद की योग्यता धारी नही उपलव्ध हैं तो सरकार कोई भी पॉलिसी बना सकती है इसी पॉलिसी के आधार पर सरकार ने sm को अप्पोइंट किया।
@कोर्ट ने कहा शिक्षा मित्र 23 अगस्त 2010 यानी rte एक्ट में कही किसी नोटिफिकेशन में नही दर्ज हैं।अर्थार्त वो शिक्षक की श्रेणी में नही आते इज़लिये न तो किसी भी प्रकार की शैक्षिक योग्यताओं में छूट का कोई मतलब ही नही बनता।
@23 अगस्त 2010 के नोटिफिकेशन को इग्नोर करके राज्य सरकार कोई भी अप्पोइंटमनेट नही कर सकती।अर्थार्त बिना टेट कोई भी अपॉइंटमेंट नही दे सकती।सिर्फ उन अस्थाई नियुक्ति पाय अध्यपको को सिर्फ 1 बार टेट छूट दे सकती है वो भी निश्चित समय के लिए 5 साल के अंदर टेट नही कर पाते तो उनको भी टर्मिनेट होना पड़ेगा।लेकिन शिक्षा मित्र इस श्रेणी में नही आते ऐसा sc ने ऑर्डर में लिखा है।जिससे शिक्षा मित्रों को अपॉइंटमेंट देकर 5 साल में टेट देने का जो ऑप्शन समायोजन से पहले बनाया था वो भी रद्द होना तय था।
@23 अगस्त 2010 के नोटिफिकेशन को इग्नोर करके अप्पोइंट मेन्ट नही दे सकती इज़लिये 1981 नियमावली का 19व संशोधन *उमा देवी* जजमेंट के आधार पर असंवैधानिक है।
@सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट जजमेंट शिव कुमार शर्मा vs स्टेट ऑफ up केस को आधार बनाकर कहा है कि टेट से छूट किसी को नही दी जा सकती टेट छूट असंवैधानिक है।
@rte एक्ट में संशोधन का अधिकार राज्य को कही से कही तक नही है।
@sc ने कहा हमने शिक्षा मित्रों और सरकार के सभी वकीलों को पूरा समय देकर सुना लेकिन उनके आर्गुमेंट में कोई भी पॉइंट ऐसा नही मिला जिसको हम अपने ऑर्डर में कंसीडर करें।
@rte एक्ट 23(2) में छूट देने का अधिकार सिर्फ सेंटर को है वो भी तब जब उस पद के लिए योग्य उम्मीदवार उपलव्ध न हो,ओर वो भी सिर्फ एक बार अर्थार्त अब बीएड बालो के लिए भी प्राइमरी के दरबाजे कोर्ट ने हमेशा के लिए बंद कर दिए हैं।
बाकी ऑर्डर में सबकुछ बही हाई कोर्ट जैसा ही है।
हाई कोर्ट ऑर्डर के किसी भी बिंदु में कोई परिवर्तन sc ने नही किया है।उमादेवी ओर हिमाचल होम गार्ड के जजमेंट शिक्षा मित्रो के ऊपर लागू कर दिए गए हैं।जिससे अब शिक्षा मित्रों का समायोजन किसी भी तरह से नही किया जा सकता है। यहां तक कि नए किसी पद पर भी समायोजन संभव नही है।उसके लिए भी सीधी भर्ती में कोटे के साथ फाइट करना पड़ेगा।और न ही अब टेट पास करने के बाद भी सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन भी नही किया जा सकता है।इसके लिए सिर्फ खुली भर्ती ही अंतिम ऑप्शन छोड़ा है सुप्रीम कोर्ट ने।
कुलमिलाकर सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी प्रकार नियमतिकरण पर विराम लगा दिया है।
अगला स्टेप--------
अब सिर्फ अगले स्टेप पर ही फोकस किया जाए और कुछ नही,जजमेंट को देखते हुए यह साफ है कि टेट पास करने के बाद भी समायोजन नही हो सकेगा। सरकार से सबसे पहले शिक्षा मित्र पद दोवारा देकर मानदेय बढ़ाने की मांग की जानी चाहिए।उसके बाद टेट कराकर शिक्षा मित्रों को अधिक पद निकालकर सीधी भर्ती में कोटा या वेटज देने की मांग करनी चाहिए।सहायक अध्यापक बनने का यही एक रास्ता छोड़ा है कोर्ट ने।बाकी 2 भर्तियो के बाद सारे रास्ते बंद कर दिए हैं।अगर सरकार कोई दूसरा पद लाती है तो उसमें भी कोटा ही दे सकती है पूर्ण समायोजन नही हो सकेगा।
रिव्यु पेटिशन दाखिल की जा सकती है लेकिन वो उन्ही दोनों जजो के पास जाएगी जिसके एक्सेप्ट होने के चांस सिर्फ 1% ही रहते हैं अगर कुछ नए पॉइंट्स हो तो।
अन्यथा डिसमिस होना तय है।
रिव्यु में जाने का एक मजबूत पक्ष सिर्फ टेट पास शिक्षा मित्र हैं जो रिव्यु में जा सकते हैं रिव्यु में जाने के बाद अगर रिव्यु डिसमिस होती है तो क्यूरेटिव पिटेशन की जा सकती है।लेकिन समायोजन टेट पास का भी नही बचाया जा सकता।रिव्यु में सिर्फ यह मांग कर सकते हैं कि जबतक टेट परीक्षा कराकर फ्रेश भर्ती में मौका न मिलता है तब तक हमे as it सेवा में रखा जाए।
मित्रो सरकार से सही नीति की मांग करनी चाहिएअगर अब भी भेड़ चाल चले या बेतुकी मांग की तो अब दोवारा रिटेक का कोई चांस नही मिलेगा।
गलत कदम कोई भी न उठाएं सरकार के पास नियमानुसार रोजगार देने की शक्तियां हैं ओर उनकी मांग विशाल धरना प्रदर्शन करके ही प्राप्त किया जा सकता है सभी संगठन एक साथ आकर सरकार से सही नीति की ही मांग करें तभी सफलता मिलेगी,अगर नेतागीरी करते रहे या बेतुकी मांगे मांगते परिणाम अच्छे नही होंगे।
एकता में शक्ति होती है।
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines